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शिवराज सरकार MP में लागू कर सकती है फरलो स्कीम? जानें क्‍या है योजना


भोपाल. वित्तीय घाटा कम करने के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार सरकारी कर्मचारियों के लिए नई योजना ला सकती है। योजना ऐसी होगी जिसके तहत सरकारी कर्मचारी (Government employee) नौकरी में रहते हुए अपना खुद का बिजनेस (Business) या दूसरी प्राइवेट नौकरी भी कर सकेंगे। फरलो स्कीम नाम की इस योजना पर अभी विचार चल रहा है और अगर इसे अमल में लाया गया तो सरकारी कर्मचारियों को यह राहत मिल सकती है।

गौरतलब है कि, इसके कुछ नियम भी होंगे, जिन्हें कर्मचारियों को मानना होगा। फरलो स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारी 5 साल तक अपने मूल काम से छुट्टी लेकर दूसरा काम कर सकेंगे। इनमें प्राइवेट नौकरी या बिजनेस जैसे काम शामिल हैं। इस दौरान सरकारी कर्मचारियों को 50% वेतन मिलता रहेगा और उनकी वरिष्ठता पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

क्या होगा फायदा ?
मौजूदा वक्त में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार सरकारी कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर करीब 60000 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। अगर फरलो स्कीम को अमल में लाया जाता है तो सरकार को करीब 7000 करोड़ रुपए तक की बचत हो सकती है। मौजूदा वक्त में मध्य प्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति नाजुक है और सरकार पर करीब ढाई लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है। ऐसे में खर्चों में कटौती और बचत के रास्ते जनता पर बिना टैक्स का बोझ बढ़ाए लागू करना जरूरी हो गया है।



दिग्विजय सरकार लाई थी पहली बार
हालांकि ऐसा नहीं है कि फरलो स्कीम(furlough scheme) पहली बार मध्य प्रदेश में लागू करने की बात की जा रही हो। इससे पहले साल 2002 में तत्कालीन दिग्विजय सरकार ने इस स्कीम का फार्मूला लागू किया था। लेकिन, बाद में जब बीजेपी की सरकार आई तो फिर इस योजना को बंद कर दिया गया। लेकिन अब जबकि सरकार बचत के अलग-अलग रास्ते तलाश रही है तो इस योजना पर भी विचार किया जा रहा है।

किसानों के बिजली कनेक्शन आधार से जोड़ने की तैयारी
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की शिवराज सिंह चौहान सरकार बिजली घाटा कम करने की कोशिश में है। इस मामले में बनाए गए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं, इसके तहत सब्सिडी खर्च को कम करने का सुझाव है। सुझाव है कि किसानों के बिजली कनेक्शन को आधार से जोड़ दिया जाए। एक किसान को सिर्फ एक ही सब्सिडी वाला कनेक्शन दिया जाए। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के इस सुझाव को अगर अमल में लाया जाता है तो सब्सिडी के करीब 17 सौ करोड़ रुपए बच सकते हैं।

सरकार को दी गई सलाह में कहा गया है कि एक किसान को केवल एक ही सब्सिडी वाला कनेक्शन दिया जाए और अगर उसके और कनेक्शन है तो उन पर सामान्य दर से ही बिजली बिल वसूला जाए। इस पर अभी सरकार ने अंतिम फैसला नहीं किया है लेकिन यह माना जा रहा है कि सब्सिडी का खर्च बचाने के लिए सरकार ग्रुप ऑफ मिनिस्टर के इस सुझाव पर अमल कर सकती है।

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