नई दिल्ली (New Delhi)। अप्रैल 2023 को सीता नवमी (Sita Navami ) है. सीता नवमी को ही जानकी जयंती ओर मैथिली दिवस के रूप में भी जाना जाता है. पुराणों के अनुसार देवी सीता राजा जनक और माता सुनयना (King Janak and Mother Sunayana) की पुत्री हैं लेकिन माता सीता ने देवी सुनयना के गर्भ से जन्म नहीं लिया. फिर देवी सीता राजा जनक को कैसे प्राप्त हुई, आइए जानते हैं माता सीता की जन्म कथा.
कैसे हुई माता सीता की उत्पत्ति ? (Sita Navami Katha)
शास्त्रानुसार राजा जनक को किसी चीज की कमी नहीं थी, धन-धान्य से जीवन परिपूर्ण था लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी. इस कारण राजा जनक काफी निराश रहते थे. एक बार मिथिला में भयंकर अकाल पड़ गया. प्रजा अन्न-जल की कमी होने के चलते काफी परेशान हो गई. ऐसे में जनक जी को ऋषियों ने सलाह दी की वह राज्य में यज्ञ का आयोजन करवाएं, यज्ञ में पूर्णाहुति से पहले जनक जी को अपने हाथों से खेल में हल चलाना था.
खेत की खुदाई में मिली बालिका सीता
ऋषियों (sages) के कहे अनुसार जनक जी ने खेत में हल चलाना शुरू किया, तभी अचानक उनका हल किसी धातु टकराया. काफी कोशिश करने के बाद भी जब जनक जी इसे हटा नहीं पाए तो उन्होंने उस स्थान की खुदाई शुरू की. वहां से एक कलश निकला. जनक जी ने जैसे ही कलश का ढक्कन हटाया, उसमें एक नवजात कन्या मुस्कुराती हुई नजर आई. राजा जनक की संतान नहीं थी ऐसे में उस कन्या को अपनी पुत्री मानकर वह उसे महल ले गए और बच्ची का नाम सीता रखा.
कैसे पड़ा नाम ‘सीता’
खुदाई के दौरान हल से कलश के टकराने पर राजा जनक को सीता मिली थी. हल के आगे की तरफ जो नुकीला भाग होता है उसे सित कहते हैं, ऐसे में इनका नाम सीता पड़ा. राजा जनक देवी सीता को बहुत दुलार करते थे इसलिए ये जानकी और जनक दुलारी के नाम से भी प्रसिद्ध हुईं.जिस जगह पर देवी सीता प्रकट हुईं थी उस स्थान को सीतामढ़ी नाम से जाना जाता है। आज भी सीतामढ़ी में देवी सीता का जन्मोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है.
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के आधार पर पेश की गई है हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं.
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