- औसतन 8 महीने से ज्यादा का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया अफसर
भोपाल। प्रदेश के 52 वें जिले के रूप में करीब 50 महीने पहले 1 अक्टूबर 2018 को अस्तित्व में आए निवाड़ी जिला कलेक्टरों के लिए शुभ नहीं है। 4 साल 2 महीने में निवाड़ी जिले को सातवां कलेक्टर मिल चुका है। औसतन कलेक्टर का कार्यकाल 8 महीने से ज्यादा नहीं रहा है। कहने को निवाड़ी प्रदेश का सबसे छोटा जिला है, लेकिन हर बार अफसर राजनीति के शिकार हो जाते हैं। निवाड़ी जिले में सबसे लंबा कार्यकाल जिले के पहले कलेक्टर अक्षय सिंह ने पूरा किया था। उन्हें दो बार निवाड़ी जिले की कमान मिली। पहला कार्यकाल 1 अक्टूबर 2018 से 12 अप्रैल 2019 तक सिर्फ 7 महीने का रहा। उन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक शिकायतों के चलते चुनाव आयोग ने हटा दिया था। चुनाव कराने के लिए 12 अप्रैल 2019 को आईएएस शैलवाला मार्टिन को बतौर कलेक्टर भेजा गया था। चुनाव होते ही कमलनाथ सरकार ने 2 महीने के भीतर 3 जून को ही शैलवाला मार्टिन को हटाकर अक्षय सिंह को वापस निवाड़ी कलेक्टर बना दिया था। अक्षय सिंह का दूसरा कार्यकाल 4 जून 2019 से 22 अगस्त 2020 तक करीब 14 महीने का रहा।
इसके बाद कमलनाथ सरकार गिरने के बाद शिवराज सरकार ने अगस्त 2020 में अक्षय सिंह को हटाकर शिवपुरी कलेक्टर बनाकर भेज दिया था। तब 22 अगस्त 2020 को आशीष भार्गव को निवाड़ी का नया कलेक्टर बनाकर भेजा था। भार्गव भी 13 महीने का कार्यकाल पूरा कर सके और 8 सितंबर 2021 को राजनीति की भेंट चढ़ गए। इसके बाद सरकार ने 8 सितंबर 2021 को नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी को निवाड़ी का नया कलेक्टर बनाया। 8 महीने बाद ही सरकार ने 15 मई 2022 को सूर्यवंशी को निवाड़ी से हटाकर तरुण भटनागर को निवाड़ी का नया कलेक्टर बनाकर भेजा। भटनागर को जमीन में हेराफेरी एवं अन्य शिकायतों के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 28 दिसंबर 2022 को महज 7 महीने के भीतर ही चलता कर दिया है। उनकी जगह 2014 बैच के आईएएस अधिकारी अरुण कुमार विश्वकर्मा को निवाड़ी का सातवंा कलेक्टर बनाकर भेज गया है। अब देखना दिलचस्व होगा कि विश्वकर्मा का कार्यकाल कितना लंबा होगा। Share: