उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

काम नहीं करने वाले बड़बोले विधायकों की सोशल मीडिया पर घेराबंदी

  • तराना विधायक महेश परमार का सोशल मीडिया पर जमकर विरोध-बड़ी बड़ी बातें करने वाले महेश परमार की हालत खराब
    कहा न सड़क, न स्कूल, न धर्मशाला, बस नुक्ते घाटे में आते थे

उज्जैन। जिले में कांग्रेस के बड़बोले विधायक महेश परमार की सोशल मीडिया पर घेराबंदी शुरु हो गई है..पैर पढ़कर मतदाताओं को बेवकूफ बनाने वाले महेश परमार ने तराना में जो वादे किए थे वह भूल गए और अब फिर से टिकिट लाकर वोट मांगने क्षेत्र में जाने वाले हैं लेकिन इससे पहले ही जागरूक मतदाता सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए। विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही बड़ी पार्टी ने उज्जैन जिले की सातों विधानसभा सीट पर जहाँ अधिक मशक्कत नहीं थी, वहाँ अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। प्रत्याशी की घोषणा होते ही दोनों ही पार्टी की ओर से आम जनता के साथ नेताओं और पार्टी के कार्यकर्ताओं के विरोध भी अब सामने आने लगे हैं। कई मतदाता अपने पूर्व विधायकों के खिलाफ सोशल मीडिया के माध्यम से अपना विरोध जाता रहे हैं।


उज्जैन जिले की तराना सीट से कांग्रेस पार्टी से विधायक रहे महेश परमार से कई गांव के ग्रामीण बेहद नाराज हैं। महेश परमार वर्तमान में भी तराना विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से तराना विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं और लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 5 वर्षों में विधायक रहने के बाद भी महेश परमार के द्वारा न सड़क निर्माण, न धर्मशाला और ना ही स्कूल बनवाए, सिर्फ नुक्ते घाटे के कार्यक्रम या शादी ब्याह में विधायक आते थे। तराना विधानसभा के ग्राम नलेश्री से गफ्फार पटेल ने कहा कि विधायक ने गांव में दसवीं तक स्कूल खुलवाने के लिए गंगा माता की कसम खाई थी जो आज तक पूरी नहीं हुई है इसलिए इस बार हम विरोध करते हैं। रुआब मेव ने कहा सबसे अधिक वोट इस गांव से ही मिलते हैं और यहां से 70 प्रतिशत वोट मिले थे। नांदेड़ गांव से लक्ष्मण सिंह चावड़ा व अन्य ग्रामीणों ने कहा कि हमारे सिर्फ वोट लिए हैं काम कुछ नहीं किया। कायथा से रामदयाल सिंह सिसौदिया ने कहा कि कायथा में नगर कांग्रेस अध्यक्ष ही नहीं बना पाए विधायक। कनसिया गांव के ओमप्रकाश जी लिखते हैं कि हमारे गांव में धर्मशाला निर्माण की घोषणा की थी विधायक ने लेकिन आज तक गड्ढा भी नहीं खुदा। नाराज ग्रामीणों के जवाब में कुछ ग्रामीणों ने लिखा भी है कि कितना भी विरोध कर लो लेकिन आएगा तो महेश परमार ही। इस विरोध के बाद यह तो तय है कि महेश परमार को जवाब देना मुश्किल पड़ रहा है।

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Tue Oct 17 , 2023