आचंलिक

जीवित पशुओं के निर्यात व मांस निर्यात बंद कर दिये जाने से देश की अर्थव्यवस्था में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होगी : विनोद सैन

सिरोंज। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव /डेलिगेट एवं केश शिल्पी प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष विनोद सेन ने केंद्र की भाजपा की मोदी सरकार सीधा आरोप लगते हुऐ कहा है की क्या संघ परिवार भारत सरकार द्वारा जीवित पशुओं के निर्यात से सहमत है, जिसमें गोमाता सहित सभी पशुओं को उनके उत्पादों का निर्यात किया जाएगा। जिसके लिए मत्स्य पालन व पशुपालन मंत्रालय ने 7 जून को नोटिफिकेशन जारी किया है और 10 दिवस में सुझाव व आपत्ति मांगी है। इस विधेयक को लाने की ऐसी क्या जल्दी है जब कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय दिनांक 7.5.2014 में पारित निर्देश के उपरांत भी आदिनांक संशोधन नहीं किया गया है? देशवासियों को विचार करें कि इस संबंध में किसकी विचारधारा को क्रियान्वित किया जा रहा है? हमारे देश की नीति अहिंसा पर आधारित है और प्रस्तावित विधेयक निरीह मूकप्रणियों को उनके वध के लिए निर्यात करने के लिए लाया जा रहा है जिससे संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों का उल्लंघन होगा।



प्रस्तावित विधेयक से पशुओं के अधिकारों का हनन होगा, क्योंकि प्रस्तावित विधेयक में पशुओं को वस्तु ष्शद्वद्वशस्रद्बह्ल4 की संज्ञा दी गई है जबकि जीवित प्राणियों को वस्तु नहीं माना जा सकता है। 2014 के चुनावों से पूर्व कहा गया था कि हमारा पशुधन विदेशियों के स्वाद के लिए काट – काट कर क्यों भेजा जा रहा है और हजारों करोड़ रुपए की सब्सिडी क्यों दी जा रही है? लेकिन इस दिशा में आपने अभी तक कोई कदम नहीं उठाए हैं, अपितु जीवित पशुओं को निर्यात करना प्रारंभ किया है। मेरी समझ से यह सब विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए किया जा रहा है, लेकिन यह मार्ग धर्मानुकूल नहीं है। हमारा विश्वास है कि जीवित पशुओं के निर्यात व मांस निर्यात बंद कर दिये जाने से देश की अर्थव्यवस्था में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होगी ।

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