भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सुनी सुनाई : मंगलवार 23 फरवरी 2021

आईपीएस हो सकते हैं राज्यपाल!
मध्यप्रदेश कैडर के एक वरिष्ठ रिटायर्ड आईपीएस का नाम पाण्डुचेरी के राज्यपाल के लिए चर्चा में आ गया है। पाण्डुचेरी में केंद्र सरकार ने पूर्व आईपीएस किरण बेदी को राज्यपाल बनाया था। पिछले दिनों अचानक किरण बेदी की विदाई के बाद पाण्डुचेरी के नए राज्यपाल की तलाश शुरू हुई है। खबर है कि इस पद के लिए मध्यप्रदेश में डीजीपी रहे और पिछले दिनों दिल्ली में एक बड़ी एजेंसी के प्रमुख की कुर्सी से सेवा निवृत्त हुए आईपीएस के नाम पर विचार शुरू हुआ है। यह आईपीएस बेहद ईमानदार और गैर राजनीतिक हैं। इनकी छवि भी निर्विवाद रही है। यदि इन्हें राज्यपाल बनाया जाता है तो यह मध्यप्रदेश कैडर के दूसरे आईपीएस होंगे जो इस पद तक पहुंचेंगे। इनके पहले मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस मणिपुर के राज्यपाल रह चुके हैं।

डकैत संग्रहालय को लेकर विवाद
चंबल संभाग के भिण्ड शहर में बन रहे डकैत संग्रहालय में को लेकर विवाद हो गया है। बसपा विधायक ने इस संग्रहालय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधायक का मानना है कि ऐसे संग्रहालय बनाना एक तरह से डाकुओं का महिमा मंडन करना है। दरअसल भिंड पुलिस ऐसा संग्रहालय बना रही है, जहां चंबल के डाकुओं के इतिहास की जानकारी मिल सके। बसपा विधायक सहित अनेक बुद्धिजीवी भी इस संग्रहालय का विरोध कर रहे हैं। अधिकांश लोगों का कहना है कि डकैत संग्रहालय के बजाए भिंड में पुलिस शौर्य संग्रहालय बनना चाहिए, जिससे यह पता चल सके कि चंबल की डकैत समस्या को समाप्त करने में पुलिस ने कितनी कुर्बानी दी है। फिलहाल बसपा विधायक का मानना है कि संग्रहालय के बजाए भिंड को सैनिक स्कूल की जरूरत है।

मंत्री से नाराज सत्ता संगठन
मध्यप्रदेश में एक अति सक्रिय मंत्री से सत्ता और संगठन दोनों खासे नाराज हैं। मंत्रीजी का राजनैतिक जीवन कई कारणों से विवाद में रहा है। बमुश्किल इस बार चुनाव जीतने के बाद जातिगत समीकरण के चलते वे मंत्री तो बन गए, लेकिन उनकी कार्यशैली को लेकर मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दोनों ही संतुष्ट नहीं हैं। मंत्री जी कभी बिना संगठन से पूछे उपवास पर बैठ जाते हैं तो कभी अपनी ही सरकार के कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोल देते हैं। खबर है कि मंत्रीजी को संकेत दे दिए गए हैं कि यदि उन्होंने अपनी कार्यशैली सत्ता और संगठन के अनुरूप नहीं की तो उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।

ईडी के रडार पर वरिष्ठ आईएएस
मध्यप्रदेश के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रवर्तन निर्देशालय के निशाने पर हैं। ईडी ने पिछले दिनों ई-टेंडर घोटाले में भोपाल के जिस ठेकेदार को गिरफ्तार किया था, उससे इस अधिकारी के संबंधों की छानबीन शुरू हो गई है। ईडी ने प्रेस नोट जारी कर कहा है कि गिरफ्तार किया गया ठेकेदार हैदराबाद की कंपनी मेंटाना के लिए काम करता है। यह ठेकेदार वरिष्ठ अधिकारियों को रिश्वत भी पहुंचाता है। दरअसल ईडी को यह जानकारी मिली है कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने भोपाल में हाउसिंग बोर्ड से जो प्लाट 4.75 लाख में खरीदा था उसे इस ठेकेदार की बहन को 1 करोड़ 13 लाख में बेचा है। इसमें से अधिकांश रकम अरनी इनफ्रा फर्म से निकली है। जो जल संसाधन में उप ठेके लेती रही है।

विधानसभा सत्र और कोरोना
यह संयोग है या षड्यंत्र, लेकिन यह तय है कि मध्यप्रदेश में जैसे ही विधानसभा सत्र आहुत किया जाता है, भोपाल में कोरोना के आंकड़े बढऩे लगते हैं। पिछले सत्र को इन आंकड़ों के चलते स्थगित कर दिया गया था, लेकिन बाद में कांग्रेस ने आंकड़ों के नाम पर सरकारी धोखाधड़ी का आरोप लगाकर विशेष अधिकार भंग का नोटिस भी दिया था। मप्र में पिछले एक महीने से कोरोना के आंकड़े लगातार कम होते जा रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे विधानसभा का सत्र नजदीक आया कोरोना के आंकड़े बढ़ते गए। कई कांग्रेस विधायकों को आशंका है कि विधानसभा सत्र को छोटा करने आंकड़ों को बढ़ाया जा रहा है। यह शंका उस समय और बढ़ गई जब भाजपा के एक विधायक ने कोरोना को लेकर विधानसभा में सवाल लगाया और स्वास्थ्य विभाग ने इस विधायक को कोरोना संक्रमित बता दिया। बाद में विधायक ने स्वयं के संक्रमित होने पर आपत्ति की, तो स्वास्थ्य विभाग की दूसरी रिपोर्ट में विधायक निगेटिव पाए गए।

गरीबों से मजाक
चूल्हे पर धुंऐ के बीच खाना पकाने वाले गरीब परिवारों को उज्जवला योजना के तहत गैस चूल्हे और सिलेंडर तो दिला दिए गए, लेकिन गैस की कीमतों में भारी बढ़ोतरी और सब्सिडी लगभग समाप्त करने से गरीब स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। प्रदेश के अनेक जिलों में गरीब परिवार आर्थिक कारण से गैस सिलेंडर रिफिल नहीं करा पा रहे हैं और मजबूरी में जंगल से लकडिय़ां लाकर खाना बनाने के लिए मजबूर हैं। अकेले टीकमगढ़ जिले के अधिकारिक आंकड़े सामने आए हैं जहां उज्जवला योजना के तहत मिले सिलेंडर के 85 प्रतिशत हितग्राहियों ने सिलेंडर उठाकर रख दिए हैं और चूल्हे पर खाना बनाना शुरू कर दिया है।

…और अंत में
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ बेशक प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठे हैं, लेकिन उन्हें नेता प्रतिपक्ष कहलवाना पसंद नहीं है। उनके अधिकांश बयान पूर्व मुख्यमंत्री अथवा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में जारी होते हैं। प्रदेश कांग्रेस के आईटी सेल ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष की बजाए भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करना शुरू किया था, लेकिन अब उन्हें सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री कहलवाना ही पसंद है। कमलनाथ ने अभी भी अपने ट्वीटर पर स्वयं को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तो लिखा है लेकिन नेता प्रतिपक्ष नहीं।

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