नई दिल्ली । स्पेस (Space)में फंसी भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री(Indian-origin astronaut) यात्री सुनीता विलियम्स (Passenger Sunita Williams)अब वहां रहकर अलग-अलग तरह के और बेहद अद्भुत प्रयोग (very amazing experiment)कर रही हैं. सुनीता पिछले साल से अंतरिक्ष में हैं और उन्हें ‘फंसी हुई अंतरिक्ष यात्री’ भी कहा जा रहा है. 900 से ज्यादा घंटे रिसर्च काम में गुजारे हैं. अब तक उन्होंने तीन अंतरिक्ष मिशनों में 600 से ज्यादा दिन बिताए हैं और कुल 62 घंटे 9 मिनट तक स्पेसवॉक किया है, जो किसी भी महिला अंतरिक्ष यात्री के लिए सबसे ज्यादा है.
5 जून को पृथ्वी से हुई थी रवाना
सुनीता विलियम्स और उनके साथी बैरी विलमोर 5 जून 2024 को बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचे थे. यह मिशन सिर्फ 8 दिन का होना था, लेकिन तकनीकी समस्याओं, हीलियम रिसाव और अंतरिक्ष मलबे जैसी चुनौतियों की वजह से यह महीनों तक बढ़ गया.
900 घंटे तक की रिसर्च
अपने मिशन के दौरान, उन्होंने बोइंग स्टारलाइनर को उड़ाने का भी कार्य किया, जिसे उन्होंने खुद बनाने में मदद की थी और जो नासा को 4.2 अरब डॉलर में पड़ा. ISS में उन्होंने कई उपकरणों को बदला, सफाई की और बहुत सा कचरा जमीन पर वापस भेजने में मदद की. वे 150 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों में शामिल रहीं, जिसमें 900 घंटे से ज्यादा रिसर्च की गई.
वजन को लेकर क्या बोलीं सुनीता विलियम्स
उनकी लंबी यात्रा की वजह से उन्हें ISS की कमांडर बना दिया गया, जिससे उनके कंधों पर पूरे अंतरिक्ष स्टेशन की सुरक्षा और संचालन की जिम्मेदारी आ गई. उन्होंने स्पेस में खुद को सेहतमंद रखने के लिए वजन प्रशिक्षण भी किया और अपनी सेहत को लेकर उड़ रही अफवाहों का खंडन करते हुए कहा कि उनका वजन उतना ही है जितना आईएसएस आने पर था. उनके बिखरे हुए बालों ने भी काफी ध्यान खींचा, जिसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी मजाकिया टिप्पणी की.
पौधों पर भी की रिसर्च
सुनीता ने 30 जनवरी को पांच घंटे 26 मिनट की स्पेसवॉक पूरी की, जबकि 16 जनवरी को उन्होंने छह घंटे की स्पेसवॉक की थी. उन्होंने अंतरिक्ष में पौधों पर रिसर्च की, जिससे भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भोजन उगाने की संभावना तलाशी जा सके. इसके अलावा उन्होंने ISS पर जल पुनर्प्राप्ति तकनीक पर भी काम किया, जिससे फ्यूचर के अंतरिक्ष मिशनों में पानी को रिसाइकल किया जा सके.
खाने में पोषक तत्वों की कमी पर काम
उन्होंने अंतरिक्ष में पोषण बनाए रखने के लिए बायोन्यूट्रिएंट्स तकनीक पर भी काम किया, जिससे लंबे समय तक रखे गए भोजन में जरूरी पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सके. उन्होंने खास तौर पर डिज़ाइन किए गए ग्रोथ पैकेट तैयार किए ताकि पोषण संबंधी तत्वों का उत्पादन किया जा सके.
त्योहारों पर भेजी शुभकामनाएं
सुनीता ने अंतरिक्ष से दिवाली, क्रिसमस और नए साल की शुभकामनाएं भी भेजीं और अपने नाम वाले स्कूल के छात्रों के साथ बातचीत की. उन्होंने 2024 पेरिस ओलंपिक के प्रतिभागियों को भी शुभकामनाएं दीं. पृथ्वी पर लौटने के बाद, वे चार अलग-अलग अंतरिक्ष यान उड़ाने वाली पहली महिला बन जाएंगी – स्पेस शटल, सोयुज, बोइंग स्टारलाइनर और स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन.
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