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हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश एन.वी.रमण ने कहा, क्या इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर लाना उचित है


नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश एन.वी.रमण (Chief Justice NV Ramana) ने शुक्रवार को हिजाब मामले (Hijab Case) में कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) के अंतरिम आदेश (Interim Order) को चुनौती देने वाले (Challenging) एक याचिकाकर्ता (Petitioner) के वकील (Lawyer) से यह सोचने के लिए कहा कि क्या इस मुद्दे (This issue) को राष्ट्रीय स्तर पर (National level) लाना उचित है (Is it Appropriate to Bring )।


वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कर्नाटक उच्च न्यायालय को चुनौती देने वाली याचिका का उल्लेख किया। कामत ने कहा कि उच्च न्यायालय ने छात्रों को अपनी धार्मिक पहचान का खुलासा करने से रोक दिया है, जिसके परिणामस्वरूप अनुच्छेद 25 को निलंबित हो गया है और इसके बड़े परिणाम होंगे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा: “अदालत पहले से ही मामले की सुनवाई कर रही है।”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय का आदेश अभी तक सामने नहीं आया है और इसे इस मुद्दे पर फैसला करने की अनुमति दी जानी चाहिए। मेहता ने जोर देकर कहा कि इस मामले को न तो धार्मिक बनाया जाना चाहिए और न ही राजनीतिक।
मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा, “इन बातों को बड़े स्तर पर न फैलाएं.. हम इस पर कुछ भी व्यक्त नहीं करना चाहते हैं।” जस्टिस रमण ने कामत से कहा, “हम इसे देख रहे हैं और हम जानते हैं कि क्या हो रहा है. सोचें, क्या इसे राष्ट्रीय स्तर पर लाना उचित है.”

कामत ने याचिकाकर्ता की याचिका का जिक्र करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस अंतरिम आदेश को चुनौती दी, जिसमें अदालत ने इस मामले पर फैसला सुनाए जाने तक छात्रों को धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर नहीं देने का आदेश दिया था।

मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि यदि किसी एक का संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होता है तो वह उचित समय पर हस्तक्षेप करेगा और सभी के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने की उसकी जिम्मेदारी होगी। शीर्ष अदालत ने मामले के गुण-दोष में जाने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, “हम इसे उचित समय पर उठाएंगे।”

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