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पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख, कहा- तुरंत रोकें विज्ञापन

नई दिल्ली: पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कड़ा रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि और कंपनी के MD बालकृष्ण (Balkrishna) को कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने पर अवमानना नोटिस (contempt notice) जारी क‍िया है.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि आदेशों के बावजूद भी विज्ञापन पब्लिश करना कहीं से भी सही नही है. नवंबर 2023 में पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों और उसके स्वामी बाबा रामदेव के बयानों पर आपत्ति जताने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई थी.

‘बेहद गंभीर मुद्दा है’
सुप्रीम कोर्ट ने आयुष मंत्रालय से सवाल किया कि इस मामले में अब तक क्या कदम उठाए गए हैं. ये (पतंजलि आयुर्वेद का विज्ञापन) बेहद गंभीर मुद्दा है. हम आगे से पतंजलि के विज्ञापनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार अपनी आंखें बंद करके बैठी है. ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. कोर्ट ने कहा क‍ि सरकार को तत्काल कुछ कार्रवाई करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के डायरेक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और पूछा है क‍ि क्यों न उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाया जाए. कोर्ट ने इस मामले में तीन हफ्ते में जवाब मांगा है.


सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को अपनी दवाओं के विज्ञापनों पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने पतंजलि को उसके मैन्युफैक्चर्ड और मार्केट किए गए प्रोडक्ट्स का विज्ञापन करने से रोक दिया है, इन प्रोडक्ट में अस्थमा, डायबिटीज, मोटापा और इसी तरह की बीमारियों के इलाज का दावा किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बातें

  • सरकार इस मामले में अपनी आंखें बंद करके बैठी है.
  • इस तरह के विज्ञापनों से पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है, ये दुर्भाग्यपूर्ण है.
  • इस मामले में सरकार को तुरंत ही कोई कार्रवाई करनी चाहिए.
  • पतंजलि को अपनी दवाओं के विज्ञापनों पर तुरंत रोक लगाने का आदेश.

पूर्व CJI ने लगाई थी फटकार
तत्कालीन CJI एनवी रमना (अब रिटायर्ड) की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि योग गुरु स्वामी रामदेव बाबा को क्या हो गया है? आखिरकार हम उनका सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया. हम सभी योग करते हैं. लेकिन, उन्हें दूसरे तरीकों की आलोचना नहीं करनी चाहिए. आखिर इसकी क्या गारंटी है कि जिस आयुर्वेद प्रणाली का पालन कर रहे हैं, वो काम करेगा ही? आप विज्ञापन देखिए जिनमें सभी डॉक्टरों पर आरोप लगाए गए हैं, जैसे कि वे हत्यारे या कुछ और हों. बड़े पैमाने पर इस तरह के विज्ञापन दिए गए हैं.

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