ब्‍लॉगर

शुभ की प्रशंसा राष्ट्र हितैषी

– हृदयनारायण दीक्षित विश्व कर्मप्रधान है। तुलसीदास ने भी लिखा है- कर्म प्रधान विश्व रचि राखा। सत्कर्म की प्रशंसा और अपकर्म की निन्दा समाज का स्वभाव है। लोकमंगल से जुड़े कर्मों की प्रशंसा से समाज का हित संवर्द्धन होता है। प्रशंसा का प्रभाव प्रशंसित व्यक्ति पर भी पड़ता है। वह लोकहित साधना में पहले से […]