ब्‍लॉगर

राष्ट्रवाद की चेतना भरने वाले दिनकर राष्ट्रकवि ही नहीं तेज-पुंज कुंभ थे

– सुरेन्द्र किशोरी 24 अप्रैल 1974 की वह मनहूस शाम न केवल गंगा की गोद में उत्पन्न दिनकर के अस्ताचल जाने की शाम थी, बल्कि हिंदी साहित्य के लिए भी मनहूस साबित हुई। उस रात भारतीय साहित्य के सूर्य राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर सदा के लिए इस नश्वर शरीर को त्याग कर स्वर्ग लोक की […]