विदेश

टीटीपी आतंकियों पर लगाम नहीं लगा पाया तालिबान, पाकिस्तान सरकार ने किया विरोध प्रदर्शन

इस्लामाबाद। प्रतिबंधित आतंकी (terrorists) गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को बेअसर करने में काबुल की नाकामी के बाद पाकिस्तान (Pakistan) ने एक प्रमुख नीतिगत बदलाव किया है। इसके तहत उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अफगान तालिबान (Taliban) के मामले का समर्थन नहीं करने या कोई अन्य सहायता नहीं देने का फैसला किया है।

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामाबाद अब अंतरिम अफगान तालिबान सरकार (government) को कोई ‘विशेष विशेषाधिकार’ नहीं देगा, जो दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गिरावट का संकेत देता है। टीटीपी, जिसका अफगान तालिबान के साथ वैचारिक संबंध है और जिसे पाकिस्तान तालिबान के नाम से भी जाना जाता है, की स्थापना 2007 में कई आतंकवादी संगठनों के एक छत्र समूह के रूप में की गई थी।

इसका मुख्य उद्देश्य पूरे पाकिस्तान में इस्लाम का अपना सख्त ब्रांड थोपना है। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि सत्ता में आने के बाद अफगान तालिबान टीटीपी कार्यकर्ताओं को बाहर निकालकर पाकिस्तान के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल बंद कर देगा, लेकिन उन्होंने इस्लामाबाद के साथ तनावपूर्ण संबंधों की कीमत पर ऐसा करने से इन्कार कर दिया है।


संयुक्त राष्ट्र की टीम को पाकिस्तान आने से रोका
पाकिस्तान में अफगानिस्तानी सीमा और खैबर के आदिवासी जिले में आम नागरिकों पर अत्याचारों की पोल खुलने के डर से पाकिस्तानी गृह मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी आयोग को आतंकी हमले का अलर्ट दिखाकर आने से रोका है। इन अत्याचारों पर अफगानिस्तान ने भी नाराजगी जताई है। उधर, पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में अफगानिस्तान के शरणार्थी नागरिकों पर हो रहे अत्याचार को लेकर यूएन शरणार्थी उच्चायोग की एक टीम वहां का दौरा कर असली जमीनी हालात का आकलन करना चाहती है।

पाक को अपनी ही नीति से पलटना पड़ा
पाक के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अगस्त 2021 में सत्ता में वापसी के बाद अफगानिस्तान ने तालिबान सरकार को दी गई पाकिस्तान की सद्भावना और सहायता को हल्के में लिया गया। पाकिस्तान उसके मुख्य समर्थक और वकील के रूप में उभरा, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और हितधारकों विशेष रूप से पश्चिमी देशों से काबुल में नए शासकों के साथ जुड़े रहने का आग्रह किया। लेकिन अब उसकी नीतियों में बदलाव आ गया है।

इसका एक बड़ा कारण तोरखम सीमा पर लगातार होने वाली झड़पें और अफगानिस्तानी शरणार्थियों को देश से बाहर करते वक्त तालिबान का विरोध है। बता दें कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान प्रशासन के साथ दोस्ती का उस वक्त हाथ बढ़ाया था जब पूरी दुनिया के देश उसे अलग-थलग कर रहे थे। पाक ने यूएन में भी उसे जगह देने की सिफारिश की थी।

Share:

Next Post

पुतिन ने पाकिस्तान से वापस मांगे अपने हेलीकॉप्टर के इंजन, जानिए क्या है कारण

Fri Nov 10 , 2023
मॉस्को। रूस (Russia) ने पाकिस्तान (Pakistan) से अपने Mi-35M हेलीकॉप्टर के इंजन (helicopter engines) वापस करने को कहा है। रूस ने ये मांग ऐसे समय की है, जब वह यूक्रेन के साथ एक लंबे युद्ध में उलझा हुआ है। जिससे उसके सामने सैन्य संसाधनों की आवश्यकता पूरा करने की चुनौती है। ऐसे में मॉस्को ने […]