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अफ़गानिस्तान के 85 प्रतिशत हिस्से पर तालिबान ने जमाया कब्‍जा, भारत ने किया है बड़े स्‍तर पर निवेश

काबुल। भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान (Afghanistan) में 90 का दशक ऐसा था कि वहां तालिबान (Taliban) की तूती बोलती थी. लेकिन 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका (America) ने ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) की तलाश में जब अफगानिस्तान (Afghanistan) में हमला किया, तब तालिबान (Taliban) की सल्तनत को भी उखाड़ फेंका.
पिछले 20 सालों से अमेरिकी सैनिक (American Army) तालिबान (Taliban) को तबाह करने के लिए अफगानिस्तान में ही डटे हुए थे. दुनिया ने सोचा था कि वहां अमेरिका की मौजूदगी तालिबान को तबाह कर देगी लेकिन अरबों डॉलर बर्बाद करने और अपने ही हज़ारों सैनिकों की मौत के बाद अमेरिकी सैनिक वापस लौट रहे हैं और इसी के साथ अफगानिस्तान में लौट रहे हैं तालिबानी आतंकी. जिनके लिए अब काबुल भी दूर नहीं है.
जिसका डर था, वही हो रहा है. अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना (American Army) के रुखसत होते ही तालिबान का कोहराम शुरू हो चुका है. हर तरफ गोलियों की तड़तड़ाहट. लूट मार. कब्ज़ा जारी है. जगह जगह अफगान आर्मी तालिबानी लड़ाकों से सामने सरेंडर करने को मजबूर हैं. अब तक देश के 85 फीसदी से ज़्यादा हिस्से पर तालिबानी लड़ाके अपना कब्ज़ा जमा चुके हैं और वो लगातार कॉम्बिंग करते हुए काबुल की तरफ बढ़ रहे हैं.



खबरों के मुताबिक अब तक तालिबान ने मुल्क के करीब 193 जिलों में कब्जा जमा लिया है. बाकी 139 जिलों में तालिबान और अफगानिस्तान की आर्मी के बीच टकराव जारी है. अब महज़ 75 जिलों में अफगानिस्तान की सरकार का नियंत्रण बचा है. इस वक्त भी तालिबान के कई शहरों में युद्ध चल रहा है. कई इलाकों में बमबारी हो रही है. बदलते हालात में अपनी जान बचाने के लिए अफगान के लोग दूसरे देशों में शरणार्थी बनने मजबूर हो रहे हैं. तालिबान की तरफ से ये भी दावा किया जा रहा है कि बहुत जल्द उसका काबुल पर कब्जा हो जाएगा.
शहर में घुसकर लोगों के घरों पर कब्जा किया जा रहा है. ज़ाहिर है ऐसे हालात में आतंकियों से निपटना मुश्किल हो रहा है. तालिबान का अगला प्लान अफगान के बड़े शहरों पर जल्द से जल्द कब्ज़ा जमाने का है. ऐतिहासिक गजनी शहर को तालिबान ने घेर लिया है. गजनी वो इलाका है, जहां से काबुल और कंधार का अहम रास्ता गुजरता है. यानी तालिबानियों के लिए अब कंधार दूर नहीं.
अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी यकीनन पड़ोसी मुल्कों के लिए चिंता का सबब है. खासकर भारत के लिए. क्योंकि बीते 2 दशक के दौरान हिंदुस्तान ने अफगान में भारी भरकम निवेश किया. निवेश के अलावा भारत अफगानिस्तान के रिश्तों को भी नये आयाम मिले. लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. अफगान में बदलते हालात भारत के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि 2001 से अब तक भारत ने अफगानिस्तान में तकरीबन 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है. भारत ने अफगानिस्तान में इंफ्रास्ट्रक्चर, सिचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य और एनर्जी सेक्टर में निवेश किया है.

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