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बॉलीवुड में शोहरत के लिए बाउंसर बनने को भी तैयार तमन्ना, ऋतिक रोशन के लिए करेंगी ये काम

मुंबई। बाउंसर के जॉब में ज्यादातर पुरुषों को ही देखा जाता है, लेकिन अब धीरे धीरे महिलाएं भी इस क्षेत्र में अपना करियर बना रही हैं। इसी विषय को आधार बनाकर निर्देशक मधुर भंडारकर ने फिल्म ‘बबली बाउंसर’ बनाई है जिसमें लीड भूमिका में साउथ की स्टार अभिनेत्री तमन्ना भाटिया ने निभाई है। सोमवार को मुंबई में इस फिल्म का ट्रेलर लांच हुआ जहां पर तमन्ना भाटिया की भूमिका के मुताबिक ट्रेलर लांच के दौरान महिला बाउंसर के गेटअप में ही दिखीं।

होटल हो, क्लब या फिर कोई समारोह या फिर शूटिंग। ऐसे अवसरों पर बाउंसर की सक्रियता काफी देखने को मिलती है। फिल्मी इवेंट में सुरक्षा से ज्यादा तो यह एक फैशन सा बन गया है। जिस स्टार की जितने बाउंसर के साथ एंट्री होती है, उसको उतना भी बड़ा स्टार समझा जाने लगा है। शूटिंग के दौरान भी स्टार्स बाउंसर से घिरे रहते है। ऐसे में तमन्ना भाटिया को अगर मौका मिले तो किस स्टार की बाउंसर बनकर उनको सुरक्षा देंगी। इस सवाल का जवाब उन्होंने कुछ यूं दिया।

‘बबली बाउंसर’ के ट्रेलर लांच के मौके पर बातचीत के दौरान तमन्ना भाटिया ने बताया कि अगर मौका मिले तो वह ऋतिक रोशन की बाउंसर बनेंगी। दूसरा नाम उन्होंने विक्की कौशल का लिया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अब खुद किसी बाउंसर की जरूरत नहीं है, क्योंकि ‘बबली बाउंसर’ की शूटिंग के दैरान वह सीख गई हैं कि अपनी सुरक्षा कैसे कर सकती हैं? उन्होंने बताया, ‘इस भूमिका को निभाने के लिए मसल्स बनाने से भी ज्यादा जरूरी यह था कि अंदर से मजबूत कैसे दिखें।’


तमन्ना भाटिया को इस बात का शुरू से ही मलाल रहा है कि उन्हें साउथ में जितनी लोकप्रियता मिली है। उतनी लोकप्रियता बॉलीवुड में नहीं मिली है। वह कहती है, ‘हिंदी के बाद जब मैने साउथ की फिल्मों में काम करना सीखा तो वहां की भाषा मैने सबसे पहले सीखी, मुझे वहां बहुत सम्मान और प्यार मिला। मैं चाहती हूं कि ‘बबली बाउंसर’ के बाद मुझे भी यहां के लोगों से उतना ही प्यार और सम्मान मिले। इस फिल्म में मैने जो किरदार निभाया है। वह लोगों को ज्यादा कनेक्ट करेगा।’

‘बबली बाउंसर’ में तमन्ना भाटिया फर्राटेदार हरियाणवी बोलती नजर आ रही हैं। यह पूछे जाने पर की हरियाणवी भाषा सीखने में उन्होंने किसकी मदद ली। वह कहती हैं, ‘मेरी भाभी खुद हरियाणा से है। इस लिए भाषा सीखने में मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। जब साउथ की तमिल और तेलुगू बोलना सीख ली तो हरियाणवी भाषा सीखना तो मेरे लिए बहुत आसान था। मुझे हरियाणवी लोग बहुत अनोखे लगते हैं। उनके कल्चर में जो ह्यूमर है, उसे करने की कोशिश की है।’

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