मुंबई: महाराष्ट्र में विधान परिषद की 10 सीटों के लिए 20 जून को होने वाले चुनाव से पहले सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी गठबंधन में अनबन नजर आ रही है. इस अहम चुनाव से कुछ दिन पूर्व ही एमवीए में नाराजगी का दौर शुरू हो गया है. शिवसेना ने अपने सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस से कहा है कि वह अपने-अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए अतिरिक्त वोट हासिल करने के मामले में उससे सहयोग की उम्मीद न करें. इसके चलते अब कांग्रेस और एनसीपी निर्दलीय और छोटे दलों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश में जुट गई है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एमएलसी के इस चुनाव में तीनों सहयोगी अपनी-अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिससे निकाय और जिला चुनावों से पहले एमवीए में अविश्वास की स्थिति पैदा हो सकती है. वर्तमान समय में तीनों पार्टियों का एक-दूसरे के प्रति व्यवहार राज्यसभा चुनाव से पूर्व ठीक उलट नजर आ रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक राजस्यभा चुनाव में शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार संजय पवार की हार एमवीए में मनमुटाव का कारण बन गई है, क्योंकि शिवसेना के शीर्ष नेताओं को पता है कि राज्यसभा के चुनाव में भाजपा को वोट देने वाले कुछ निर्दलीय विधायकों के कुछ एनसीपी नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. एमवीए में शामिल तीनों पार्टियों में से प्रत्येक ने एमएलसी की सीटों के लिए दो-दो उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने उद्योग मंत्री सुभाष देसाई और परिवहन मंत्री अनिल परब को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी है कि पार्टी के दोनों उम्मीदवार चुने जाएं और क्रॉस वोटिंग न हो.
वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी इस पर जोर देने के लिए पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों के साथ बंद कमरे में बैठक की है. वहीं कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेता और राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट पार्टी के दो उम्मीदवारों को निर्वाचित कराने की जिम्मेदारी संभालेंगे. पार्टी कुछ निर्दलीय और छोटी पार्टियों को दूसरी सीट के लिए जरूरी वोट हासिल करने के लिए लुभा रही है. 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं.
वहीं एक एमएलसी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए विधायकों की वास्तविक संख्या के आधार पर आवश्यक न्यूनतम कोटा 26 या 27 होने की संभावना है. बता दें कि राज्य विधानसभा में 288 सीट हैं, लेकिन प्रभावी ताकत 287 है, क्योंकि इस साल की शुरुआत में शिवसेना के एक विधायक की मृत्यु हो गई थी. बता दें कि एनसीपी के दो विधायक पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में हैं, यदि वे मतदान में भाग नहीं ले पाएंगे तो मतदाताओं की संख्या 285 होगी.
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