रोहतक। राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा (Rajya Sabha MP Deepender Hooda) ने कहा कि मौजूदा सरकार में नीति निर्धारण (Policy making in the current government) करते हुए सिर्फ धनाढ्य लोगों का लाभ देखा जाता है और किसान व मजदूरों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। आज गरीब, किसान और मजदूर की इस कद्र उपेक्षा की जा रही है कि मानो वो देश के नागरिक ही नहीं हैं। सरकार चंद धनकुबेरों के हाथों का खिलौना बनकर रह गई है। इसीलिए महामारी और मंदी के इस दौर में जहां आम आदमी की जेब खाली हुई है, वहीं चंद धनाढ्यों की संपत्ति में 10 लाख करोड़ इजाफा हुआ है।
उन्होंने सदन में बताया कि आज भारत में गरीब-अमीर में अंतर दुनिया में सबसे ज्यादा हो गया है। आज सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों के पास देश की संपत्ति का 42 प्रतिशत है, जबकि सबसे गरीब 50 प्रतिशत के पास 3 प्रतिशत से भी कम है। असमानता बढऩे का मुख्य कारण सरकार की आर्थिक नीतियों की दिशाएं हैं। सरकार कॉर्पोरेट टैक्स घटा रही है और गरीबों पर टैक्स लगाकर उनकी जेब से पैसा निकाल रही है।
सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि संसद के बजट सत्र के दौरान सरकार का रवैया पूरी तरह दुर्भाग्यपूर्ण रहा। इस सत्र में सरकार का गरीब, किसान और मजदूर विरोधी चेहरा सबके सामने आ गया। उन्होंने बार-बार सदन में सरकार से किसानों के प्रति संवेदनशील रुख अपनाने की अपील की, लेकिन सरकार हठधर्मिता और घंमड त्यागने को तैयार नहीं हुई। उन्होंने कहा कि किस नियत नहीं तो इंसानियत के नाते वो आंदोलन पर विचार करे। उन्होंने आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि और परिवारों को नौकरी व आर्थिक मदद देने की मांग उठाई, लेकिन किसान परिवारों को आर्थिक सहायता या नौकरी तो दूर, सरकार शहीदों को श्रद्धाजंलि तक देने के लिए तैयार नहीं थी। (एजेंसी, हि.स.)
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