इंदौर न्यूज़ (Indore News)

रालामण्डल में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है हिरणों का कुनबा

सुखद खबर …4 तेन्दुओं के बावजूद

3 प्रजाति के 136 हिरण है राला मण्डल में

इंदौर। रालामण्डल अभयारण्य (Ralamandal Sanctuary) में तेंदुए, जंगली सूअर, नीलगाय, लकड़बग्घा, सियार सहित 10 प्रजाति के लगभग 332 बड़े वन्यजीव मौजूद हैं। इन्हीं वन्यजीवों के साथ रालामण्डल में 3 प्रजाति के लगभग 136 हिरण भी रहते हैं। हिरणों की इतनी बड़ी संख्या में मौजूदगी बताती है कि हिरणों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। मतलब अन्य वन्यजीवों की तुलना में हिरणों का कुनबा बड़ी तेजी से बढ़ रहा है।


रालामण्डल अभयारण्य के एसडीओ योहान कटारा (SDO Yohan Katara of Ralamandal Sanctuary) के अनुसार अभयारण्य में तीन प्रजाति के हिरण हैं, जिसमें काले हिरण की संख्या 55 हैं, वहीं इसकी संख्या साल 2020 में 33 थी, वहीं चीतल हिरण की संख्या साल 2020 में 48 थी। अब इनकी संख्या 75 हो गई है। इन दोनों के अलावा तीसरी प्रजाति बार्किंग डियर यानी सुनहरे हिरण की है। मगर इसकी संख्या में कोई इजाफा नही हुआ है। साल 2020 में इसकी संख्या 5 थी। अब इसकी संख्या 6 ही है। वन विभाग के अनुसार जंगल में खाद्य शृंखला के कारण हर जीव दूसरे बड़े जीव का भोजन है। इस वजह से क़ई वन्यजीवों की संख्या बढ़ नहीं पाती है। रालामण्डल अभयारण्य में हिरण पार्क में सभी प्रकार के हिरण पर्यटकों को आसानी से सिर्फ नजर ही नहीं आते, बल्कि वह उनके साथ घुलमिल जाते हैं। क़ई बार बच्चे उन्हें अपने घर ले चलने की जिद पर भी अड़ जाते हैं।

14 प्रकार के वन्यजीव हैं अभयारण्य में
रालामण्डल अभयारण्य में लगभग 14 प्रजाति के वन्यजीव हैं, जिनमें 4 तेंदुए, 55 काले हिरण, लगभग 6 बार्किंग डियर यानी ब्राउन हिरण, 75 चीतल, 22 लकड़बग्घे, 25 लोमड़ी, 78 नीलगाय, 45 जंगली सूअर,16 सियार, 5 चिंकारा व 18 कस्तूरी बिलाव हैं। इनके अलावा अनगिनत संख्या में खरगोश,सेही और मोर भी हैं।

35 साल का हो गया रालामण्डल
लगभग 35 साल पहले 1989 में स्थापित रालामंडल वन्यजीव अभयारण्य लगभग 5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पर क़ई प्रजाति के पेड़ और औषधीय वनस्पति के अलावा दुर्लभ जड़ी-बूटियों की भरपूर वन संपदा है।

रालामण्डल अभयारण्य में अधिकांश वन्यजीवों का कुनबा बढ़ता जा रहा है। रालामण्डल अभयारण्य में लगभग 10 प्रकार के 332 बड़े वन्यजीव हैं। सबसे ज्यादा संख्या हिरण प्रजाति की है, वहीं खरगोश, सेही, मोर की संख्या अनगिनत मतलब बहुत ज्यादा है।
-योगेश यादव, फारेस्ट रेंजर रालामण्डल अभयारण्य इंदौर

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