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चौड़ी होती जा रही BJP-JJP के बीच की खाई, ये दो सीटें बन सकती हैं गठबंधन टूटने की वजह

चंडीगढ़। हरियाणा से लगातार BJP और JJP के बीच खटपट की खबरें आ रही हैं। सरकार में शामिल दोनों दलों के बीच चल रही इस खटपट की कई वजहें हैं। इन वजहों में से एक है- उचाना कलां विधानसभा सीट और हिसार विधानसभा सीट। ये दोनों सीटें दशकों से हरियाणा के दो प्रमुख सियासी परिवारों – चौटाला और बीरेंद्र सिंह – के बीच विवाद की जड़ बनी हुई हैं। साल 2024 में होने वाले चुनावों में दोनों ही पार्टियां इन सीटों पर अपना-अपना दांव जता रही हैं।

इस समय उचाना कलां विधानसभा से जेजेपी के नेता और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला विधायक हैं जबकि हिसार लोकसभा सीट पर बीजेपी नेता बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेन्द्र सिंह सांसद हैं। दोनों ही परिवारों के बीच इन सीटों पर कई बार मुकाबला हुआ है। दुष्यंत इनेलो के दिग्गज और हरियाणा के पूर्व सीएम ओपी चौटाला के पोते हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बृजेन्द्र सिंह ने दुष्यंत चौटाला को मात दी थी। इसके कुछ महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में दुष्यंत ने बृजेंद्र की मां प्रेम लता को हराया था।

विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी हरियाणा की सबसे बड़ी पार्टी बनी। बीजेपी को 40 सीटें मिली और उसने 10 सीटों वाली जेजेपी के समर्थन से सरकार बनाई। पिछले कुछ समय से इन दोनों ही पार्टियों के बीच में विवाद बढ़ता ही जा रहा है। दोनों ही दल कुछ समय से सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर रहे हैं। मजेदार बात यह है कि दोनों ही दलों ने इसके लिए तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। अमित शाह 18 जून को हिसार में रैली संबोधित कर चुके हैं। अब आने वाली 2 जुलाई को जेजेपी सोनीपत जिले से अपनी रैलियों की शुरुआत करने जा रही है।

बीजेपी के एक सीनियर नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि यह संयोग की ही बात है कि दोनों परिवार- चौटाला और सिंह, अब एक-दूसरे के साथ गठबंधन में हैं। इससे पहले दोनों ही परिवार उचाना कलां विधानसभा में करीब चार दशक से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते रहे हैं। दोनों ही दल इस सीट को अपना गढ़ मानते हैं, इसीलिए वो इसे छोड़ना नहीं चाहते। 2024 के चुनावों में भी इस बात की प्रबल संभावना है कि दोनों परिवारों में यहां कांटे का मुकाबला देखने को मिले।

हिसार लोकसभा सीट पर बीरेंद्र सिंह ने साल 1984 में पहली बार ओपी चौटाला को हराया था। साल 2014 में दुष्यंत इस सीट से सांसद बने। उस समय बृजेंद्र सिंह सिविल सेवा में थे। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बृजेंद्र ने IAS पद से इस्तीफा देकर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और दुष्यंत चौटाला को हराया। बीरेंद्र सिंह बीजेपी से पहले कांग्रेस के साथ थे। वह उचाना कलां से पांच बार चुनाव जीते हैं। उन्हें 2009 के चुनाव में ओपी चौटाला ने हराया। 2014 में उनकी पत्नी ने दुष्यंत को इस सीट पर हराया। इसी साल बीरेंद्र सिंह बीजेपी में शामिल हो गए थे और उन्हें मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया।


चौटाला और बीरेंद्र परिवार की वजह से टूटेगा गठबंधन
बीजेपी के एक अन्य सीनियर नेता ने बताया कि चौटाला और बीरेंद्र सिंह के परिवार के बीच चल रहा द्वंद आने वाले दिनों में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन टूटने की बड़ी वजह बन सकता है। हालांकि अभी तक यह तय नहीं है कि बीजेपी हिसार से बृजेंद्र सिंह को मैदान में उतारेगी या नहीं लेकिन चौटाला परिवार निश्चित ही अपने परिवार के ही किसी सदस्य को यहां से अगला लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहेंगे।

हो सकता है कि चौटाला परिवार दुष्यंत के छोटे भाई दिग्विजय को यहां से चुनाव लड़वाए। वो सोनीपत लोकसभा और जींद विधानसभा से किस्मत आजमा चुके हैं लेकिन दोनों जगहों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि ये भी हो सकता है कि जेजेपी इस सीट से किसी और को उतार दे लेकिन अभी जो पूरी तरह स्पष्ट है, वो यह कि बीजेपी और जेजेपी दोनों ही पार्टियां इस सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं। अगर बीजेपी हिसार में बृजेंद्र को रिपीट नहीं करती है तो भी पार्टी यह सीट गठबंधन के नाम पर जेजेपी के लिए नहीं छोड़ेगी।

प्रेम लता को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है बीजेपी
हरियाणा बीजेपी की इंचार्ज और त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब देव वर्चुअली उचाना कलां विधानसभा से प्रेम लता को 2024 विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं। उनके इस ऐलान के बाद जेजेपी की प्रतिक्रिया भी आ चुकी है। जेजेपी का कहना है कि दुष्यंत इस सीट से प्रेम लता को 48 हजार से ज्यादा वोटों से हरा चुके हैं और वो यहां से दोबारा चुनाव लड़ेंगे।

बिप्लब की घोषणा के बाद बीजेपी और जेजेपी के बीच तल्खी तेज हो गई है। पिछले हफ्ते ही बृजेंद्र सिंह और दिग्विजय सिंह चौटाला के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई थी। बृजेंद्र पर हमला बोलते हुए दिग्विजय चौटाला ने कहा कि हिसार अपने लापता सांसद को खोज रहा है। इसके जवाब में बृजेंद्र सिंह ने कहा कि वो अपने परिवार की पार्टी का एक स्वयंभू नेता है, जो कभी सरपंच का चुनाव भी नहीं जीता है। वो कहता कुछ है लेकिन करता कुछ और है। ऐसे व्यक्ति के बयान पर प्रतिक्रिया देना मेरे लिए उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी का कोई भी नेता और कोई भी कार्यकर्ता जेजेपी के साथ गठबंधन से खुश नहीं है।

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