जबलपुर न्यूज़ (Jabalpur News)

भारत में तेजी से बढ़ रही अस्थमा के मरीजों की संख्या

  • उपचार के लिए जागरुकता की जरूरत

जबलपुर। अस्थमा के कम निदान और उपचार के लिए विभिन्न योगदान कारकों में रोग जागरूकता की कमी, इनहेलेशन थेरेपी का खराब पालन, निरक्षरता, गरीबी और सामाजिक कलंक शामिल हैं। रोगी अक्सर अपने शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं जो अंतत: उन्हें और अधिक गंभीर स्थिति में ले जाता है। ग्लोबल अस्थमा नेटवर्क के अध्ययन के अनुसार, भारत में शुरुआती लक्षणों वाले 82 फीसदी और गंभीर अस्थमा के 70 फीसदी मरीजों का पता नहीं चल पाता है। निदान किए गए रोगियों में इष्टतम उपचार के पालन का प्रतिशत भी बहुत कम है, जिसमें 2.5 प्रतिशत से कम रोगी दैनिक इनहेलेशन थेरेपी का उपयोग करते हैं।


अस्थमा, जिसे अक्सर आम जनता द्वारा स्वास, दमा या सर्दी और खांसी के रूप में संदर्भित किया जाता है, एक पुरानी सांस की बीमारी है जो सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, खांसी और घरघराहट का कारण बनती है। यह रोग फेफड़ों के वायुमार्ग को प्रभावित करता है, जिससे पुरानी सूजन हो जाती है, जिससे वायुमार्ग ट्रिगर के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है जिससे अस्थमा के दौरे की संभावना बढ़ जाती है। जीएएन अध्ययन का हवाला देते हुए डॉ दीपक शुक्ला ने अस्थमा के प्रति सामाजिक कलंक को दूर करने के महत्व पर जोर दिया। जब एक दमा का रोगी एक डॉक्टर से परामर्श करता है, तो केवल 71प्रतिशत डॉक्टर ही अस्थमा का निदान अपनी बीमारी के नाम के रूप में देते हैं जबकि एक तिहाई (29प्रतिशत)अन्य शब्दावली का उपयोग करते हैं। साथ ही रोगी स्तर पर केवल 23 प्रतिशत दमा के रोगी ही अपनी बीमारी को अस्थमा कहते हैं। अस्थमा और इनहेलर के उपयोग से जुड़े सामाजिक कलंक प्रचलित हैं। इसके अलावाए रोगी मुश्किल से दवा का पालन करते हैं और ज्यादातर लक्षण आधारित उपचार लेते हैं। अस्थमा के खिलाफ जीत के लिए जागरूकता, स्वीकृति और पालन को गठबंधन करने की जरूरत है। डॉ दीपक शुक्ला ने बताया कि अस्थमा को एक कलंक के रूप में माना जाता है और कई रोगी इस बीमारी को छुपाते हैं। यह केवल तब होता है जब लक्षण बढ़ जाते हैं या असहनीय होते हैं। एक रोगी एक चिकित्सक से परामर्श करता है और निर्धारित दवा लेगा। हमें रोगियों को यह याद दिलाते रहना चाहिए कि लक्षण मुक्त अस्थमा मुक्त नहीं है। यह अस्थमा प्रबंधन में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। कई मरीज़ बेहतर महसूस करने पर इनहेलर का इस्तेमाल बंद कर देते हैं। रोगियों के लिए समय की आवश्यकता है कि वे एक चिकित्सक के साथ समय पर परामर्श प्राप्त करें, जो उसे अपने लक्षणों के लिए सही जानकारी और निदान प्राप्त करने में मदद करेगा और सही उपचार के साथ शुरुआत करेगा। अस्थमा के प्रबंधन के लिए समय पर निदान बहुत महत्वपूर्ण है। अपने अस्थमा के लक्षणों को समझें और अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Share:

Next Post

आरती से होती है पूजा की पूर्णता : ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद जी महाराज

Thu May 4 , 2023
जबलपुर। बगलामुखी सिद्ध पीठ शंकराचार्य आश्रम सिविक सेंटर महाकाल जबलपुर में वैशाख माह के पुनीत पर्व पर आयोजित पंच महापर्व आरती के प्रसंग पर पूज्य ब्रह्मचारी श्री सुबुद्धानन्द जी महाराज ने बताया कि आरती पूजा का अंग है तथा आरती करते करने मात्र से पूजा की पूर्णता हो जाती है। आरती से संपूर्ण पूजा का […]