खरी-खरी

जो मुल्क का नहीं हुआ…वो कौम का कैसे हो पाएगा… जिनका पूरा हिन्दुस्तान है… वो खालिस्तान में कैसे सिमट जाएगा…


जिनका है पूरा हिन्दुस्तान… वो मांग रहे हैं खालिस्तान… एक बार फिर बहके हुए लोग सिर उठा रहे हैं… शांति की बयार में हिंसा, अलगाव और नफरत की चिंगारी लगा रहे हैं… उस कौम को भडक़ा बहला-फुसला रहे हैं जिस कौम ने इस देश की आजादी में भगतसिंह बनकर अंग्रेजों से मुकाबला किया… पंच प्यारों ने मुगलों के अहंकार को जमींदोज किया… जो कौम हिन्दुओं की रक्षक कहलाती है… जो कौम इस मुल्क की हिस्सेदार मानी जाती है… उस कौम के नाम पर देश के टुकड़े करने की हिमाकत करने वाले खालिस्तानी समर्थकों ने एक बार फिर पंजाब में कोहराम मचाया… खालिस्तान समर्थक लवप्रीत की गिरफ्तारी पर अजनाला शहर के थाने पर हमला कर सरकार पर दबाव बनाया… और सरकार ने भी युवक की रिहाई कर अपना पिंड छुड़ाया, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम देने वाले पंजाब के खालिस्तानी संगठन वारिस पंजाब दे के मुखिया अमृतपालसिंह ने एक ऐसा बयान देकर पूरे देश को चौंकाया कि मैं खुद को भारतीय नहीं मानता हूं… पासपोर्ट भारत का होने से कोई भारतीय नहीं हो जाता है… एक दस्तावेज किसी की राष्ट्रीयता का सबूत नहीं कहलाता है… अपनी जुबान से जहर उगलने वाले अमृतपाल के लफ्जों से जिस देशद्रोह की चिंगारी नजर आ रही है… वो उस भिंडरावाले की याद दिला रही है… जिसने लोगों को भडक़ाया था… खालिस्तान की मांग को सुलगाया था… और बदले में नफरत का ऐसा बवंडर फैलाया था कि देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी जान गंवाई… नफरत की आग पूरे सिख कौम के हिस्से में आई… पूरे देश में वो कत्लेआम नजर आया, जिसका दर्द आज तक नहीं मिट पाया… एक बार फिर जहरीले नाग सिर उठा रहे हैं… जो खुद को भारतीय नहीं मानते वो इस देश में कैसे अपना मुकाम बना रहे हैं… कैसे वो सिखों के नुमाइंदे बनकर पूरी कौम का झंडा उठा रहे हैं… पंजाब की सरकार भी कैसे उनके आगे सिर झुका रही है… थाने पर हमले के दबाव में आकर उनके साथी की रिहाई किसी बड़े संग्राम का आगाज करेगी… ताकत संगठित होने के बाद एक बड़ी फौज उनके साथ जुटेगी… एक नापाक मांग फिर सिर उठाएगी… खालिस्तान बने या न बने, पूरे हिन्दुस्तान में नफरत, अलगाव और वैमनस्यता की आग लग जाएगी… सरकार यदि अमृतपाल के जहर का इलाज नहीं कर पाएगी… खुद को भारतीय न समझने वाले को देश निकाला देकर देश की ताकत नहीं दिखाएगी तो फिर एक बार अपनों से अपनों की जुदाई की आग ज्वालामुखी बन जाएगी… बारी और जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि पूरे सिख समुदाय की भी है… हिन्दुओं की रक्षा के लिए बनी कौम यदि आवाज नहीं उठाएगी… ऐसे देशद्रोहियों से पीछा नहीं छुड़ाएगी तो गुरुनानक के आदर्शों, उम्मीदों और उमंगों की बलि चढ़ जाएगी…

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