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कभी कपड़े सिलने वाला शख्स आज 8300 करोड़ का मालिक, एक आइडिया ने बदल दी किस्‍मत

नई दिल्ली (New Delhi)। वैसे तो संघर्ष और सफलता (Struggle and success) एक ही सिक्‍के के दो पहलू हैं, लेकिन एक से दूसरे तक पहुंचने में बहुत से नाकाम हो जाते हैं और जो कामयाब होते हैं, वे किस्‍से-कहानियों में शामिल हो जाते हैं. सफलता की यह कहानी भी संघर्ष की एक ऐसी ही दास्‍तां है. आज हम जिस शख्‍स की कहानी बता रहे हैं, उसने भी शुरुआत में कपड़े सिलने का काम (tailoring work) किया, लेकिन एक आइडिया (Idea) ने पूरी जिंदगी बदल (changed whole life) दी. आज उनका नाम देश के दिग्‍गज रियल एस्‍टेट कारोबारियों (Veteran real estate businessmen) में लिया जाता है और उनकी कुल संपत्ति करीब 10 हजार करोड़ रुपये है।


दरअसल, हम बात कर रहे हैं प्रेस्‍टीज एस्‍टेट प्रोजेक्‍ट (Prestige Estates Projects) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्‍टर (Chairman and Managing Director) इरफान रज्‍जाक (Irfan Razzaq) की. इरफान का जन्‍म साल 1950 में बैंगलोर में हुआ था. उनके पिता एक छोटी सी दुकान में टेलर का काम करते थे. उनके पिता ने प्रेस्‍टीज समूह की नींव रखी थी, जिसे बाद में रज्‍जाक ने अपनी सूझबूझ से दिग्‍गज ब्रांड में बदल दिया. इरफान भी शुरुआत में अपने पिता के साथ टेलर की दुकान पर काम करते थे।

285 प्रोजेक्‍ट पूरे किए
इरफान रज्‍जाक के नेतृत्‍व में प्रेस्‍टीज एस्‍टेट का कारोबार खूब बढ़ा है. यह कंपनी रेजीडेंशियल, कॉमर्शियल, रिटेल और हॉस्पिटैलिटी सेग्‍मेंट में करीब 285 प्रोजेक्‍ट सफलतापूर्वक पूरे कर चुकी है. अभी कंपनी के पास 54 प्रोजेक्‍ट चल रहे हैं, जिसमें 7.5 करोड़ वर्गफुट में निर्माण किया जाना है।

1 अरब डॉलर हो गई संपत्ति
इरफान रज्‍जाक और उनके परिवार की प्रॉपर्टी 1 अरब डॉलर यानी करीब 8300 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है. कंपनी के शेयरों में भी 60 फीसदी का उछाल आया है. फिलहाल इरफान की कंपनी देश की दूसरी सबसे बड़ी लिस्‍टेड प्रॉपटी फर्म है. अब यह कंपनी सिर्फ DLF से ही पीछे है. प्रेस्‍टीज ग्रुप के पास ऐपल, कैटरपिलर, अरमानी और लुइस विटन जैसे दिग्‍गज क्‍लाइंट हैं।

2 चीजों ने दिलाई सफलता
रज्‍जाक ने साल 1990 में अपना दूसरा रियल एस्‍टेट प्रोजेक्‍ट बेचने के बाद ही तय कर लिया था कि वह प्रेस्‍टीज ग्रुप को देश का सबसे बड़ा रियल एस्‍टेट ब्रांड बनाएंगे. उन्‍होंने अपनी सफलता का श्रेय दो चीजों को दिया. समर्पण और विजन, काम को लेकर उनका डेडीकेशन ही सफलता की कुंजी रही है, जबकि क्‍लीयर विजन से उन्‍हें अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिली।

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