नई दिल्ली: यूरोपीय आयोग के चीफ उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बूस्टर हो सकता है. जी-20 समिट के आखिरी दिन और तीसरे सेशन ‘वन फ्यूचर’ में ईसी चीफ उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि डीपीआई उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक वास्तविक बूस्टर हो सकता है. भारत ने अपने डीपीआई को लागू करने में उल्लेखनीय कामयाबी हासिल की है. हमने भी प्रधानमंत्री से सुना है और हम उनकी पहल को सपोर्ट करते हैं.
वहीं, क्लाइमेट चेंज पर ईसी चीफ ने कहा कि हमें जलवायु के लिए क्लाइमेट चेंज पर आईपीसीसी के जैसे एक निकाय की जरूरत होगी, और यहां हमें वैज्ञानिकों, कारोबारियों और इनोवेटर्स तक अतिरिक्त पहुंच की जरूरत है. उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तरफ से पैदा होने वाले रिस्क पर ज्ञान देने की भी जरूरत है. इससे मानवता को संभावित लाभ होगा. उन्होंने आगे कहा कि भविष्य डिजिटल होगा.
उन्होंने आगे कहा कि आज मैं डिजिटल बुनियादी ढांचे और एआई पर फोकस करना चाहता हूं. जैसा कि कहा गया है कि एआई में रिस्क हैं, लेकिन यह जबरदस्त मौके भी देता है. अहम सवाल ये है कि तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कैसे किया जाए. एआई के क्रिएटर और आविष्कारक भी राजनीतिक नेताओं से बातचीत का आह्वान कर रहे हैं.
गौरतलब है कि दिल्ली में आयोजित जी-20 समिट का आज समापन हो गया है. भारत ने जी-20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंप दी है. जी-20 समिट में शामिल होने के लिए तमाम देशों के नेता भारत आए थे. जी-20 में कई बड़े फैसले लिए गए हैं. इसमें अफ्रीकी संघ को शामिल करने और भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारे को लेकर भी बड़े फैसले किए गए.
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