विवेक उपाध्याय, जबलपुर। बिजली उपभोक्ताओं के लिए पहले ही स्मार्ट मीटर पहेली बने हुए हैं और अब इसके प्री-पेड वर्जन के गुपचुप ट्रायल ने उपभोक्ताओं को भ्रम में डाल दिया है। मजेदार है कि स्मार्ट मीटर लगाने में बहुत सुस्त गति से काम कर रहा सिस्टम अब प्री-पेड के लाभ गिना रहा है। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के साथ प्रदेश की अन्य दोनों वितरण कंपनियों ने कुछ इलाकों में प्री-पेड वर्जन का एक्सपेरीमेंट किया है। खबर है कि प्री-पेड वर्जन का ये प्रयोग भविष्य में होने वाले निजीकरण का स्पष्ट संकेत है। दरअसल, जो कंपनियां बिजली आपूर्ति की जिम्मेदारी ले सकती हैं,उन्होंने शर्त रखी है कि पहले सरकार उन्हें स्मार्ट मीटर के प्री-पेड को लागू करके दे। एक बार प्री-पेड सुविधा शुरु हो जाने के बाद कंपनी बाकी का काम खुद पूरा कर लेगी। दिग्गज कंपनियां नहीं चाहतीं कि वे जब प्री-पेड मीटर लगाएं तो पब्लिक के विरोध का सामना न करना पड़े।
ये है बिजली का प्री-पेड प्रयोग
तीनों कंपनियों ने अपने सभी श्रेणियों के 100 उपभोक्ताओं पर स्मार्ट मीटर के प्री-पेड वर्जन का प्रयोग किया है। जिसमें करीब एक महीने तक प्री-पेड वर्जन को चालू किया गया,उसे रिचार्ज किया और बिजली की खपत आदि के ब्यौरे को एकत्रित किया गया। मीटर डेटा मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए डेटा का एनालिसिस भी किया गया है। तीनों कंपनियों ने अपने इस प्रयोग को एक रिपोर्ट की शक्ल में सरकार को सौंपा है,अब सरकार अंतिम फैसला लेगी। सरकार ने तय किया है कि प्री-पेड को सबसे पहले सरकारी दफ्तरों में लगाया जाएगा।
मोबाइल जैसा रिचार्ज होगा
स्मार्ट मीटर के प्री-पेड वर्जन के एक्टिव होने के बाद इससे ठीक वैसे ही रिचार्ज करना होगा,जैसे मोबाइल रिचार्ज किया जाता है। रिचार्ज खत्म होने के बाद मोबाइल में बातचीत बंद हो जाती है,ठीक वैसे ही मीटर से बिजली सप्लाई बंद हो जाएगी। इसके टैरिफ में 25 पैसे प्रति यूनिट की दर से राहत मिलती है। प्री-पेड मीटर में सुरक्षा निधि जमा करने का प्रावधान भी नहीं है। इसकी न्यूनतम रिचार्ज राशि सौ रुपये होगी। स्मार्ट मीटर के इस संस्करण में उपभोक्ता अपने मीटर की खपत लाइव देख सकता है। उसे कब मीटर बंद रखना है और कब चालू,ये भी उपभोक्ता की मर्जी पर निर्भर होगा।
क्या ये सही समय है
कंपनी स्मार्ट जब मीटर लगाने के लिए कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है, तब क्या प्री-पेड वर्जन को लागू करने के लिए क्या ये सही समय है। कंपनी के सामने लाइन लॉस को कम करने की चुनौती रोज बढ़ रही है,जिससे कंपनी के रेवेन्यू को हानि हो रही है। कंपनी अभी तक आम उपभोक्ता को स्मार्ट मीटर के ज्यादा बेहतर होने की बात पर राजी नहीं कर पायी है तब उसके प्री-पेड संस्करण की तरफ बढऩा क्या जल्दबाजी नहीं है। देश के जिन राज्यों में प्री-पेड को कामयाबी मिली है,वहां ये काम सालों में हुआ है और सबसे पहले बिजली के इंफ्रास्ट्रक्चर पर सुधार किए गये।
ट्रायल रिपोर्ट सरकार को भेजी
कंपनी स्तर पर चुने हुए उपभोक्ताओं पर स्मार्ट मीटर के प्री-पेड वर्जन का प्रयोग किया गया है। विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गयी है। इस ट्रायल रिपोर्ट में सभी तथ्यों को शामिल किया गया है।
संजय भागवतकर, डीजीएम (वर्क)
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