भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

थियेटर और फि़ल्म कलाकार सुधीर नेमा का निधन, ब्रेन ट्यूमर से थे पीडि़त

  • छोड़ के माल-ओ-दौलत सारी दुनिया में अपनी, ख़ाली हाथ गुजऱ जाते हैं कैसे कैसे लोग।

भोपाल के थियेटर आर्टिस्टों और प्ले डायरेक्टरों के बीच जाना माना नाम रहे सुधीर नेमा का आज 57 बरस की उमर में इंतक़ाल हो गया। सुधीर मिजाज़ से कुछ सनकी, कुछ मूडी, कभी घमंडी तो कभी मस्त फक्कड़ नजऱ आते थे। अमिताभ बच्चन को अपना रोल मॉडल मानने वाले सुधीर उन्हीं की स्टाइल की कॉपी करते। नब्बे की दहाई में सुधीर ने नया थियेटर में हबीब तनवीर साब के साथ रंगकर्म की इब्तिदा करी थी। मरहूम विभा मिश्रा के मशहूर प्ले ‘गंगा से वोल्गाÓ में सुधीर सूत्रधार के किरदार में बहुत सराहे गए। मरहूम अलखनंदन के नाटक जगर मगर अंधेर नगर में चेले का रोल भी उनका यादगार रोल था। उन्हें थिएटर और फिल्मों का इस क़दर चस्का था के वो एनएसडी की रेपेट्री में भी पहुंच गए थे। दिल्ली में उन्होंने कुछ थियेटर किया और करीब 15 बरसों से बॉलीवुड में काम की तलाश में मुम्बई चले गए। वहां उन्हें परेश रावल की फि़ल्म ‘रोड टू संगमÓ में सुधीर को अच्छा रोल मिला। उन्होंने अनुराग कश्यप और विशाल भारद्वाज के साथ भी काम किया।



ब्लैक फ्राइडे और ओमकारा में उनके रोल को नोटिस किया गया। कई टीवी सीरियल्स में काम करने वाले सुधीर नेमा ने ‘गुडिय़ा हमारी सब पे भारीÓ सीरियल से अपनी पहचान बनाई। बताया जाता है कि एक प्रोड्यूसर ने पेडमेन फि़ल्म में उन्हें खास रोल आफर किया था। बाद में पेडमेन के आइडिये को अक्षयकुमार ले उड़े। उस घटना से सुधीर टूट गए थे। उन्हें काम मिलना भी बंद हो गया था। वो दिमागी तोर पे इतने परेशान हो चुके थे के उन्हें ब्रेन ट्यूमर हो गया था। वो जो करने और पाने के लिए बॉलीवुड गए थे वो उन्हें नहीं मिल पाया। उन्होंने अच्छे रोल के लिए मुंबई में बहुत स्ट्रगल किया, लेकिन उनका सपना पूरा नहीं हो सका। इस दरम्यान उनके साथी कलाकार उनसे काफी आगे निकल चुके थे। लिहाज़ा वो ज़ेहनी तौर पे फ्रस्ट्रेड हो गए थे। उनकी खराब हालत को देखते हुए उनके परिजन उन्हें मुम्बई से भोपाल ले आये थे। उन्होंने शादी नहीं की थी। वे भाईदूज पे अपनी बहन के पास शाजापुर चले गए थे। वहां आज सुबह उनके इंतक़ाल की खबर आई। उनका ताल्लुक पुराने भोपाल के बड़े मावा व्यापारी परिवार से था। बहरहाल, एक मल्टीटेलेंटेड आर्टिस्ट के इस दुखद अंत से भोपाल के रंग जगत में अफसोस का माहौल है। आज छोला विश्राम घाट पे उन्हें सुपुर्दे आतिश किया गया। मरहूम सुधीर नेमा को खिराजे अक़ीदत।

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