जीवनशैली धर्म-ज्‍योतिष

चातुर्मास में किए गए कार्यों से मिलते हैं कई तरह के लाभ

नई दिल्‍ली। चातुर्मास (Chaturmas) का पहला महीना सावन (Sawan) शुरू हो चुका और यह माह भगवान शिव का प्रिय मास होता है यही वजह है कि इस समय लोग शिव भक्ति में लीन हो गए हैं। देश के सभी शिवालयों में इस समय भक्‍तों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है। शिव-पूजा, रुद्राभिषेक हो रहे हैं।

वैसे भी शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास के दौरान कुछ चीजों से दूर रहने को भी कहा जाता है, हालांकि ये नियम सेहत को बेहतर बनाने के लिए हैं, क्योंकि इस बीच वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है। चातुर्मास में श्रावण मास में शाक, भाद्रपद महीने में दही, अश्विन महीने में दूध और कार्तिक माह में दाल ग्रहण न करने की बात कही गई है। इसके अलावा लोगों को मांस, मदिरा, मधु, गुड़, तेल,और बैंगन, नमक, घृत आदि का त्याग करने की भी बात कही गई है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में जिस तरह सावन महीने में कुछ खास नियमों का पालन करने के लिए कहा गया है, उसी तरह चातुर्मास के लिए भी कहा गया है। जाहिर है इन नियमों का पालन करने से व्‍यक्ति को कई तरह के लाभ भी मिलते है।



ज्‍योतिषाचार्यों के अनुसार चातुर्मास में सूर्योदय से पहले जागना बहुत अच्‍छा माना जाता है। इसके बाद स्‍नान करके सूर्य को जल चढ़ाएं. ऐसा करने से भगवान आरोग्‍य का आशीर्वाद देते हैं और व्‍यक्ति स्‍वस्‍थ रहता है। व्रत के दिन के अलावा भी रोजाना पूजा-पाठ करें। चातुर्मास के दौरान ज्‍यादातर समय मौन रहें और कोशिश करें कि भगवान की आराधना करें. इससे मन को शांति मिलेगी।
चातुर्मास में इन नियमों का पालन करने से बहुत लाभ होता है. भगवान शिव और भगवान विष्‍णु की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पाप नष्‍ट होते हैं. स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर होता है। आर्थिक स्थिति बेहतर होती है, घर में धन-धान्‍य बढ़ता है. मान-सम्‍मान बढ़ता है।

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