उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

भैरवगढ़ जेल में जो अस्पताल में वहाँ सुविधाएँ नहीं

  • ज्यादा गंभीर मरीज हो जाए तो जिला अस्पताल ले आते हैं

उज्जैन। भैरवगढ़ सेंट्रल जेल में बने अस्पताल का बुरा हाल है। 16 बिस्तर का यह अस्पताल महज दो डॉटर और 6 पेरामेडिक स्टॉफ के भरोसे टिका है। यहां की आउट पेश्यंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) में मरीजों की संख्या बढऩे पर प्रहरियों से मदद ली जाती है। कई बार ब्लड प्रेशर से लेकर अन्य जांच भी प्रहरी ही कर देते हैं। यहाँ की ओपीडी में सौ से डेढ़ सौ तक मरीज कैदी आ जाते हैं। जानकारी के अनुसार जेल में केवल दो डॉक्टर पदस्थ हैं। उन्हें अटैचमेंट परप भैरवगढ़ जेल में कैदियों के उपचार के लिए रखा गया है। महिला चिकित्सक सहित तीन डॉक्टरों के पद रिक्त पद पड़े है। पेरामेडिकल स्टॉफ के नाम पर एक लेब टैक्नीश्यिन एक फार्मासिस्ट तथा नर्स सहित दो कम्पाउंडर है। जेल के अस्पताल में बिस्तर तो 16 हैं और प्रति दिन सौ से डेढ़ सौ तक कै दी इलाज के लिए आ जाते हैं। व्यवस्थाओं की कमी के कारण डॉक्टर सुबह 8 से दोपहर तक ही मौजूद रहते हैं। इसके बाद भी इमरजेंसी हालत में इन्हें कॉल कर बुला लिया जाता है। इतना ही नहीं जेल अस्पताल के बिस्तर पर किसी कैदी को भर्ती कर भी लिया जाए तो उनकी देख रेख करना मुशकिल हो जाता है। ऐसे में जेल के अधिकारियों को मजबूरन सुरक्षा में तैनात प्रहरियों से नर्सिंग कार्य कराना पड़ता है। तर्क दिया जा रहा है कि जेल में चार से पांच प्रहरी ऐसे हैं जो नर्सिंग अथवा अन्य चिकित्सा संबंधी कोर्स कर चुके हैं। इन प्रेहरियों से ड्रिप चढ़वाने से लेकर ब्लड प्रेशर सहित अन्य चेकअप कराने तथा मरीज की देख रेख का काम लिया जाता है।

गार्ड नहीं मिलने से उपचार में होती है देरी
किसी गंभीर रूप से बीमार बंदी को डाक्टर की सलाह पर शहर तथा बाहर के अस्पताल ले जाने की नौबत आती है तो पुलिस लाइन से पुलिस गार्ड कई बार समय पर नहीं मिलते। इससे कई बार कैदी की हालत पहले से अधिक बिगड़ जाती है और कई बार उनकी जान तक पर बन आती है।


जरुरत से बेहद कम हैं स्वीकृत पद
भैरवगढ़ जेल में वर्तमान समय में 115 महिला कैदी उनके साथ आठ मासूम बच्चे तथा 2200 से ज्यादा पुरुष कैदी मौजूद हैं। हैरानी की बात यह है कि जेल में पहले से पैरामेडिकल कर्मियों (नर्स, वार्ड ब्वाय, फि जियोथैरेपी आदि) के स्वकृत पद जरूरत से बेहद कम हैं। सेंट्रल जेल में इमरजेंसी सेवा के नाम पर एंबुलेंस तो जरूर हैं, लेकिन इनमे पैरामेडिकल स्टॉफ नहीं है। जो गंभीर हालत में जेल से बाहर के अस्पताल ले जाते समय मरीज की बेहतर देख रेख कर सके।

बाहरी कैदियों की आमद ज्यादा
बता दें कि भैरवगढ़ जेल में प्रति वर्ष करीब साढ़े तीन सौ ऐसे कैदियों की आमद होती है जो अन्य शहरों से आकरअपने जुर्म की सजा काट रहे होते हैं। चिकित्सकों की सलाह पर जिला अस्पताल में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए इन्हें रिफर कर दिया जाता है। रूटीन चेकअप के लिए इन कैदियों को समय-समय पर इन अस्पताल में जाना होता है, लिहाजा इन्हें भोपाल जेल में रख लिया जाता है।

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