बड़ी खबर

देश में हर 4 मिनट में होती है एक आत्‍महत्‍या, NCRB की रिपोर्ट ने किए कई चौंकाने वाले खुलासे

नई दिल्‍ली। आजकल की बदलती लाइफ स्टाइल में हर चीज को लेकर हम जल्द ही तनाव या डिप्रेशन (Depression) में आ जाते हैं. ये डिप्रेशन आगे चलकर मेंटल हेल्थ (Mental Health) को खराब करने लगता है. इसका सामना नहीं करने वाले लोग अक्सर आत्महत्या (Suicide) का रास्ता चुन लेते हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर 4 मिनट में कोई एक अपनी जान दे देता है और ऐसा करने वाले तीन लोगों में से एक युवा होता है. यानी देश में हर 12 मिनट में 30 वर्ष से कम आयु का एक युवा अपनी जान ले लेता है.

एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया’ (Accidental Deaths and Suicides in India) शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते साल 2021 में 1,64,033 लोगों की मौत सुसाइड से हुई. इसमें दिहाड़ी मजदूरों की सुसाइड का हिस्सा एक चौथाई रहा. यानी पिछले साल देश में आत्महत्या करने वाला हर चौथा व्यक्ति दिहाड़ी मजदूर था.



भारत में 2021 में आत्महत्या (Suicide) के कारण 1.64 लाख से ज्यादा मौतें दर्ज की गईं. लगभग 450 दैनिक और हर घंटे 18 सुसाइड के मामले सामने आए, जो अब तक के सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले हैं. आत्महत्या से मरने वालों में लगभग 1.19 लाख पुरुष, 45,026 महिलाएं और 28 ट्रांसजेंडर थे.

एनसीआरबी (NCRB) ने सुसाइड के डेटा को 9 प्रोफेशन के ग्रुप में बांटा है- स्टूडेंट, पेशेवर/सैलरी वाले लोग, रोजाना कमाई करने वाले जैसे- दिहाड़ी मजदूर, रिटायर लोग, बेरोजगार, खुद का रोजगार करने वाले, हाउस वाइफ, कृषि क्षेत्र में लगे लोग और अन्य व्यक्ति. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ‘एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया-2021’ रिपोर्ट से इस बात का पता चला है. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के प्रकोप से पहले की तुलना में 2020 और 2021 में आत्महत्या के मामले ज्यादा सामने आए हैं.

प्यार-मोहब्बत के चक्कर में सिर्फ 2.9 प्रतिशत और दहेज झगड़ों, ड्रग्स और गरीबी के कारण 2.3 प्रतिशत लोग आत्महत्या करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पुरुष सामाजिक और आर्थिक परेशानियों के कारण तथा महिलाएं व्यक्तिगत और भावनात्मक कारणों से आत्महत्या करती हैं.

दिहाड़ी मजदूरों का हिस्सा सबसे ज्यादा
पिछले साल 2021 में सुसाइड से मौत के मामलों में दिहाड़ी मजदूर पेशे के लिहाज से सबसे बड़ा ग्रुप रहा. 42,004 दिहाड़ी मजदूरों की सुसाइड से मौत हुई, जो कि कुल सुसाइड का 25.6 फीसदी है. देश में साल 2020 में 1,53,052 सुसाइड के मामले दर्ज किए गए थे. इसमें दिहाड़ी मजदूरों के सुसाइड के 37,666 मामले थे, जो कि कुल सुसाइड का 24.6 फीसदी है. साल 2019 में यानी कोविड काल से पहले देश में सुसाइड से मौत के 1,39,123 मामले दर्ज किए गए. इसमें दिहाड़ी मजदूरों की संख्या 32,563 थी, जो कि कुल सुसाइड का 23.4 प्रतिशत है.

हाउस वाइफ और स्टूडेंट ग्रुप में भी बढ़ी सुसाइड
2021 के दौरान ‘हाउस वाइफ’ कैटेगरी में हुईं सुसाइड कुल सुसाइड की 14.1 फीसदी रहीं. इस कैटेगरी में सुसाइड के मामलों की संख्या 2020 में 22,374 से 3.6 फीसदी बढ़कर 2021 में 23,179 हो गई. रिपोर्ट से पता चलता है कि 2021 में स्टूडेंट सुसाइड की संख्या 13,089 दर्ज की गई, जो 2020 में 12,526 थी. वहीं 2021 में रिटायर्ड लोगों की सुसाइड की संख्या 1,518 रही, जबकि ‘अन्य व्यक्तियों’ की कैटेगरी में 23,547 सुसाइड दर्ज की गईं. रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में खेती में लगे लोगों के ग्रुप में 10,881 सुसाइड के मामले दर्ज किए गए, जिनमें 5,318 ‘किसान’ और 5,563 ‘खेतिहर मजदूर’ शामिल हैं.

आत्महत्या के मामलों में हुई बढ़ोतरी
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में देश भर में आत्महत्या से 1.53 लाख मौतें दर्ज की गईं. रिपोर्ट से पता चला है कि 2019 में आत्महत्या करने वालों की संख्या 1.39 लाख थी, 2018 में यह 1.34 लाख थी, 2017 में यह 1.29 लाख थी. वहीं, 2020 और 2021 में 1.50 लाख से ज्यादा थी. बता दें कि, 1984 में देश में पहली बार आत्महत्या से होने वाली मौतों की संख्या 50,000 के आंकड़े को पार कर गई थी और 1991 में यह आंकड़ा बढ़कर 75,000 हो गया था. वहीं, 1998 में आत्महत्या से 1 लाख से ज्यादा मौतें हुईं और अब यह आंकड़ा बढ़ता चला जा रहा है.

क्या थे आत्महत्या के कारण?
एनसीआरबी ने 2021 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि पेशेवर या करियर की समस्याएं, अकेलेपन की भावना, दुर्व्यवहार, हिंसा, पारिवारिक समस्याएं, मानसिक विकार, शराब की लत, वित्तीय नुकसान यह सब आत्महत्या के कारण रहे. एनसीआरबी ने बताया कि वह देश भर में पुलिस द्वारा दर्ज आत्महत्या के मामलों से यह आंकड़ा निकालती है.

इन राज्यों में सबसे ज्यादा सुसाइड से मौत के मामले
रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में सुसाइड के सबसे अधिक 22,207 मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए. इसके बाद तमिलनाडु में 18,925, मध्य प्रदेश में 14,956, पश्चिम बंगाल में 13,500 और कर्नाटक में 13,056 मामले दर्ज किए गए. केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में सबसे ज्यादा 2,840 सुसाइड के मामले सामने आए. रिपोर्ट के अनुसार, सुसाइड की दर (यानी प्रति एक लाख जनसंख्या पर सुसाइड की घटनाएं) 12 दर्ज की गईं. साल 2020 में सुसाइड की दर 11.3 थी और 2019 में 10.4 थी. (सभी फैक्ट्स NCRB रिपोर्ट 2021 और सरकारी आंकड़ों से लिए गए हैं)

Share:

Next Post

अमित शाह के दौरे को लेकर JDU का BJP पर आरोप, नीतीश बोले- 'टकराव पैदा करने की कोशिश हो सकती है'

Thu Sep 8 , 2022
पटना । दिल्ली (Delhi) में विपक्षी नेताओं (opposition leaders) से मुलाकात के बाद अमित शाह (Amit Shah) के सीमांचल दौरे को लेकर पत्रकारों के सवाल पर बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहा कि कोशिश होगा कि समाज में टकराव पैदा हो, हम कहेंगे कि टकराव ना हो। उन्होंने कहा कि कुछ […]