- विंध्य की पहाडिय़ां पुरानी, इसलिए खतरा बेहद कम
इंदौर (Indore)। उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग धंसने के बाद यह चर्चा भी चल पड़ी है कि इंदौर के आसपास बन रही सुरंगों में कहीं ऐसा कोई हादसा नहीं हो जाए। हालांकि विशेषज्ञ और जानकार इस संभावना से इनकार करते हैं। उनका तर्क है कि विंध्य की पहाडिय़ां या चट्टानें पुरानी और मजबूत हैं, जबकि उत्तरकाशी के हिमालयन माउंट रेंज नए की श्रेणी में हैं और उनकी रॉक क्वालिटी अच्छी नहीं है।
इंदौर के आसपास फिलहाल इंदौर-अकोला फोर लेन हाईवे में दो जगह और इंदौर-दाहोद रेल लाइन पर टीही-पीथमपुर के बीच एक सुरंग बनाने का काम हो रहा है। हाईवे के लिए सिमरोल और बाईग्राम में सुरंगें बनाई जा चुकी हैं। नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल बताते हैं कि हाईवे की सिक्स लेन चौड़ी सुरंगें बन चुकी हैं। अब हम उनके धंसने वाली स्टेज से बाहर आ गए हैं। सुरंगें आर-पार हो गई हैं।
इधर, रेलवे द्वारा दाहोद लाइन के लिए बनाई जा रही सुरंग को लेकर रेलवे सूत्र बता रहे हैं कि मालवा में काला पत्थर है, जबकि हिमालयीन रेंज में भूरभूरा पत्थर है। पीथमपुर के पास बनाई जा रही सुरंग में पूरी एहतियात के साथ जाली और फ्रेम लगाकर खुदाई की जा रही है। इससे खतरा बेहद कम हो जाता है। रेलवे को महू-सनावद गेज कन्वर्जन के तहत अभी 21 और सुरंगें बनाना हैं।
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