ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

साधौ का बढ़ता कद हजम नहीं हो रहा इंदौरी नेताओं को
महेश्वर से विधायक विजयलक्ष्मी साधौ का इन्दौरी कनेक्शन केवल एक छोटे और बड़े शहर जितना ही है, लेकिन कमलनाथ की गुड लिस्ट में शामिल रहीं साधौ को जिस तरह से पहले नगरीय निकाय चुनाव प्रभारी और अब पूरे इंदौर का प्रभारी बनाया गया है, वह कुछ नेताओं को हजम नहीं हो रहा है। यह तो तय है कि निगम चुनाव में साधौ की राय को तवज्जो मिलना है और अब जब प्रभारी बना दिया है तो यहां संगठन के हर काम में उनका दखल होना लाजिमी है। कुछ नेताओं की चिंता है कि कहीं इंदौर में साधौ का राजनीतिक भविष्य तो नहीं देखा जा रहा है।

साब के लौटने के पहले खुल गया इंदौर
जिस दिन इंदौर खोलने की तैयारी चल रही थी और नेता आपस में बात कर रहे थे, उसी दिन साब (मोघे) भोपाल पहुंचकर मुख्यमंत्री से मिल लिए। समर्थकों ने सोशल मीडिया पर खबर चलाना शुरू कर दी कि साब की सीएम से बात हो गई है और जल्द ही इंदौर को खोल दिया जाएगा, लेकिन इंदौर में दूसरी ही खिचड़ी पक रही थी और साब जब तक भोपाल से लौटते, शहर को खोलने पर मुहर लग गई थी और सभी नेताओं ने हां में हां मिलाकर प्रशासन को मजबूर कर दिया। साब धरे रह गए कि अब श्रेय कैसे लें? फिर भी समर्थकों ने आखिरी तक दम लड़ाया कि साब ने ही सीएम से बात कर इंदौर खुलवाया है।
पूरे चुनाव बोले थे-मैं तुलसी सिलावट
पिछले दिनों सांवेर विधानसभा में ही एक महिला मंत्री तुलसी सिलावट को पहचान नहीं पाई और उन्हें कमलनाथ कह दिया। तुलसी भी सकते में आ गए, लेकिन अपने स्वभाव के अनुकूल उन्होंने न केवल महिला से शिष्टाचार से बात की, बल्कि उन्हें अपना परिचय भी दिया। बाद में महिला ने उनके पैर भी छुए। बात समझ में नहीं आई कि जो तुलसी भिया भाजपा के मिशन 28 के हीरो थे, उन्हें उनके ही क्षेत्र के लोग कैसे पहचान नहीं पाए, जबकि वे जब भी उपचुनाव में जाते थे तो अपना परिचय देना नहीं भूलते थे और जान-पहचान वाले हों या अंजान सबसे कहते थे कि मैं तुलसी सिलावट….आपका सेवक।
कार्यकारिणी में हजम नहीं हो रहे दो नाम
भाजपा ने अपनी प्रदेश कार्यसमिति की घोषणा कर दी, लेकिन इसमें दो नाम उन नेताओं को हजम नहीं हो रहे हैं जो भाजपा संगठन के लिए दिन-रात एक कर देते हैं। एक नाम इनमें वर्तमान सांसद की ओर से दिया हुआ है तो दूसरा नाम पुराने सांसद का है। दोनों ही नामों को लेकर दीनदयाल भवन में भी आश्चर्य किया जा रहा है। खैर, इसे प_ावादऔर परिक्रमा वाली नियुक्ति के रूप में देखा जा रहा है, नहीं तो ऐसी कोई उपलब्धि इन दोनों के खातों में नहीं है, जिससे इन्हें बड़े नेताओं के समकक्ष बिठाया जा सके। खैर, नियुक्ति हो गई है और देखना है कि दोनों ही नाम भाजपा में अपनी सक्रियता कहां तक रखते हैं?
बजट बैठक में जाने नहीं दिया पूर्व एमआईसी मेम्बर को
इस बार निगम बजट बैठक में न हंगामा हुआ और न ही कोई विरोध। संभागायुक्त और बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में बजट पास हो भी गया। हालांकि जनप्रतिनिधियों में विधायक और सांसद को आमंत्रित किया गया था। पांच नंबर से बाबा नहीं पहुंचे तो उन्होंने एमआईसी मेम्बर रहे दिलीप शर्मा को अपनी ओर से भेज दिया, लेकिन उन्हें यह कहकर अंदर जाने नहीं दिया गया कि आप अब पार्षद नहीं हो और किसी के प्रतिनिधि के बतौर बैठक में नहीं जा सकते। बेचारे शर्मा कर भी क्या सकते थे?
सांसद प्रतिनिधि का पैरेन्ट्स को मिला आश्वासन
शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल के पैरेन्ट्स फीस में कमी को लेकर भाजपा कार्यालय पहुंचे थे। कोई नहीं मिला तो वहां मौजूद सांसद प्रतिनिधि राजेश अग्रवाल को ही अपनी व्यथा सुना डाली। अग्रवाल ने भी तत्काल संबंधित स्कूल के मैनेजमेंट तक पैरेन्ट्स की बात पहुंचा दी और उन्हें आश्वस्त कर डाला कि इस बारे में वे बड़े ेनेताओं से बात कर सीएम से पूरे प्रदेश के लिए ही आदेश निकलवा देंगे, जिससे सभी पैरेन्ट्स को फीस में राहत मिले। अब देखना यह है कि सीएम कितनी जल्दी आदेश निकालते हैं?
चाय के बदले विधायक करेंगे मदद
5 नंबर विधानसभा में सडक़ पर सब्जी बेचने के आरोप में गिरफ्तार लोगों के परिजनों से मिलने पहुंचे विधायक संजय शुक्ला क्षेत्र के एक भाजपा नेता के घर भी चाय पीने पहुंच गए। नेताजी ने आवभगत भी की और अचानक घर आए कांग्रेसी नेताओं को देख उनका सीना भी फूल गया। दो नंबरी खेमे के नजदीकी इन नेताजी को निगम चुनाव लडऩा है और शुक्ला ने कह दिया कि वे चुनाव में उनकी मदद भी करेंगे। अब वे कांग्रेस के खिलाफ मदद करेंगे या भाजपा के खिलाफ, ये स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन शुक्ला ने नेताजी की पीठ पर हाथ रखा है। वैसे नेताजी ने भी मन बना रखा है कि टिकट मिला तो ठीक और नहीं मिला तो बागी बनकर चुनाव लड़ेंगे ही।
कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं का राजनीतिक पुनस्र्थापन शुरू हो गया है और आने वाले समय में कुछ ऐसे पदों पर बिठाने की तैयारी है, जो लाभ के हैं। पुराने भाजपाई भी इन पदों के लिए दिन-रात एक किए हुए हंै। देखना यह है कि नए-नवेले भाजपाई बाजी मार ले जाते हैं या फिर वे, जो बरसों से भाजपा का झंडा उठाते आए हैं।
-संजीव मालवीय

Share:

Next Post

कोविशिल्ड ही ज्यादा मिली, कोवैक्सीन का सिर्फ दूसरा डोज लगेगा, 16 ड्राइव इन सेंटर पर भी होगा वैक्सीनेशन

Mon Jun 14 , 2021
  84 हजार से ज्यादा वैक्सीन आज 348 केन्द्रों पर लगाएंगे इन्दौर।दो दिन तक वैक्सीन के अभाव में बहुत कम डोज लगाए जा सके, मगर आज 84 हजार 300 लोगों को वैक्सीन लगाई जाना है, जिसके लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 348 केन्द्र बनाए गए हैं और 16 ड्राइव इन सेंटरों पर भी […]