ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

जब सब एबीवीपी से तो हमारा क्या?
भाजपा संगठन में इन दिनों एक नया सवाल खड़ा हो गया है, जिस तरह से प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा अपनी टीम में एक के बाद एक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और खुद से जुड़े लोगों को स्थान देते जा रहे हैं, उससे भाजपा के वे नेता नाराज नजर आ रहे हैं, जिन्होंने पार्टी को खड़ा करने और प्रदेश में सरकार बनाने के लिए अपनी जी-जान लगा दी। उनका कहना है कि अगर पार्टी में अब वीडी की टीम के युवाओं को ही मौका मिलने लगेगा तो पुराने लोग कहां जाएंगे? जबकि पार्टी में अनुभवी नेताओं के रहने के कारण भाजपा आज इस मुकाम पर पहुंची हैं। हालांकि नेता यह भी कहते हैं कि युवाओं को भी स्थान मिलना चाहिए, लेकिन इस तरह नहीं कि पूरे घर के ही बदल डालो।


सियासी परिवार से आए गौड़ और दवे
युवा मोर्चा की नई नियुक्ति में शुभेन्द्र गौड़ और प्रखर दवे दोनों ही सियासी परिवार से ताल्लुक रखते हैं और इन्हें सीधे प्रदेश की टीम में लिया है तो 4 नंबर में रहने वाले गंगा पांडे के लिए दो नंबर ने दम लगाया। इसको लेकर युवा मोर्चा के पुराने पदाधिकारी नाराज चल रहे हैं। फुसफुसाहट हो रही है कि जब नेताओं से जुड़े लोगों को ही संगठन में पद दिए जाते हैं तो फिर हमसे काम और भीड़ जुटाने की उम्मीद क्यों की जाती है? इंदौर में कई ऐसे चेहरे थे, जो प्रदेश के युवा मोर्चा में जाने की कूबत रखते थे, लेकिन बड़े नेताओं ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।
पटवारी के साथ चले जाते तो अच्छा रहता
नेमावर रोड के हम्माल संघ के नेता एक बार फिर भाजपा कार्यालय पहुंचे और कहा कि हमारा काम चालू नहीं हुआ है। ये सभी भाजपा से जुड़े हुए हैं। उनका कहना था कि 5 यूनियन ऐसी हैं, जिनसे जुड़े हम्माल घर बैठे हैं। हमें तो जीतू पटवारी ने कांग्रेस सरकार के समय ऑफर दिया था कि हमारी तरफ आ जाओ, तुम्हारा काम चालू करवा देंगे। यूनियन के नेताओं का दर्द था कि कांग्रेस की हम्माल यूनियन वहां बेखौफ काम कर रही हैं और भाजपा से जुड़े लोगों का काम बंद हैं। इनमें इसी क्षेत्र के भाजपा नेताओं के रिश्तेदारों की यूनियन भी हैं।


यही है विनय बाकलीवाल की कांग्रेस?
प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का वरदहस्त होने के बावजूद लाख चाहकर भी विनय बाकलीवाल इन्दौरी कांग्रेस के गुटों को एक जाजम पर लाने में नाकामयाब रहे हैं। विनय जब भी कोई आयोजन करते हैं तो उसमें वे लोग ज्यादा नजर आते हैं, जो दिन-रात उनके आगे-पीछे मंडराते हैं। बाकी तीनों विधायक और बड़े नेता मुंह दिखाई की रस्म के लिए आ जाते हैं। इसलिए जब भी कोई बड़ा आंदोलन होता है तो चेहरा जीतू पटवारी का होता है या संजय शुक्ला का। इसमें टेका लगाने के लिए देपालपुर विधायक विशाल पटेल भी चले आते हैं। पिछले दिनों नीमच की घटना को लेकर कैंडल मार्च निकाला गया, लेकिन इसमें संख्या वैसी नहीं रही, जैसी विरोध में दिखना थी।
शाबाशी तो नहीं मिली, उलटा पड़ गया दांव
समाजसेवी से भाजपा के प्रवक्ता पद पर पहुंची दिव्या गुप्ता ने पिछले दिनों दो सूअरों को आजाद कराया, जिन्हें वाल्मीकि समाज के लोगों ने पकड़ा था। दिव्या को इस मामले में शाबाशी तो नहीं मिली, लेकिन उनकी आलोचना खूब हुई। जिस शहर से आवारा पशु हटाए गए, वहां उन्होंने इन आवारा पशुओं को पॉश इलाके में छुड़वा दिया। इस मामले में दिव्या को वाल्मीकि समाज ने भी आड़े हाथों लिया। अब दिव्या सब जगह सफाई दे रही है कि उन्हें उस समय उन मूक प्राणियों की स्थिति पर दया आ रही थी और इसे देख वे अपने आपको रोक नहीं सकी।
कांग्रेस से आए संटू का खास फंसा धोखाधड़ी में
अभी दीनदयाल भवन की सीढिय़ां ठीक से भी नहीं चढ़े विपिन खुजनेरी उर्फ संटू के खास और कांग्रेस काल में उनके साथ रहने वाले संतोष नजान ने उनके लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। संतोष पर पिछले दिनों एक मामले में धोखाधड़ी का आरोप लगा है। इस मामले में संटू ने भाजपा में आने के बाद अपने अधिकार का उपयोग करके पुलिस पर प्रभाव जमाकर एक बार छुड़वा दिया था, लेकिन बाद में जब सबूत हाथ लगे तो पुलिस ने फिर संतोष को हवालात में डाल दिया। लाख सफाई दी जा रही है, लेकिन सबूत संतोष नजान के खिलाफ ही है।
न राखी बनी और न ही गोबर के गणेश
पिछले साल सांसद शंकर लालवानी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर खूब वाहवाही लूटी और रक्षाबंधन पर स्वदेशी राखियां बनाकर उसकी दुकान तक लगवा दीं। राखियों पर मोदीजी और मुख्यमंत्री चौहान के फोटो लगाकर खूब प्रचार किया गया। ऐसा ही उन्होंने गणेश उत्सव के पहले किया और गोबर से गणेशजी की प्रतिमा की कई कार्यशालाएं आयोजित की गईं और उसमें भी खूब वाहवाही लूटी, लेकिन इस बार न तो सांसद सक्रिय नजर आए और न ही उनकी संस्था के लोग। राखी तो निकल गई है और गणेशोत्सव भी सामने है, लेकिन इस बार सांसद के आत्मनिर्भर भारत के प्रचार का शोर नहीं है।
दीनदयाल भवन से ये बात फैल रही है कि अब जल्द ही नगर कार्यकारिणी की घोषणा कर दी जाएगी, क्योंकि दादा दयालु ने गंगा पांडे को युवा मोर्चा में प्रदेश उपाध्यक्ष बनवा दिया है। बताया जा रहा था कि दयालु गंगा को नगर महामंत्री बनाना चाह रहे थे, लेकिन बात नहीं बन रही थी। अब दादा दयालु की लीला वे ही जाने और नगर कार्यकारिणी घोषित हो जाए तो समझिए कि पेंच यहीं फंसा था। -संजीव मालवीय

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