आज का दिन रविवार है जो एक पावन दिन है और इसी के साथ आज शीतला अष्टमी का पावन व्रत भी है। शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला (Sheetla) की संपूर्ण विधि विधन से पूजा की जाती है । आज भक्त मां शीतला (Sheetla) की पूजा-अर्चना करेंगे और उन्हें बसौड़ा का भोग लगाएंगे। शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) के दिन बासी पदार्थ ही देवी को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है और भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इस दिन माता शीतला को दही, रबड़ी, मीठे चावल और पुआ का भोग लगाया जाता है। ये सभी सामान सप्तमी की रात में ही बनाकर रख लिया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता शीतला चेचक और अन्य संक्रामक रोगों (Infectious diseases) से भक्तों की रक्षा करती हैं ।
जानें पूजा विधि :
अष्टमी तिथि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं। इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। सप्तमी तिथि को जो भोग बनाया गया हो उसे थाली में सजा लें जिसमें दही, पुआ, रबड़ी, मीठे चावल, नमक पारे और मठरी आदि हों। इसके बाद पूजा की थाली (Puja plate) लें और उसमें आटे से बना हुआ दीपक रखें और उसे जला लें। फिर थाली में रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी (Coins and Mehndi) आदि भी रख लें। इसके बाद एक लोटा लें और उसमें शीतल जल भर दें। फिर मां शीतला की पूजा (worship) करें। उनके समक्ष दीपक जलाएं। इसके बाद मां का तिलक करें। तिलक रोली और हल्दी से करें। फिर मेहंदी, मोली, वस्त्र आदि को मां शीतला को अर्पित करें। फिर मां को जल और भोग लगाएं। बचा हुआ जल घर के सदस्यों में बांट लें। जल को आंख से लगाएं। बाकी का जल पूरे घर में छिड़क दें।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
Share: