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आज है सुहागिनों का खास पर्व हरियाली तीज, आप भी जान लें पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में व्रत व त्‍यौहार का विशेष महत्‍व है । पंचांग के अनुसार श्रावण शुक्ल की तृतीया तिथि को हरियाली तीज (Hariyali Teej) के नाम से जाना जाता है। हरियाली तीज का पर्व महिलाओं के सबसे प्रिय पर्वों में से एक है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं।

हरियाली तीज व्रत का शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज का व्रत विधि पूर्वक करना चाहिए, तभी इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इस व्रत की पूजा में शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पंचांग के मुताबिक हरियाली तीज का पर्व 11 अगस्त 2021, बुधवार के दिन मनाया जाएगा। लेकिन तृतीया की तिथि 10 अगस्त, मंगलवार की शाम 06 बजकर 11 मिनट से ही आरंभ हो जाएगी। तृतीया तिथि 11 अगस्त 2021, बुधवार को शाम 04 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी।

हरियाली तीज की मान्यता
बताया जाता है कि हरियाली तीज के दिन माता पार्वती ने काफी कठिन तपस्या को पूरा करके भगवान शंकर को पाया था। हरियाली तीज को माता पार्वती और भगवान शिव (Lord Shiva) के मिलन के दिन के तौर पर भी देखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रंगार कर हाथों में हरे रंग की चूड़ियां पहनती हैं। इस व्रत को पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है।

हरियाली तीज के दिन महिलाओं के बीच मेहंदी लगाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शव को मनाने के लिए अपने हाथों में मेहंदी लगाई थी। जिसके बाद माता पार्वती के हाथों में लगी मेहंदी को देखकर भगवान शिव काफी प्रसन्न हुए थे और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था।


हरियाली तीज पूजा विधि
हरियाली तीज (Hariyali Teej) का पर्व 11 अगस्त को बुधवार के दिन मनाया जा रहा है। इसके लिए महिलाएं प्रात: काल उठकर स्नान करती हैं। जिसके बाद स्वच्छ और साफ कपड़े पहने जाते हैं। बता दें कि ज्यादातर जगहों पर इस दिन मायके से आए हुए कपड़े पहनने की परंपरा है। इसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। हरियाली तीज पर सोलह श्रृंगार का भी विशेष महत्व होता है।

इस दिन घर की साफ-सफाई कर अच्छे से सजाना चाहिए। पूजा (worship) शुरू करने से पहले एक चौकी पर मिट्टी में गंगा जल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती की प्रतिमा बनाई जाती है। इसके बाद एक थाली में सुहाग की सामग्री जिसमें बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, मेहंदी, नेल पॉलिश, अक्षत, धूप, दीप, गंधक आदि सजाकर अर्पित किया जाता है। इसके अलावा भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए। भगवान शिव और माता पार्वती (Mother Parvati) की आरती करनी चाहिए।

नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों (astrologers), धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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