नई दिल्ली. भारतीय रेल (Indian Rail) से लोगों को हमेशा ही एक शिकायत रहती है. और वह ये कि अक्सर ही ट्रेनें अक्सर ही लेट रहती हैं. कई-कई बार तो ट्रेन घंटों की देरी से पहुंचती है, लेकिन यहां एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां ट्रेन के लोको पायलट (loco pilot) और को पायलट को ज्यादा स्पीड (Speed) से चलाना महंगा पड़ गया. रेलवे ने इस मामले में गतिमान एक्सप्रेस और मालवा एक्सप्रेस (Gatimaan Express and Malwa Express) के पायलटों और उनके सहायकों को सस्पेंड (Suspend) कर दिया है. दरअसल रेलवे ने उस लाइन पर ट्रेनों के लिए 20 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड लिमिट तय की थी, लेकिन ये ट्रेनें 120 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से वह से गुजरी.
यह घटना हाल ही में आगरा कैंट के पास जाजौ और मनियां रेलवे स्टेशन के बीच के सेक्शन में हुई थी. वहां पुल की मरम्मत का काम चल रहा था. इसी वजह से रेलवे ने उस सेक्शन पर 20 किमी/घंटे की स्पीड लिमिट तय कर रखी थी.
रेलवे ने एक्शन की बताई वजह
आगरा मंडल जनसपंर्क अधिकारी (पीआरओ) प्रशस्ति श्रीवास्तव ने इस घटना को कंफर्म करते हुए बताया कि ‘सभी संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है’. रेलवे के एक सूत्र ने बताया, ‘पहली घटना में, गतिमान एक्सप्रेस के लोको पायलट और को-लोको पायलट ने ट्रेन के आगरा कैंट से ग्वालियर के लिए रवाना होने के बाद, तय गति पाबंदी का उल्लंघन किया. गतिमान एक्सप्रेस भारत की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है, जो दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन और उत्तर प्रदेश के वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी जंक्शन के बीच 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से चलती है.’
उन्होंने कहा, ‘गतिमान ट्रेन की घटना के कुछ ही दिन बाद कटड़ा (जम्मू) और इंदौर (मध्य प्रदेश) के बीच चलने वाली एक दूसरी ट्रेन मालवा एक्सप्रेस के ड्राइवरों ने भी उसी जगह पर इसी तरह का उल्लंघन किया और ट्रेन को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाया.’
‘खतरे में डाली यात्रियों की जान’
रेल अधिकारियों का कहना है कि आम तौर पर उस सेक्शन पर सभी सुपरफास्ट और सेमी-हाई स्पीड ट्रेन को 120 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से चलने की इजाजत है. हालांकि, हाल ही में एक नदी पुल की मरम्मत का काम शुरू किया गया था, जिसके कारण 20 किलोमीटर प्रतिघंटे की यह सीमा तय की गई है.
वहीं रेलवे के परिचालन विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि वे बताये गए सेक्शन पर ट्रेन की स्पीड धीमी करना भूल गए होंगे. लोको पायलट के लिए यह अप्रत्याशित है और यह एक गंभीर चूक है, क्योंकि इससे सैकड़ों यात्रियों की जान जोखिम में पड़ सकती थी. रेलवे ऐसी चूकों को बहुत गंभीरता से लेता है.’
बता दें कि रेलवे विभिन्न कारणों जैसे पटरी की हालत, पटरी की मरम्मत, पुराने रेलवे पुल, स्टेशन यार्ड रीमॉडलिंग आदि के लिए ट्रेन के सुरक्षित संचालन के लिए गति पाबंदी लगाता है. अधिकारियों ने बताया कि इंजन पर चढ़ने से पहले लोको पायलट और उनके सहायक संबंधित परिचालन विभाग से सलाह और चेतावनी गति सीमा के साथ-साथ पूरा रूट चार्ट प्राप्त करते हैं और उन्हें उसी के अनुसार गति बनाए रखनी होती है.
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