इंदौर न्यूज़ (Indore News)

80 करोड़ की जमीन की फाइल ढूंढने में दो दर्जन बाबुओं को लगे 120 घंटे


इंदौर संतोष मिश्र। शहर की एक चर्चित 80 करोड़ की जमीन की फाइल को ढूंढने में कलेक्टोरेट के बाबुओं को 5 दिन, यानी कुल 120 घंटे लग गए, तब जाकर कामयाबी मिली। हाईकोर्ट से हारी इस जमीन को लेकर जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में  एसएलपी दायर की है, जिसकी सुनवाई 28 अगस्त को होना है।
सूत्रों के अनुसार कलेक्टोरेट के जी-12 में तहसील का रिकॉर्ड रखा जाता है। तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी के कार्यकाल में हाईकोर्ट से हारी इस जमीन को वर्तमान कलेक्टर कलेक्टर मनीषसिंह ने गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों से सवाल-जवाब किए हैं। इसके बाद से फाइल ढूंढने की प्रक्रिया शुरू की गई। मामला इतना तूल पकड़ा कि पूरे कलेक्टोरेट में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में लगभग दो दर्जन बाबुओं को फाइल ढूंढने के लिए रिकॉर्ड रूम में उतार दिया गया। दो दिनों तक पुरानी फाइलों से धूल झाड़ते हुए पूरी फाइल देख ली गई, जिसके बाद भी नहीं मिली तो अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। अपर कलेक्टर ने साफतौर पर कह दिया कि फाइलें वही रखी गई हैं, सही ढंग से ढूंढें। उसके बाद बाबुओं ने बारीकी से 1-1 फाइल को देखा, जिसके बाद पांचवें दिन सफलता रंग लाई और फाइल मिल गई। उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा वर्षों पहले ग्राम माचला में कृषि कार्य के लिए 80 एकड़ भूमि एक समिति को आवंटित की गई थी। खंडवा रोड से सटी इस जमीन के भाव आसमान छूने लगे तो 16 बिल्डरों ने चुपके-चुपके इसे बेचकर लाखों-करोड़ों रुपए कमा लिए। मामला गरमाने पर तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी द्वारा जांच कराई गई, जिसमें उजागर हुआ कि कृषि कार्य के लिए सरकार द्वारा दी गई जमीन को नियम विरुद्ध बेचा गया है।
16 प्रकरणों में नामांतरण निरस्त…सरकारी घोषित
जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने 16 प्रकरणों में नामांतरण निरस्त कर जमीन को सरकारी घोषित करते हुए प्रशासन के रिकॉर्ड में दर्ज करने के आदेश दिए। बाद में राजस्व मंडल का दरवाजा खटखटाया गया, जहां से आदेश खारिज कर दिया गया। इसके बाद हाईकोर्ट में रिव्यू पिटिशन दायर की गई। अदालत द्वारा दोनों पक्षों के दस्तावेजों की जांच-पड़ताल के बाद अदालत ने खरीदारों के पक्ष में फैसला दिया, जिससे प्रशासन को हार का सामना करना पड़ा।
कलेक्टर ने अफसर भी बदले
सरकारी जमीन पर किए गए 16 रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के लिए प्रशासन जिला कोर्ट में परिवाद दायर कर चुका है। पूर्व में इस कार्य को एसडीएम रविसिंह देख रहे थे, जिसे कलेक्टर सिंह ने बदलते हुए अपर कलेक्टर पवन जैन को जिम्मेदारी दी है। अग्निबाण से चर्चा करते हुए अपर कलेक्टर जैन ने बताया कि प्रशासन का तेजी से प्रयास है कि सुप्रीम कोर्ट से जीत मिल सके। जमीन से सम्बन्धित सारे डॉक्यूमेंट्स भी इक_ा कर लिए गए हैं। अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।

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