विदेश

मोदी-पुतिन शिखर सम्मेलन संग ‘टू प्लस टू’ वार्ता हो सकती है आयोजित

नई दिल्ली। भारत-रूस (India-Russia) ‘टू प्लस टू’ (two plus two talk) रक्षा और विदेश मंत्रिस्तरीय संवाद का पहला संस्करण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(President Vladimir Putin) की एक शिखर बैठक(summit meeting) के साथ आयोजित किया जा सकता है। यह शिखर छह दिसंबर को होने की संभावना है। घटनाक्रम से परिचित लोगों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष मुख्य रूप से समय संबंधी मुद्दों के कारण शिखर सम्मेलन के समय ‘टू प्लस टू’ वार्ता आयोजित (‘Two plus two’ talks held) करने पर विचार कर रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर(External Affairs Minister S Jaishankar) और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह(Defense Minister Rajnath Singh) अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव और सर्गेई शोयगु के साथ बातचीत करने वाले हैं।



विदेश मंत्री एस जयशंकर(External Affairs Minister S Jaishankar) और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह(Defense Minister Rajnath Singh) को नवंबर के अंतिम सप्ताह में मास्को की यात्रा करनी थी, लेकिन 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के कारण कार्यक्रम में संशोधन किया जा रहा है। दोनों मंत्रियों के इस महीने के अंत में या दिसंबर की शुरुआत में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू’ वार्ता के लिए वाशिंगटन का दौरा करने की भी संभावना है। लेकिन, सूत्रों ने कहा कि बातचीत को अब जनवरी तक टाले जाने की संभावना है।
पुतिन के छह दिसंबर को पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय शिखर वार्ता के लिए भारत आने की संभावना है। शिखर सम्मेलन से दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार तथा ऊर्जा के क्षेत्रों में संबंधों को और गति मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक शिखर सम्मेलन में दोनों पक्ष रक्षा, व्यापार और निवेश और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में कई समझौते कर सकते हैं।
प्रौद्योगिकी और विज्ञान पर एक संयुक्त आयोग की घोषणा के अलावा शिखर सम्मेलन में अगले दशक के लिए सैन्य-तकनीकी सहयोग के लिए एक रूपरेखा का नवीनीकरण किया जाना है। भारत और रूस लॉजिस्टिक सपोर्ट समझौते के लिए बातचीत के अंतिम चरण में पहुंच गए हैं और इस पर टू-प्लस-टू वार्ता या शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है। यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को समग्र रक्षा सहयोग बढ़ाने के अलावा कुछ नया करने, मरम्मत के दौरान पुन: आपूर्ति, अच्छे कार्यक्रम को बहाल करने, क्षतिग्रस्त स्थिति को ठीक करने या सुधारने के लिए एक दूसरे के ठिकानों के उपयोग करने की अनुमति देगा।
अफगानिस्तान में सामने आ रहे मानवीय संकट और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए तालिबान द्वारा काबुल के अधिग्रहण के निहितार्थ भी शिखर सम्मेलन में प्रमुखता से चर्चा करने की उम्मीद है। शिखर सम्मेलन पिछले साल कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था। अब तक भारत और रूस के बीच वैकल्पिक रूप से 20 वार्षिक शिखर बैठकें हो चुकी हैं।

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