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Union Budget 2023: अर्थव्यवस्था को राहत के साथ बजट में दिखी “मिशन 2024” की भी आहट

नई दिल्ली (New Delhi)। एनडीए सरकार (NDA government) ने आम चुनावों (general elections) और नौ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों (nine state assembly elections) से ठीक पहले लोक लुभावन बजट (populist budget) पेश किया है। बजट में वैसे तो नीचे से लेकर ऊपर तक हर तबके को साधने की कोशिश (try to reach out to all) की गई है लेकिन महंगाई-बेरोजगारी (inflation-unemployment) जैसे मुद्दों पर ज्यादा मुखर दिखने वाले मध्यम वर्ग को आयकर में बड़ी राहत प्रदान की गई है।

विशेषज्ञों के अनुसार यदि बजट को समग्रता से देखें तो इसमें किसानों, आदिवासियों, सहकारिता, हरित और ग्रामीण अर्थव्यवस्था, महिलाओं, बुजुर्गों, स्टार्टअप समेत समावेश विकास पर सर्वाधिक फोकस किया गया है। इसके पीछे आत्मनिर्भर भारत की राह को मजबूत करना है।


विधनासभा एवं लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह उम्मीद पहले से थी कि सरकार बजट में सभी वर्गों को कुछ न कुछ राहत प्रदान करेगी। लेकिन जिस प्रकार से बजट का ताना-बाना बुना गया है और बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ाया गया है वह रोजगार सृजित करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में तेजी प्रदान करने वाला है। रेवड़ियां बांटने की बजाय तर्कसंग राहत प्रदान की गई हैं।

बुनियादी ढांचे पर 33 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ दस लाख करोड़ का निवेश, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य पालन में 20 लाख करोड़ का निवेश इन क्षेत्रों के लिए ही नहीं पूरी अर्थव्यवस्था के लिए निर्णायक साबित होंगे। इससे प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगारों को गति मिलेगी।

इसी प्रकार मध्यम वर्ग के लिए आयकर की नई एवं पुरानी योजनाओं में कर छूट का दायरा बढ़ाने, वरिष्ठ नागरिकों के लिए के लिए बचत योजना का दायरा बढ़ाने, मासिक बचत योजना का दायरा साढ़े चार लाख से नौ लाख करने तथा महिला सम्मान बचत प्रमाण पत्र योजना की शुरुआत अच्छी पहल हैं। यह योजनाएं घरेलू बचत को प्रोत्साहित करेंगी। आयकर राहतों से लोगों की जेब में खर्च करने के लिए अब ज्यादा पैंसे बदलेंगे जिसे वह खर्च करेंगे। इससे उपभोग के पैटर्न में बढ़ोत्तरी होगी जो अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने के लिए जरूरी होता है।

देश और राज्यों की अर्थव्यस्था कोविड महामारी के प्रभाव से उबरने की कोशिश कर रही है। ऐसे में राजकोकोषीय घाटा हालांकि अभी भी चुनौती बना हुआ है। अगले वित्त वर्ष में इसे 5.9 रहने की संभावना है जबकि राज्यों में यह 6.4 फीसदी तक रहने का अनुमान है। इसके मद्देनजर केंद्र ने राज्यों के लिए कुछ शर्तों के साथ 50 सालों की ब्याज मुक्त ऋण योजना की शुरुआत की है। इससे राज्य पुराने सरकारी वाहनों की स्क्रैपिंग, शहरी आयोजना में सुधार, पुलिस संसाधनों का निर्माण, पुलिसकर्मियों के लिए आवास, स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए यूनिटी मालों की स्थापना जैसी योजनाओं में निवेश कर सकेंगे।

बजट पर उद्योग जगत भी सकारात्मक है। इसमें छोटे उद्योगों को बिना गारंटी के साथ ऋण, मध्यम एवं लघु उद्योगों के लिए ऋण गारंटी योजना विस्तारित करने, स्टार्टअप की टैक्स छूट को विस्ताररित करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि स्टार्टअप को बढ़ाने के लिए कृषि निधि की पहल भी महत्वपूर्ण है।

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