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भारत से समाप्‍त होगा टीका संकट, सरकार ने बनाई ये रणनीति


नई दिल्‍ली । देश India में टीके Vaccine का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार स्वदेशी टीके (Indigenous Vaccines) कोवैक्सीन (Covaxine) के निर्माण की अनुमति अन्य कंपनियों को भी देने के लिए तैयार हो गई है। सरकार इसके लिए टीका निर्माताओं (Vaccine Producer Company) से बातचीत भी कर रही है। यदि किसी दवा (Drug) या टीका निर्माता कंपनी के पास इसके लिए आवश्यक ढांचा और संसाधन हैं तो वह भी आगे आकर सरकार से संपर्क कर सकती हैं, इसके लिए केंद्र की ओर से कहा जा रहा है। जिससे कि उन्‍हें तत्काल अनुमति प्रदान किया जाना संभव हो सकेगा। सरकार की रणनीति (Government Strategy) देढ़ माह के भीतर देश से वैक्‍सीन की कमी (Vaccine Crisis) के संकट को समाप्‍त कर देना है ।

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री (Union Minister of State for Chemicals and Fertilizers) मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandavia ) ने इसे लेकर बताया है कि कोवैक्सीन चूंकि भारत में बना हुआ टीका है, इसलिए इसके निर्माण में एपीआई की समस्या नहीं है। इस अनुसंधान में सहयोगी कंपनियां जरूरत के अनुसार उसकी आपूर्ति करने में सक्षम हैं। देश में 18 साल से अधिक आयु के लोगों का टीकाकरण शुरू होने के बाद टीके की कमी के चलते कई राज्य केंद्र से मांग कर चुके हैं कि कंपल्सिव लाइसेंसिंग के जरिए दूसरी कंपनियों को भी कोवैक्सीन के निर्माण की अनुमति दी जाए। सरकार का रुख स्पष्ट है कि इसके लिए बातचीत की जा रही है। उसने दवा क्षेत्र को भी आमंत्रित किया है कि यदि उनमें निर्माण की क्षमता है तो वे अनुमति के लिए आवेदन करें।


उन्होंने कहा कि देश में टीके की कमी दूर करने के लिए कई स्तरों पर प्रयास हो रहे हैं। हम विदेशों से टीके की खरीद और विदेशी कंपनियों को भारत में उत्पादन शुरू करने के लिए भी प्रयासरत हैं। फाइजर तथा जानसन एंड जानसन से टीकों के आयात और देश में उत्पादन शुरू करने के लिए भारत सरकार ने बातचीत आरंभ कर दी है। फाइजर ने कुछ मुद्दे उठाए हैं, उनका समाधान कुछ दिनों में हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि असल समस्या यह है कि विदेशी कंपनियां भी कई देशों से ऑर्डर ले चुकी हैं तथा पूरी क्षमता के साथ कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि स्पूतनिक वी की खरीद के लिए रूस के साथ पहले ही प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय इन कंपनियों से बातचीत कर रहा है। यदि आने वाले दिनों में इनके साथ खरीद का समझौता हो जाता है तो इससे राज्यों को भी फायदा होगा और कॉरपोरेट अस्पताल, निजी कंपनियां भी सीटे विदेशों से टीका खरीद सकेंगे। निजी कंपनियां अपने स्टाफ के टीकाकरण के लिए सीधे टीका विदेशों से खरीद सकेंगी। उन्होंने कहा कि इस विकल्प पर भी बात चल रही है कि हम कुछ देशों से अभी उधार के तौर पर टीके प्राप्त करें और देश में जब उत्पादन बढ़ेगा तो उन्हें लौटा दें।

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय यह भी आकलन कर रहा है कि देश में रोजाना अधिकतम कितने टीके लगाये जा सकते हैं। अभी तक एक दिन का अधिकतम रिकॉर्ड 43 लाख टीकों का रहा है। हालांकि, रोजाना का औसत 20 लाख का है। इससे टीके की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार कई स्तरों पर टीके की कमी को दूर करने के लिए प्रयास कर रही है तथा अगले डेढ़ महीनों के भीतर देश में टीके की उपलब्धता काफी बढ़ जाएगी और लोग आसानी से टीका लगा सकेंगे। उन्होंने कहा कि देश में रेमडेसिविर का उत्पादन अब काफी अच्छा हो गया है। 25 अप्रैल से 58 संयंत्रों में इसका उत्पादन किया जा रहा है। जबकि उससे पहले सिर्फ 20 संयंत्र में बन रही थी। प्रतिदिन 3.25 वायल तैयार हो रहे हैं। राज्यों को 53 लाख वायल का अलाटमेंट किया गया है। उन्होंने कहा कि 16 मई तक राज्यों को आवंटन हो रखा है। लेकिन जिस हिसाब से उत्पादन बढ़ रहा है, उसके मद्देनजर 16 मई के बाद राज्यों को आन डिमांड रेमडेसिविर प्रदान की जा सकेगी।

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