वाराणसी. काशी में गंगा के रंग बदलने का मामला अब तूल पकड़ गया है। डीएम कौशल राज शर्मा ने इस मामले में पांच सदस्यीय टीम बनाते हुए जांच के आदेश दिए है। जांच कमेटी को तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। धर्मनगरी वाराणसी में गंगा के पानी का रंग हरा हो गया है। घाट दर घाट हरे रंग का पानी सभी को चौंका रहा है। करीब 15-20 दिन पहले गंगा के पानी का रंग बदला था लेकिन उसके बाद तीन दिन तक लगातार हुई बारिश से ये प्रभाव कुछ कम हुआ। उस वक्त सवाल उठने लगे कि गंगा में अविरलता की कमी है। यानी पानी कम होने से बहाव नहीं है। कुछ लोगों ने विकास के कुछ प्रोजेक्ट पर सवाल उठाते हुए बिना किसी ठोस कारण इसका कनेक्शन गंगा से जोड़ दिया जिसके बाद मामला तूल पकड़ गया।
इन सबके बीच प्रशासन (Administration) ने इस पूरे मामले की जांच कराई तो पता चला ये ग्रीन शैवाल (green algae) के कारण ऐसा हुआ है। प्रदूषण नियंत्रण रिपोर्ट के अधिकारियों ने भी उस वक्त ग्रीन शैवाल के कारण हरा रंग होने की बात कही लेकिन बारिश रुकने के बाद जैसे ही धूप के साथ उमस बढ़ी तो एक बार फिर गंगा का पानी हरा हो गया। इस बार इसका फैलाव पहले से ज्यादा है। डीएम कौशल राज शर्मा (DM Kaushal Raj Sharma) ने पांच सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है। कमेटी तीन दिन में अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंपेगी।
फिलहाल प्रथम दृष्टया ये बात सामने आई है कि मिर्जापुर (mirzapur) के चुनार के रास्ते गंगा में एक प्लांट के जरिए ऐसा हो सकता है। बताया जा रहा है कि इस प्लांट के खराब होने से खराब पानी का शोधन नहीं हो पा रहा है। गंगा किनारे घाट पर रहने वाले पंडा-पुजारियों का भी कहना है कि उन्होंने इससे पहले ऐसा नहीं देखा है। हालांकि वे इस प्रकृति की नाराजगी की बात कहकर जोड़ते हैं।
वहीं पांच सदस्यीय टीम ने वाराणसी (Varanasi) से मिर्जापुर के चुनार पहुंचकर ग्रीन शैवाल के उदगम का स्थान पता लगाने और पानी के हरा होने के कारणों की पड़ताल शुरू कर दी है । कमेटी में एसीएम सेकेंड, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी, एसीपी दशाश्वमेध, अधिशासी अभियंता संबंधी प्रखण्ड और जीएम गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई शामिल हैं ।
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