भोपाल। महामंत्री की मारामारी में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा की बनने वाली टीम उलझ गई है। संभागीय स्तर के दो संगठन मंत्री अब महामंत्री बनकर प्रदेश स्तर की राजनीति करना चाहते हैं। इसके चक्कर में पेंच उलझा हुआ है, क्योंकि दोनों की नियुक्ति से पहले संघ से अनुमति लेना होगी। शर्मा को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बने छह माह से अधिक हो गए। इतिहास में वे पहले ऐसे अध्यक्ष हो गए हैं, जो छह माह बाद भी अपनी कार्यकारिणी नहीं बना पाए, वहीं अब तक प्रदेश कार्यसमिति की एक भी बैठक नहीं हुई। पूर्व के सभी अध्यक्षों ने नियुक्ति के तीन माह में ही पुरानी टीम से बैठकें कर ली थीं। कायदे से हर तीन माह में बैठक होना चाहिए। हालांकि कार्यसमिति के लिए उनके पास सरकार गठन और कोरोना काल का बहाना है, लेकिन टीम गठन के लिए वे खुद ही उलझे हुए हैं।
सच्चाई ये है कि प्रदेश भर से नाम निकाल लिए गए हैं, जिसमें सिर्फ महामंत्री पद को लेकर माथापच्ची चल रही है। संभागीय संगठन मंत्री जयपालसिंह चावड़ा और आशुतोष तिवारी अब प्रदेश भाजपा की राजनीति करने की इच्छा रख रहे हैं। इसके चलते उन्होंने महामंत्री बनाए जाने की इच्छा भी जाहिर कर दी है। ऐसे में दोनों में से एक को महामंत्री तो दूसरे को उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है। इसके अलावा सबसे बड़ा पेंच संघ का है। संगठन मंत्री की नियुक्ति संघ से होती है तो हटाने के लिए भी उनकी स्वीकृति लगती है। इसको लेकर शर्मा व संगठन महामंत्री सुहास भगत को संघ के क्षेत्रीय प्रचारक से चर्चा करना होगी। बताते हैं कि जल्द ही मुलाकात होनी थी, लेकिन कोरोना के कारण गुत्थी उलझ गई।
दस दिन फिर अटके
कल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शर्मा व संगठन महामंत्री भगत की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई है। दोनों ही नेता अब कम से कम दस दिन के लिए उलझ गए। सार्वजनिक तौर पर अब वे कहीं नजर नहीं आएंगे। उस हिसाब से कार्यकारिणी भी अब दस दिन के लिए क्वॉरन्टीन हो गई।