ब्‍लॉगर

विकराल रूप लेती वाहन-पार्किंग की समस्या

– अली खान

मुंबई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पार्किंग की समस्या को लेकर राज्य सरकार को जमकर लताड़ लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि मुंबई और उप-नगरों में दिनोंदिन पार्किंग की समस्या गंभीर होती जा रही है। सड़कों की लगभग चालीस फीसदी जगह दोनों तरफ गाड़ी पार्किंग से कम हो जाती है। आम आदमी के लिए सड़कों पर चलने की जगह नहीं है। पीठ ने सवाल उठाया कि एक परिवार को चार से पांच गाड़ियां रखने की अनुमति क्यों दी जा रही है? पीठ ने कहा कि पार्किंग के लिए जगह हो तो ही नई गाड़ी खरीदने की अनुमति देनी चाहिए।

बता दें कि मुंबई हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका में अवैध पार्किंग का मुद्दा उठाया गया था। याचिका में कहा गया था कि बिल्डर बहुमंजिला इमारतों में गाड़ियों की पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं करते, जिसके चलते उसके निवासी सोसायटियों के बाहर सड़कों पर पार्किंग करते हैं।

दरअसल, आज सच्चाई यह है कि पार्किंग की समस्या कमोबेश देश के सभी शहरों में देखी जा सकती है। अखबारों में आए दिन सुर्खियां बनती है कि गाड़ी पार्किंग को लेकर झड़प हुई। उत्तर प्रदेश से खबर सामने आई थी कि एक दुकान के सामने गाड़ी पार्क करने के कारण दुकानदार और ड्राइवर के बीच हाथापाई हो गई थी। इसके अलावा छत्तीसगढ़ से एक खबर थी कि गाड़ी पार्किंग को लेकर दो पक्षों में झड़प हो गई थी। झड़प में गोलीबारी भी की गई थी।

शहरों में पार्किंग की समस्या के कारण हर दिन ऐसे विवाद सामने आ रहे हैं। ऐसे में यह सवाल मौजूं है कि आखिर विकराल रूप लेती पार्किंग की समस्या का समाधान की दिशा में सरकारें संवेदनशीलता का परिचय क्यों नहीं दे रही ? देश के सभी शहरों के प्रमुख बाजारों में पार्किंग की समस्या गंभीर रूप ले रही है। यह भी देखा गया है कि बाजार में जगह नहीं होने के कारण लोग मनमर्जी करते हुए फुटपाथ और सड़कों पर गाड़ी पार्क करने से पीछे नहीं हटते। आज आलम यह है कि अवस्थित पार्किंग छोटे से लेकर बड़े शहरों में जाम का मुख्य कारण बन रही है।

वहीं, देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां वाहनों की पार्किंग का संकट लगातार बढ़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, सत्तर लाख से अधिक वाहनों वाले इस महानगर में वाहनों की संख्या में बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है, लेकिन इसी अनुपात में इनकी पार्किंग के इंतजाम नहीं किए जा रहे। देश की राजधानी दिल्ली के साथ एक बड़ी समस्या यह भी जुड़ी हुई है कि यहां पड़ोसी शहरों से भी प्रतिदिन लाखों की संख्या में गाड़ियां आती हैं। इन्हें भी आखिरकार कहीं ना कहीं जगह चाहिए। यही वजह है कि सड़क से लेकर बाजार तक बुरा हाल है।

बढ़ते वाहनों की वजह से वायु प्रदूषण से भी राजधानी को दो-चार होना पड़ रहा है। विशेषज्ञों ने दिल्ली सरकार को सुझाव दिया था कि शहर में बढ़ते प्रदूषण, सड़क जाम और पार्किंग जैसी समस्याओं पर काबू पाने के लिए निजी वाहनों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाई जाए। इसके लिए पार्किंग शुल्क में इजाफे की बात कही गई थी। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या पार्किंग की समस्या का यह स्थाई समाधान हो सकता है ? जरूरत इस बात की है कि विकराल रूप लेती पार्किंग की समस्या का स्थाई समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाए। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह कहा जा सकता है कि पार्किंग की समस्या बहुत बड़ी परेशानी का सबब बनती नजर आएगी।

आज शहरों में निजी वाहनों की संख्या में बेतहाशा और अनियंत्रित बढ़ोतरी हो रही है। इसके चलते सुगम यातायात प्रभावित होता है। ऐसे में सरकारों को निजी वाहनों के क्रय पर लोक परिवहन एवं यातायात शुल्क अधिरोपित करने का प्रावधान करना चाहिए, जिससे निजी वाहनों की संख्या में कमी आएगी और सुगम यातायात सुनिश्चित हो सकेगा। मौजूदा वक्त में नगरीकरण की दर में हो रही वृद्धि से शहरों की भूमि के मूल्यों में अनपेक्षित बढ़ोतरी हुई है। इसलिए शहरों में विशेषकर व्यस्ततम इलाकों में रिक्त स्थानों के अभाव होने से शहर की आवश्यकता के अनुरूप पार्किंग अधोसंरचना का विकास किया जाना संभव नहीं हो पा रहा है। इसके चलते लोग अपनी गाड़ियों को घर से बाहर सड़क पर पार्क कर देते हैं। इससे न केवल सड़क पर से होकर गुजरने वाले लोगों को बल्कि यातायात को भी कई प्रकार की दिक्कतें झेलनी पड़ती है। ऐसे में शहर में सुगम यातायात सुनिश्चित करने के लिए पार्किंग अधोसंरचना में वृद्धि एवं अपेक्षित जनसहभागिता की आवश्यकता है।

अकसर यह देखा गया है कि पार्किंग के प्रति जन-जागरूकता के अभाव में कई लोग पार्किंग स्थलों का उपयोग न कर, पार्किंग के लिए गैर चिह्नित स्थलों पर वाहन पार्क कर देते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग नो-पार्किंग जोन, नो-स्टॉपिंग जोन एवं कंट्रोल्ड पार्किंग के क्रियान्वयन में अपेक्षानुरूप सहयोग नहीं करते है, जिससे पार्किंग नियमों का समुचित क्रियान्वयन संभव नहीं हो पाता है। यह सही है कि पार्किंग नियमों का पालन तभी हो सकेगा, जब नागरिक पार्किंग के महत्त्व को समझें। इसके साथ-साथ सरकारों को पार्किंग की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे साथ ही नागरिकों को सूचना, शिक्षा, संचार गतिविधियों के माध्यम से पार्किंग के महत्त्व को समझाये जाने की निहायत जरूरत भी है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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