भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

वेटरन हॉकी खिलाड़ी ज़ुबैदा ख़ातून का इंतक़ाल, चाहने वालों में बेहद अफसोस

शुक्रिया ऐ क़ब्र तक पहुँचाने वालो शुक्रिया
अब अकेले ही चले जाएँगे इस मंजिल से हम।

जुबेदा आपा या जुबेदा खातून बीती शाम मगरिब के बाद इस दुनिया-ए-फानी से कूच कर गईं। मुक्तसर सी अलालत (कुछ दिन की बीमारी) के बाद उनका इंतक़ाल हो गया। अस्सी पार की जुबेदा खातून के यूं अचानक जाने की खबर जिसने भी सुनी वो अफसोस में डूब गया। हालांकि उनका आबाई मकान फतेहगढ़ फायर ब्रिगेड के पास था…अलबत्ता गुजिश्ता कुछ दिनों से वो एयरपोर्ट रोड पे इन्द्रविहार कालोनी में अपने फज़ऱ्न्द सैयद हारून रशीद के दौलतक़दे पर रह रही थी। ज़ुबैदा खातून भोपाल की उस हस्ती का नाम था जिसने पचास और साठ की दहाई में महिला हॉकी में भोत नाम कमाया। वो ताउम्र उन तमाम ख़ातूनों के लिए तरग़ीब (प्रेरणा) बनी रहीं जो मआशरे की बंदिशों के चलते आगे नहीं बढ़ पातीं हैं। ज़ुबैदा खातून ने 1955 से 65 के दरम्यान लपक हॉकी खेली। वो राइट इन पोजि़शन की बहुत जानदार पिलियर थीं। ये वो दौर था जब भोपाल में लड़कियां बाहर निकलने तक मे गुरेज़ करती थीं। उस दौर में ज़ुबैदा खातून ने हॉकी को अपना करियर बनाया। वो पहले भोपाल गल्र्स स्कूल टीम में खेलीं। फिर उनका सिलेक्शन भोपाल डिवीजन की गल्र्स हॉकी टीम के कैप्टन के लिए हो गया। इस दरम्यान उन्हीने मुल्क में कई आल इंडिया गल्र्स हॉकी टूर्नामेंट खेले और जीते। राइट इन पोजि़शन पे उनके पास बॉल आने का मतलब था सामने वाली टीम पे गोल पडऩा। कालिज में दाखिला लेने के बाद आप विक्रम यूनिवर्सिटी की टीम से भी खूब खेलीं। हॉकी में अपनी अलग पहचान बनाने पर ज़ुबैदा खातून को साबिक़ प्रायमिनिस्टर जवाहरलाल नेहरू ने कोलकाता में एक टूर्नामेंट में अवार्ड से नवाजा था।


ज़ुबैदा खातून के वालिद मरहूम अब्दुल वहीद खान भोपाल रियासत में नवाब के मुलाजि़म थे और तरक्की पसंद इंसान थे। इनकी शादी बैरसिया के जागीरदार सैयद रशीद अहमद साहब के साथ हुई थी। रशीद अहमद खुद हॉकी के जानदार पिलियर थे। उन्ने भोपाल वांडर्स टीम से खूब हॉकी खेली। रशीद साब सेंटर फॉरवर्ड पोजि़शन के नायाब खिलाड़ी थे। उनकी तालीम भोपाल के अलेक्जेंड्रिया स्कूल में हुई थी। रशीद साब भोपाल नगर निगम में स्पोट्र्स ऑफिसर के ओहदे पे रहे। बरसों पहले उनका इंतक़ाल हो गया। ज़ुबैदा खातून सरकारी सुलेमानिया और इतवारा के सईदिया स्कूल में टीचर रहीं। इनके हज़ारों शागिर्दों ने अलग अलग इलाक़ों में खूब नाम कमाया। ज़ुबैदा आपा अपने पीछे तीन बेटियों और एक बेटे सहित भरे पूरे कुनबे को तनहा छोड़ गईं हैं। इनकी एक बेटी इंग्लैंड में रहती हैं। एक बेटी हमीदिया गल्र्स स्कूल में लेक्चरर हैं और एक इंजीनियर हैं। बेटे सैयद हारून रशीद अपना बिजनेस संभालते हैं। उनके जनाजे की नमाज़ शाहजहानाबाद में कच्ची मस्जिद के पास अदा की गई। उनके अज़ीज़ों और चाहने वालों ने पुरनम आंखों से उन्हें विदाई दी। मरहूमा को आज सुबह मुफ़्ती साहेबान के आबाई क़ब्रिस्तान में सुपुरदेखाक किया गया। ज़ुबैदा खातून साहेबा को खिराजे अक़ीदत। मरहुमा हर बरस पढ़ाई में अव्वल आने वाले बच्चों को अपनी तरफ से अवार्ड दिया करती थीं।

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