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खुद भरना चाहते हैं ITR? तो पहले लगाएं टैक्सेबल इनकम का हिसाब, जानिए तरीका


नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आपको इसी महीने के अंतिम दिन मतलब 31 जुलाई तक आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा. इसके बाद यदि आप रिटर्न दाखिल करेंगे तो जुर्माना भरना होगा. आप चाहें तो खुद भी रिटर्न कर सकते हैं या फिर किसी एक्सपर्ट की सलाह या मदद ले सकते हैं. रिटर्न फॉर्म में पहले से कई जानकारियां भरी होती हैं. लेकिन, इसके लिए आपको कुछ होमवर्क करना होगा. इनमें से सबसे पहले अपनी कर योग्य आय (Taxable Income) को जानना है.

आयकर रिटर्न भरने के लिए सबसे पहला कदम यही जानना है कि आपकी टैक्सेबल इनकम कितनी है. इसका मतलब आपकी आय का वह हिस्सा है, जिस पर आपको टैक्स चुकाना होता है. जो लोग नौकरीपेशा हैं, उनके लिए अपनी टैक्सेबल इनकम जानना आसान है.

पांच तरह के आय के स्रोत
आयकर के नियमों के अनुसार, आय के पांच स्रोत हैं- वेतन से आय (Income from Salary), हाउस प्रॉपर्टी से हुई आय (Income From house Property), पूंजीगत लाभ से आय (Income from Capital gains), 4. व्यवसाय और पेशे से आय (Income from business and profession), और अन्य स्रोतों से आय (Income from other Sources).

इनकम फ्रॉम सैलेरी में आपको सैलरी के रूप में इनकम मिलती है. इसका विवरण फॉर्म 16 में दिया गया है. जिस कंपनी में आप काम करते हैं वह आपको हर साल फॉर्म 16 जारी करता है. कंपनियों को अपने कर्मचारियों को 15 जून तक फॉर्म 16 जारी करना होता है. इसमें पिछले वित्तीय वर्ष में आपके द्वारा प्राप्त वेतन, हर तिमाही में टीडीएस कटौती, कर छूट और कटौती का दावा शामिल है.

हाउस रेंट अलाउंस और लीव ट्रैवल कन्सेशन, 80C के तहत किया गया निवेश, 80D के तहत मेडिक्लेम प्रीमियम पेमेंट आदि टैक्स छूट और डिडक्शन के दायरे में आते हैं. इनके अलावा नौकरीपेशा लोगों को एक वित्तीय वर्ष में 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलता है.


हाउस प्रॉपर्टी के हैं तीन पार्ट
हाउस प्रॉपर्टी से आय जानने के लिए नियम और शर्तें भी हैं. इसके लिए संपत्ति को तीन भागों में बांटा गया है. इनमें स्व-अधिकृत (Self-Ocupied) संपत्ति, किराये की संपत्ति और किराये पर दी गई समझी जाने वाली संपत्ति शामिल हैं. स्व-अधिकृत संपत्ति का अर्थ है एक संपत्ति (मकान), जिसका उपयोग आप अपने जीवन-यापन के लिए करते हैं. आयकर के नए नियमों के अनुसार दो संपत्तियों को स्व-अधिकृत माना जा सकता है. यदि आपके पास तीसरी संपत्ति है, चाहे आपने इसे किराए पर दिया हो या नहीं, इसे डीम्ड आउट माना जाएगा. तब इससे होने वाली आय (किराया) आपकी आय मानी जाएगी.

पूंजीगत लाभ से आय के अंतर्गत एक विशेष प्रकार की आय होती है. इनमें संपत्ति, म्यूचुअल फंड्स, शेयरों की बिक्री से होने वाला लाभ शामिल है. यह दो प्रकार का होता है – शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन. संपत्ति खरीदने और बेचने के बाद का समय इस बात पर निर्भर करता है कि इससे होने वाला लाभ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होगा या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन. विभिन्न संपत्तियों के लिए एक अलग कार्यकाल है.

अपना काम करने वालों की अलग कैटेगरी
व्यवसाय और पेशे से आय उन लोगों के लिए है जो स्वरोजगार करते हैं. इसके अंतर्गत वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, स्वतंत्र लेखक आदि आते हैं. ऐसे लोगों को अपनी आय को ‘व्यापार और पेशे से आय’ के तहत घोषित करना होता है. अंत में अन्य स्रोतों से आय आती है. जो आय ऊपर बताए गए आय के 4 स्रोतों से अतिरिक्त है, उसे अन्य स्रोतों से आय के अंतर्गत दर्शाया जाता है.

इसमें बैंक के बचत खाते, एफडी खाता, बीमा कंपनी से प्राप्त पेंशन, शेयरों से प्राप्त लाभांश आदि शामिल हैं. उपरोक्त सभी स्रोतों से होने वाली आय को जोड़ने के बाद, आपको अपनी कुल टैक्सेबल आय प्राप्त होगी. इसमें से आपको सेक्शन 80C, सेक्शन 80D आदि के तहत उपलब्ध डिडक्शन को काटना होगा. फिर जो रकम बचेगी, उसके हिसाब से टैक्स भरना होगा.

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