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मौसम का संकेतः समय से पहले भीषण गर्मी की दस्तक से बढ़ सकती है महंगाई

नई दिल्ली (New Delhi)। समय से पहले दस्तक (premature knock) दे चुकी गर्मी (scorching heat) की वजह से आने वाले दिनों में महंगाई और बढ़ सकती (Inflation may rise further) है। अल-नीनो (al Nino) की वजह से मानसून पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। खाने पीने से जुड़ी चीजों की महंगाई (food inflation) बढ़ने और कच्चे माल की उपलब्धता पर भी असर पड़ने के संकेत मिल रहे हैं।

अल-नीनो से मुश्किल केयर रेटिंग के आकलन के मुताबिक, अल-नीनो की वजह से सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। इससे खरीफ की फसल प्रभावित होती देखी जा सकती है। साथ ही समय से पहले आ गई गर्मी की वजह से रबी की उपज पर भी असर देखने को मिल सकता है।

फसल पर असर सांख्यिकीविद प्रणब सेन का मानना है कि देश में मौसम में हो रहे परिवर्तन से गेहूं की फसल बुरी तरह प्रभावित होगी। उन्होंने बताया कि पिछले साल बारिश देर से हुई थी, तो सब्जियों के दाम बड़े पैमाने पर बढ़े थे। इस बार मानसून के कमजोर होने की आशंका से दोहरी मार पड़ेगी।


विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम की वजह से किसान फसल बोना कम कर देगा तो शहरी लोगों को महंगी सब्जियों पर निर्भर रहना होगा जो खाने पीने की चीजों की महंगाई को बढ़ाएगा और ग्रामीण इलाकों में रोजगार का संकट बढ़ेगा। उपज कम होने से निर्यात के माध्यम से होने वाले फायदे भी घटेंगे।

उत्तर भारत में जल्दी गर्मी बढ़ने का कारण
उत्तर भारत में जल्दी गर्मी बढ़ने का एक प्रमुख कारण सर्दियों की बारिश में लगातार कमी होना है। दिसंबर-फरवरी के तीन महीनों में बारिश औसत से कम होने के कारण तापमान सामान्य से अधिक रहा है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभ की आवृत्ति एवं तीव्रता कम हो रही है।

क्लाइमेट ट्रेंड के विश्लेषण के अनुसार, दिसंबर का औसत तापमान 27.32 डिग्री दर्ज किया गया, जबकि सामान्य तापमान 26.53 डिग्री है। यानी महीने के तापमान में 0.79 डिग्री की वृद्धि हुई। इसी प्रकार जनवरी की बात करें तो इसमें 0.19 डिग्री की वृद्धि देखी गई। यह 25.60 डिग्री की तुलना में थोड़ा ज्यादा 25.79 डिग्री रहा। फरवरी का औसत तापमान 27.80 डिग्री होता है, जबकि यह 1.7 डिग्री बढ़कर 29.54 डिग्री दर्ज किया गया है।

सात पश्चिमी विक्षोभ बने
दिसंबर में सात डब्ल्यूडी देखे गए। इनमें से केवल 1 डब्ल्यूडी (28-30 दिसंबर) के कारण पश्चिमी हिमालय और आसपास के मैदानी इलाकों में बारिश या बर्फबारी हुई। हालांकि, शेष छह डब्ल्यूडी कमजोर थे। उन्होंने इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित नहीं किया। जनवरी के दौरान कुल 7 डब्ल्यूडी उत्तर भारतीय क्षेत्र में चले।

बारिश लगातार घट रही
अब इन तीन महीनों की बारिश पर नजर डालें तो वह लगातार घट रही है। दिसंबर में 13.6 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश का रिकॉर्ड 15.4 मिमी का है। इसमें 12 फीसदी की कमी रही। जनवरी में 14.8 मिमी बारिश हुई, 17.1 मिमी सामान्य बारिश होती थी, जिसमें 13 फीसदी की कमी हुई।

सर्दियों के मौसम की शुरुआत फीकी
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल सर्दियों की शुरुआत फीकी रही। पिछले साल नवंबर-दिसंबर में कोई खास सर्दियों की बारिश और बर्फबारी की घटना नहीं हुई। नतीजतन अधिकतम तापमान सामान्य औसत से काफी ऊपर रहा। सर्दियों की बारिश उत्तर पश्चिम, मध्य पूर्व और पूर्वोत्तर में नहीं हो रही है।

वर्षा में विसंगति बदलाव का परिणाम
मौसम विज्ञानियों के अनुसार, तापमान और वर्षा में विसंगति मौसम के पैटर्न में बदलाव का परिणाम है। सर्दी के मौसम में पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता और आवृत्ति कम रही है। पश्चिमी विक्षोभ मौसम की गतिविधियों को चलाने और उत्तर पश्चिम भारत और मध्य भारत के आस-पास के क्षेत्रों में सर्दियां लाने के लिए जाना जाता है।

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