भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

साप्ताहिक कालम: सुनी सुनाई… रवीन्द्र जैन

कृष्ण के सामने प्रभात
म ध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने दो महीने पहले ही ग्वालियर में वार रूम बनाकर इसकी जिम्मेदारी अपने तेज तर्रार प्रवक्ता कृष्ण कुमार मिश्रा को सौंप दी थी। मिश्रा लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ कांग्रेस छोडने वाले विधायकों पर जमकर हमला कर रहे हैं। अब भाजपा ने भी इसका मुकाबला करने अपने तेज तर्रार नेता और पूर्व पत्रकार प्रभात झा को ग्वालियर तैनात करने का फैसला कर लिया है। मजेदार बात यह है कि एक समय केके मिश्रा सिंधिया समर्थकों में गिने जाते थे और प्रभात झा सिंधिया के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। अब मिश्रा को सिंधिया पर हमले करने हैं और प्रभात को सिंधिया का बचाव।

आईएएस का कृष्ण प्रेम
म ध्यप्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मनोज श्रीवास्तव की कलम पिछले 8 दिन से लगातार भगवान कृष्ण और राधा के संबंधों पर चल रही है। मध्यप्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव जैसी अति महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से समय निकालकर मनोज श्रीवास्तव का लेखन काफी सराहा जा रहा है। जन्माष्टमी के आसपास राधा-कृष्ण की याद पर उनके 8 लेख सामने आ चुके हैं। इन लेखों में प्रेम, सौन्दर्य, साहित्य, संस्कृति, संस्कार, कर्तव्यों को बेहद साहित्यिक शैली में प्रस्तुत किया जा रहा है। मनोज श्रीवास्तव के फेसबुक पर आप इन लेखों को लोग चाव से पढ़ रहे हैं।

एक गौ भक्त की मौत
गौ सेवा के लिए इस युवक ने न तो भगवे कपड़े पहने थे और न ही माथे पर लंबा तिलक लगाया था। फिर भी पूरे देश में घूमकर 35 हजार गायों का जीवन बचाने वाले इस युवक को कोरोना ने लील लिया। शनिवार को भोपाल के एम्स अस्पताल में सुरेंद्र जैन गंजबासौदा का 55 साल की उम्र में निधन हो गया। 20 साल पहले आचार्य श्री विद्यासागर जी की प्रेरणा से गंजबासौदा में चमड़े के जूतों की दुकान बंद कर आजीवन गौरक्षा और गौसेवा का संकल्प लेकर देशभर में घूम घूमकर गायों को बचाने वाले और नई-नई गौशालाएं खुलवाने वाले सुरेंद्र जैन की मौत पर इंसानों से ज्यादा शायद गाय दुखी होंगी। रविवार को अधिकांश जैन संतों ने अपने प्रवचन में सुरेंद्र के गौसेवा के कार्यों की प्रशंसा की।

गोविन्द बने गांधी
म ध् यप्रदेश के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविन्द सिंह अचानक महात्मा गांधी की भूमिका में नजर आ रहे हैं। उन्होंने अपने गृह जिले भिंड में अवैध रेत खनन के खिलाफ सत्याग्रह शुरू कर दिया है। सत्याग्रह शुरू करने से पहले डॉ. गोविंद सिंह लगभग एक सप्ताह भोपाल में रहकर महात्मा गांधी के डांढी मार्च से संबंधित पुस्तकें पढ़ते रहे। उन्होंने भोपाल में ही मन बना लिया था कि भिंड में चल रहे रेत खनन के खिलाफ 15 अगस्त से सत्याग्रह शुरू करेंगे। फिलहाल उन्होंने एक दिवसीय उपवास किया है। अब वे लहार से भिंड तक पैदल यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। डॉ. गोविंद सिंह ने अपने समर्थकों से इस दौरान संयम में रहने और गांधी की तरह अहिंसक आंदोलन करने को कहा है!

छुपा रहे भ्रष्टाचार
ए क ओर शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए मंत्रिमंडलीय समिति गठित की है। दूसरी ओर कई विभागों में कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में हुए विभागों को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है। मार्च के दूसरे सप्ताह में ही कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गयी थी। राज्यपाल इसकी पुष्टि कर चुके थे। इसके बाद एक विभाग ने लगभग सवा सौ करोड़ का भुगतान गलत तरीके से किया। इस संबंध में भाजपा विधायक ने विधानसभा में प्रश्न लगाया, लेकिन विभाग ने जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया है। यह बात दूसरी है कि विधानसभा सत्र निरस्त होने से सारे प्रश्न भी निरस्त हो गए। लेकिन प्रश्न लगने से विभाग की मंशा तो प्रकट हो ही गई। अब यह मामला भाजपा और संघ नेताओं के संज्ञान में लाया जा रहा है।

बेकाम मधु बाबू
म ध्यप्रदेश के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी मधु कुमार बाबू पिछले एक महीने से बिना काम के बैठे हैं। एक वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने उन्हें परिवहन आयुक्त से हटा दिया था। लेकिन अभी तक उन्हें किसी विभाग में पदस्थ नहीं किया गया है। दूसरी ओर लोकायुक्त ने उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि उज्जैन आईजी रहते उन्होंने थाना प्रभारियों से लिफाफे लिए थे। पुलिस मुख्यालय में दोपहर की चाय पर अधिकारियों के बीच लोकायुक्त की जांच सर्वाधिक चर्चा का विषय है। अधिकारियों का मानना है कि लोकायुक्त को यह सिद्ध करना मुश्किल होगा कि मधुकुमार बाबू लिफाफों में रिश्वत ले रहे थे। क्योंकि शायद ही कोई थाना प्रभारी ऐसा बयान दे कि लिफाफे में उसने रुपये रखे थे। यदि ऐसा बयान दिया तो नियमानुसार थाना प्रभारी भी रिश्वत देने का आरोपी बनेगा।

सिंधिया का कद और पोस्टर
भो पाल में अधिकांश मंत्रियों के बंगलों के बाहर पोस्टर और होर्डिंग लगे मिल जाएंगे। लेकिन खास बात यह है कि इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बहुत छोटा और बहुत बड़ा मिलेगा। दरअसल भाजपा के पुराने मंत्रियों के बंगले पर लगे पोस्टर बैनर में शिवराज सिंह चौहान का फोटो सबसे बड़ा होता है और सिंधिया का सबसे छोटा वह भी कोने में। जबकि सिंधिया समर्थक मंत्रियों के बंगलों पर लगे पोस्टर, बैनर पर सिंधिया का फोटो सबसे बड़ा होता है और शिवराज सिंह चौहान का बहुत छोटा सा। तय है कि कांग्रेस से भाजपा में आकर मंत्री बने यह पूर्व विधायक अभी भी शिवराज के बजाए सिंधिया को ही अपना नेता मानते हैं।

और अंत में…!
जै से जैसे 30 सितंबर की तारीख नजदीक आ रही है, प्रदेश के पुलिस प्रमुख को लेकर अटकलें तेज होती जा रही हैं। यूं तो मौजूदा डीजीपी विवेक जौहरी की कार्यशैली और ईमानदारी से सभी खुश हैं, लेकिन जब तक 30 सितंबर नहीं निकल जाती, तब तक उन्हें लेकर संशय बना हुआ है। जौहरी का कार्यकाल 30 सितंबर को खत्म हो रहा है। कमलनाथ सरकार ने जाते जाते उनका कार्यकाल दो साल बढ़ा दिया था। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तय करना है कि दो साल जारी रखना है या 60 साल की उम्र होते ही सेवानिवृत्त करना है!

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