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जहां कल थी राम नाम की जयकार… वहां आज है राम नाम सत्य है के साथ चीत्कार

जहां कल थी राम नाम की जयकार… वहां आज है राम नाम सत्य है के साथ चीत्कार
जिस गली, मोहल्ले, इलाके में सुबह उत्सव का उल्लास, वंदनवारों का शृंगार, भजन का शक्तिभाव, हवन की आस्था, आरती का शंखनाद गूंजा…उसी इलाके में आज मातम की चीत्कार… हादसे की दहशत… मौतों का विलाप… शवों की कतार नजर आई… कल जहां राम नाम की जय-जयकार गुंजाई वहां आज राम नाम सत्य है की वेदना, मौतों का विषाद, अश्रुओं की धारा और परिजनों का प्रलाप नजर आया… कौन समझेगा इसे… क्या कहेगा इसे…रामजी के जन्मोत्सव पर भक्तों की मौत… कौन विश्वास करेगा कि रामजी की शक्ति को काल ने चुनौती दे डाली…आज आस्था डगमगा रही है…विश्वास विलाप कर रहा है… मां से बच्चे बिछुड़ गए और बच्चों से माता-पिता…कोई पत्नी के लिए विलाप कर रहा है…कोई पति से विमुख होकर रो रहा है… एक घर से तीन-तीन लाशें निकल रही हैं…फिर भी आस्था राम नाम को सत्य बता रही है…आज भगवान भी आंसू बहाएंगे, जब एक साथ अपने इतने भक्तों के घरों में मातम पाएंगे…जो रामजी के नाम का दीप जला रहे थे उनके घरों के दीप बुझ गए…यदि यह आस्था पर सवाल है तो है… यदि यह विश्वास का विषाद है तो है… क्योंकि वो जीवन के संघर्ष में विजय की कामना के लिए गए थे, मौत से पराजय के लिए नहीं…वो उस मर्यादा पुरुषोत्तम की जयकार के लिए गए थे, जिसने अपनी पत्नी के लिए काल को मात दी थी…रावण का संहार किया था…लंका का दहन किया था, क्योंकि वो परिवार का दर्द समझते थे…पत्नी के लिए लड़ते थे…पिता के वचन के लिए वनवास तक पर निकल पड़ते थे…भाइयों से प्रेम रखते थे… लेकिन उनकी पूजा करने वाले, उनके लिए यज्ञ-हवन की आहुतियां देने वाले, उनकी आरती की थाल उठाने वाले उनकी आंखों के सामने सदा के लिए अपनों से बिछुड़ गए…कोई अनाथ हो गया…कोई बेऔलाद रह गया…कोई विधवा का दंश भोगने को मजबूर हो गई…काल के इस प्रहार पर राम की भक्ति ढाल क्यों नहीं बन पाई…आज यदि आस्था सवाल उठा रही है तो एक हकीकत भी जवाब मांग रही है कि हम भक्ति के लिए भीड़ क्यों बनते हैं…क्यों एक ही दिन मंदिरों पर टूट पड़ते हैं…क्यों भगवान को कण-कण में नहीं समझते हैं…क्यों उपेक्षित मंदिरों को उत्सव, उल्लास और भक्ति के स्थलों में नहीं बदलते हैं…क्या माताजी वैष्णोदेवी में ही विराजती हैं… क्या कृष्ण मथुरा में ही रहते हैं…क्या सरयू नदी में ही आस्था के जल बहते हैं…बदलना होगी सोच…भक्ति करिए, भीड़ मत बनिए…आस्था रखिए, ढोंग से बचिए… भगवान है तो जान है, लेकिन जान है तभी तो भगवान है…

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