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जगन्नाथ मंदिर के गर्भ गृह में राष्ट्रपति ने क्यों नहीं की पूजा? बवाल पर पुजारी ने दी सफाई

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें आती हैं, जो अक्सर चर्चा का विषय बनती हैं. बीते दिनों भी ट्विटर पर एक तस्वीर सामने आई जिसने एक नई बहस को जन्म दिया. ये तस्वीर किसी और की नहीं, बल्कि देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की थी. राष्ट्रपति भवन की ओर से राष्ट्रपति की राजधानी दिल्ली के जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करते हुए तस्वीर साझा की गई, लेकिन इस पर बड़ा विवाद हो गया. कुछ लोगों ने दावा किया कि मंदिर में राष्ट्रपति के साथ भेदभाव हुआ है, जिसकी मुख्य वजह उनका आदिवासी होना है. हालांकि, मंदिर प्रशासन ने इस तरह के दावे को पूरी तरह से नकार दिया है. राष्ट्रपति के जगन्नाथ मंदिर में जाने और पूजा को लेकर पूरा विवाद क्या है, आपको पूरा मामला बताते हैं.

राष्ट्रपति ने कब और कहां पर किए दर्शन?
राष्ट्रपति भवन की ओर से 20 जून से एक ट्वीट किया गया, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दिल्ली के हौजखास स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर जाने की जानकारी दी गई. ट्वीट में लिखा गया, ‘भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के शुभारंभ के अवसर पर सभी देशवासियों, विशेष रूप से भगवान जगन्नाथ के श्रद्धालुओं को मैं हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूं. मैं महाप्रभु जगन्नाथ से प्रार्थना करती हूं कि भक्ति और समर्पण का यह त्योहार, सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए. जय जगन्नाथ!’

राष्ट्रपति मुर्मू ने यहां पूजा-अर्चना की और मंदिर का दौरा किया. दरअसल, यहां मौका कुछ खास और निजी था. क्योंकि 20 जून को ही राष्ट्रपति का जन्मदिन था, ऐसे में वह इस मौके पर श्री जगन्नाथ मंदिर में दर्शन के लिए गई थीं.

दर्शन पर क्यों हुआ विवाद, किसने जताई आपत्ति?
तस्वीर सामने आने के कुछ देर बाद ही इस पर विवाद हो गया. दरअसल, जो फोटो शेयर की गई उसमें देखा जा सकत है कि राष्ट्रपति मुर्मू मंदिर के गर्भ गृह से बाहर खड़े होकर पूजा कर रही हैं. मंदिर के पुजारी गर्भ गृह के अंदर हैं, बीच में एक बैरिकेडिंग जैसी लकड़ी लगी है और उसके बाहर से राष्ट्रपति दर्शन कर रही हैं. सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इस तस्वीर पर आपत्ति जताई और कहा कि यहां राष्ट्रपति को मंदिर के भीतर नहीं जाने देना गलत है. लोगों ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, धर्मेंद्र प्रधान की पुरानी तस्वीरों को ट्वीट किया जिनमें वह गर्भ गृह के भीतर खड़े होकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं.


ट्विटर हैंडल The Dalit Voice ने दो तस्वीरें ट्वीट कीं, जिसमें एक ओर अश्विनी वैष्णव को गर्भ गृह में पूजा करते हुए दिखाया गया जबकि दूसरी ओर राष्ट्रपति मुर्मू को बाहर खड़े होकर पूजा करते हुए दिखाया गया. उनके अलावा पत्रकार दिलीप मंडल ने अभी अपने ट्विटर पर ऐसी ही तस्वीरें ट्वीट की और राष्ट्रपति को गर्भ गृह में एंट्री ना दिए जाने पर आपत्ति जताई. सोशल मीडिया पर लोगों ने दावा किया कि क्योंकि राष्ट्रपति अनुसूचित जनजाति से हैं, आदिवासी हैं इसलिए उन्हें गर्भ गृह में प्रवेश नहीं करने दिया गया. सोशल मीडिया पर इसी मसले पर पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क पेश किए गए.

विवाद पर मंदिर प्रशासन ने क्या कहा?
यह पूरी घटना दिल्ली के श्री जगन्नाथ मंदिर की थी, ऐसे में जब राष्ट्रपति को प्रवेश ना देने को लेकर विवाद हुआ तो मंदिर के पुजारी ने सामने आकर पूरे मामले को समझाया. बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में मंदिर के पुजारी सनातन पाड़ी ने कहा कि श्री जगन्नाथ मंदिर के गर्भ गृह में पूजा करने का एक प्रोटोकॉल है, जिसके तहत सिर्फ हिन्दू ही वहां प्रवेश ले सकते हैं फिर चाहे वह किसी भी जाति से हों.

राष्ट्रपति मुर्मू ने गर्भ गृह के बाहर खड़े होकर पूजा क्यों की, इस सवाल पर सनातन पाड़ी बताते हैं कि मंदिर में जो भी श्रद्धालु आते हैं वह बाहर से ही पूजा करते हैं. राष्ट्रपति उस दिन अपने जन्मदिन के मौके पर पूजा करने आई थीं, ऐसे में उन्होंने बाहर से ही पूजा की. पुजारी ने बताया कि मंदिर के गर्भ गृह में उन्हीं लोगों को प्रवेश करवाया जाता है, जिन्हें आधिकारिक तौर पर आमंत्रित किया जाता है. यह अक्सर रथयात्रा के मौके पर होता है, जब किसी को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया जाता है. उसी व्यक्ति से गर्भ गृह में पूजा करवाई जाती है, क्योंकि राष्ट्रपति उस दिन निजी स्तर पर पहुंची थीं ऐसे में उन्होंने बाहर से पूजा की.

बता दें कि धर्मेंद्र प्रधान और अश्विनी वैष्णव की जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, वह भी रथयात्रा के मौके की हैं. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की तस्वीर जून 2021 की है, उस वक्त रथयात्रा के मौके पर उन्हें आमंत्रित किया गया था यही कारण था कि वह गर्भ गृह के भीतर जाकर पूजा कर पाए थे.

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