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crude oil prices घटने पर सस्ता क्यों नहीं होता Petrol-Diesel, जानिए वित्त मंत्री ने क्या दिया जवाब

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार (international market) में कच्चे तेल की कीमतें (crude oil prices) कम होने पर भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें (Petrol-Diesel Prices) आखिर तुरंत कम क्यों नहीं होतीं, जनता को तत्काल राहत क्यों नहीं मिलती? शुक्रवार को एक टीवी न्यूज चैनल पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके बारे में सफाई दी।

जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो तेल कंपनियां तत्काल कीमत बढ़ा देती हैं, लेकिन जब घटती हैं तो वे कटौती धीरे-धीरे करती हैं। जनता को पूरा फायदा नहीं दिया जाता। इस सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा, ‘ हर 15 दिन का औसत निकालकर एक फॉर्मूला के तहत तेल कंपनियां कीमत तय करती हैं। इसलिए तत्काल फर्क नहीं दिखता। यह सरकार नहीं करती। जब तेल की कीमतें काफी कम हो गईं तो जो फायदा हुआ, हमने उसका फायदा इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में लगाया, कुछ हद तक, हमने यह पहले ही साफ किया है।’


क्रिप्टोकरेंसी पर कही ये बात
क्रिप्टो करेंसी पर उन्होंने कहा कि फिनटेक इंडस्ट्री में भारत काफी एडवांस है। इसमें युवा काफी रुचि ले रहे हैं। इन सबको देखते हुए हम रेगुलेशन लेकर आएंगे। शेयर बाजार पर वित्त मंत्री ने कहा कि शेयर बाजार अच्छा हो तो सबको अच्छा लगता है। हर दफ्तर में आज शेयर बाजार और क्रिप्टो की बात होती है।

ओमिक्रॉन को लेकर सभी सचेत
उन्होंने कहा कि जनता का भरोसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर है। हमने तेजी से वैक्सीनेशन किया, मुफ्त में किया। इसके अलावा हम इंडस्ट्री के साथ भी इसे लेकर लगातार चर्चा कर रहे हैं, लेकिन ओमिक्रॉन (omicron) को लेकर इंडस्ट्री सचेत है, लेकिन इतना भी डरी नहीं है। अर्थव्यवस्था के 22 इंडिकेटर्स में से 19 में हम पॉजिटिव हैं।

उन्होंने कहा, ‘क्या विपक्ष नहीं चाहता कि देश कोरोना के असर से बाहर निकले? या वह इस बहस में अटके रहना चाहते हैं कि हमारी इकोनॉमी कोविड के पहले वाले स्तर पर आई है या नहीं। विपक्ष को चाहिए कि जिन राज्यों में उनकी सरकार उस राज्य की जीएसडीपी को सुधार करने के लिए कुछ काम करें।’

विपक्ष की चिंता अर्थव्यवस्था नहीं है बल्कि ये है कि इकोनॉमी बढ़ रही है, इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ रहा है, हेल्थ में काम हो रहा है, बल्कि उनकी चिंता यह है कि अब मोदी पर उंगली कैसे उठाएंगे।

कृषि कानून पर क्या कहा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ये प्रधानमंत्री मोदी का बड़प्पन था कि वे कृषि कानून लेकर आए थे। उन्होंने कहा कि इस कानून को लाने से पहले सभी पक्षों से चर्चा की गई थी।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘तीनों कानून लाने से पहले विस्तार से चर्चा हुई थी। हर पक्ष से चर्चा हुई थी। ऐसा नहीं कि अचानक यह आ गया हो। जो दल आज विरोध कर रहे हैं उनके भी मैनिफेस्टो में इस कानून की चर्चा है। पंजाब में भी ये कानून है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान जा सकते हैं। हर पार्टी पिछले 10-15 साल से समर्थन में थी। शरद पावर ने पीएम को लेटर लिखा था। यह प्रधानमंत्री का बड़प्पन था कि इस कानून को लेकर आए। लोकसभा और राज्यसभा में इस पर अच्छे से चर्चा हुई थी।’

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