सिंहस्थ 2028 में अभी समय है लेकिन उसके ढोल अभी से बजना शुरू हो गये हैं, सिंहस्थ के नाम पर सवारी मार्ग को और शहर की सड़कों को चौड़ा करने की मुनादी हो गई है तथा एक साथ आठ मार्गों को तोडऩे की इच्छा जताई गई है..नगर निगम ने भी सभी 8 मार्गों को चौड़ा करने की सहमति दे डाली..पूछा जाना चाहिए कि दो-दो सड़कें समयानुसार तैयारी कर पीछे हटाई जाती तो क्या शिप्रा में पानी कम हो जाता लेकिन फिर यही बोलने में आएगा कि कौन समझाए यहाँ के नेताओं को..!
उज्जैन भी अजीब लोगों का शहर है, यहाँ के लोगों की हालत ऐसी है कि काम कोड़ी का नहीं और फुर्सत घड़ी की नहीं..पिछले एक महीने से भारत-पाकिस्तान युद्ध में व्यस्त थे और अब चौड़ीकरण की चर्चा में लगे हैं लोग, सोशल मीडिया के वीर अपनी राय दे रहे हैं, कोई सड़कों को चौड़ा करने के निर्णय को विकास का कार्य बता रहा है तो कोई दार्शनिक अंदाज में पंक्तियाँ लिख रहा है, लेकिन सही-गलत का निर्णय यहाँ की जनता नहीं कर पाती..8 मार्गों को चौड़ा किया जा रहा है लेकिन बेचारी पब्लिक से कुछ नहीं पूछा..चौड़ीकरण जरूरी है क्या और किन सड़कों का होना चाहिए इसका आंकलन किए बगैर, एक सनकी की तरह उज्जैन की अंतरंग प्रमुख सड़कों को फैलाने का काम मनमाने ढंग से किया जा रहा है, पूछा जाना चाहिए कि जो सड़कें 50 फीट पहले से ही चौड़ी हैं उन्हें और चौड़ा करने की क्या तुक है, जो मार्ग संकरें हैं और जहाँ यातायात फँसता है..वहाँ अतिक्रमण हटाए जाने चाहिए तथा आवश्यक हो तो मकान-दुकान तोड़कर उचित मुआवजा देकर चौड़ीकरण करना चाहिए था लेकिन अब जिम्मेदार नेताओं से बात कौन करे, जनता से ना तो कोई कुछ पूछ रहा है और न ही कोई उसे कुछ बता रहा है..वह तो बेचारी केवल चुनाव में ठप्पा लगाने जाती है..हमारे अजीब लोकतंत्र में सब कुछ नाटक सा लगता है..जनता जिन्हें चुनती है वही सिर पर सवार हो जाते हैं..क्या चौड़ीकरण का निर्णय उज्जैन की पब्लिक का है..क्या इससे उज्जैन का विकास होगा..क्या इससे भविष्य में यातायात सुगम होगा..क्या इससे व्यापार बढ़ेगा..क्या इससे आम जनजीवन का स्तर सुधर पाएगा, यदि चौड़ीकरण ही एकमात्र हल होता तो पूर्व में देवासगेट-महाकाल मार्ग का हुआ था, जहाँ आज भी वही पहले जैसी स्थिति है..!
‘पब्लिक को तो आँख मूँदकर गर्दन हिलानी है, उसे नहीं पता कौन मूर्छित पड़ा और बूटी किसे खिलानी है..!
पूर्व में अंकपात मार्ग का चौड़ीकरण हुआ था तथा उसके बाद नयापुरा इमली तिराहा तक चौड़ीकरण किया गया लेकिन न तो धर्मस्थल हटाए जाते हैं और न ही सड़क के बीच लगे बिजली के खंबों को ट्रांसफर किया जाता है..जिससे मार्ग अवरूद्ध रहता है और जिस नगर निगम को एक सड़क चौड़ी करने तथा फिर से सामान्य स्थिति लगाने में 2 साल लग जाते हों वह क्या सिंहस्थ के पहले 8 सड़कों को चौड़ी कर पाएगी और वह भी सतीगेट, कोतवाली, निजातपुरा, गाड़ी अड्डा, तेलीवाड़ा, ढाबा रोड जैसे मार्ग को..जहाँ शहर की सबसे सघन बस्ती है..अच्छा होता कि पूरी कार्य योजना बनाकर एक-एक मार्ग को हाथ में लिया जाता..वहाँ व्यवस्थित निकासी और मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती और फिर समय बचता तो दूसरी सड़क पर काम किया जाना चाहिए था..लेकिन ऐसा लग रहा है कि किसी एजेंडे के तहत तोडफ़ोड़ शुरू की जा रही है..यहाँ तक कि भाजपा में ही बड़े पदों पर बैठे कुछ प्रमुख नेता एकसाथ इतने बड़े स्तर पर तोडफ़ोड़ करने से सहमत नहीं हैं..कहीं ऐसा न हो कि इस बार का यह चौड़ीकरण उज्जैन शहर का एक कड़वा अभिशाप बन बैठे..। विकास का मुखौटा पहनाकर जिस तोडफ़ोड़ को शुरु करने की तैयारी की जा रही है उस पर यही कहा जा सकता है..
‘सरकार इस तरह अवाम पर एहसान करती है, वह आँखे छीनती है और चश्में दान करती है..!
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