इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अध्यादेश लाकर आयकर जांच की अवधि बढ़ाएंगे

  •  आयकर समीक्षा के पुराने मामले दोबारा खोलने के लिए सरकार कदम उठाएगी
  •  पुराने नियम के तहत 1 अप्रैल से 30 जून के बीच जारी हुएथे नोटिस
  •  सरकार अंतिम आदेश आने की कर रही है प्रतिक्षा

इंदौर। आयकर विभाग ने कर समीक्षा के लिए पुराने नियमों के तहत 1 अप्रैल से 30 जून के बीच नोटिस जारी किए हैं, जबकि नए नियमों के तहत 30 अप्रैल के बाद आयकर जांच नहीं की जा सकती। आयकर विभाग के इस कदम को कई कंपनियों और व्यक्तिगत करदाताओं ने उच्च न्यायालयों में चुनौती दी है। उन्होंने इन नोटिसों की वैधता को चुनौती देती याचिकाएं दायर की हैं। अब सरकार इसके लिए कानूनी विकल्प तलाश रही है और उसके लिए आयकर अधिनियम में परिर्तन के लिए अध्यादेश लाया जा सकता है।
पुराने आयकर कानून 31 मार्च तक ही प्रभावी थे और उनके तहत पिछले छह साल के कर मामलों को समीक्षा के लिए दोबारा खोला जा सकता था। मगर वित्त विधेयक, 2021 पारित होने के बाद ये प्रावधान खत्म हो गए। मगर कर विभाग ने इसे 30 जून तक वैध करार दिया और उसी के मुताबिक 1 अप्रैल से 30 जून तक के बीच हजारों करदाताओं को नोटिस जारी कर दिए। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में दर्जनों करदाताओं को विभाग के नोटिस पर उच्च न्यायालयों से अंतरिम स्थगन आदेश मिल गया है।


अप्रैल से प्रभावी नया कानून
नया आयकर कानून अप्रैल से प्रभावी हो गया है। इसमें केवल पिछले तीन साल के मामले समीक्षा के लिए खोले जा सकते हैं। 50 लाख रुपये या अधिक की कर चोरी वाले फर्जीवाड़े के गंभीर मामलों को 10 साल तक खोला जा सकता है। कर विभाग का मानना है कि करदाता विभाग के किसी खास कदम को चुनौती नहीं दे सकते क्योंकि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच कर अनुपालन से जुड़ी विभिन्न समय सीमा बढ़ाई गई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने महामारी की दूसरी लहर से पैदा हुई स्थिति के कारण अवधि बढ़ाए जाने की जानकारी दी थी।

अतिरिक्त समय मिलना चाहिए
महामारी की दूसरी लहर और संक्रमण की रोकथाम के लिए लगी पाबंदी को देखते हुए सरकार ने पुराने मामलों की दोबारा समीक्षा करने की अवधि 30 जून तक कर दी थी। विभाग का कहना है कि अगर करदाताओं को राहत देने के लिए अतिरिक्त समय दिया जा सकता है तो सरकारी तंत्र को भी मामलों की छानबीन के लिए अतिरिक्त समय मिलना चाहिए।

विकल्प हो सकता है अध्यादेश
अब कानूनी मसला यह है कि संसद द्वारा संशोधित तारीख को अधिसूचना के जरिये बढ़ाया जा सकता है या नहीं। अगर न्यायालय का यह निर्देश आता है कि अधिसूचना संशोधन को दरकिनार नहीं कर सकती तो उस स्थिति में अध्यादेश एक विकल्प हो सकता है। सूत्रों का कहना कि सरकार अंतिम आदेश आने की प्रतीक्षा कर रही है। इस मामले की सुनवाई अब अगस्त और सितंबर में होनी है।


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