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UP में योगी आदित्यनाथ ही बनेंगे CM, जाने चुनाव को लेकर क्‍या बोले जेपी नड्डा ?

नई दिल्ली: देश में पांच राज्यों में असेंबली चुनाव अब खत्म होने वाले हैं. 7 मार्च को आखिरी चरण की वोटिंग और उसके बाद 10 मार्च को नतीजे आएंगे. इन चुनावों में बीजेपी (BJP) क्या फिर से पुराने वाला कमाल दिखा पाएगी. इस मुद्दे पर बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (National President JP Nadda) से मीडिया द्वारा कुछ सवाल पूछे गए. पेश में प्रमुख अंश:

चुनाव में क्या होने वाला है?
जेपी नड्डा: पांच राज्यों में चुनाव है, चार में हम सरकार में हैं. पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि हम चारों राज्यों में दोबारा सरकार बना रहे हैं. जहां तक पंजाब की बात है तो पहली बार हमें मौका मिला है वहां इतनी सीटों पर चुनाव लड़ने का. पहले 117 सीटों में से 23 पर ही चुनाव लड़ पाते थे हम. इस बार हमें मौका मिला है कि पूरे प्रदेश में बीजेपी को ले जा सकें. इस बार अच्छा करेंगे. यूपी में हम बड़े आराम से, उत्तराखंड में आराम से, गोवा में और मणिपुर में भी आराम से सरकार बना रहे हैं.


इस बार Pro-Incumbancy चलेगी. मोदी जी के बाद से ये टर्म आया है, इस दौर में जनता सरकार से सवाल पूछती है और सरकार उनका उत्तर भी जनता को देती है. वक्त बदल चुका है. जहां तक गोवा की बात है तो वहां विकास हुआ है पिछले दस सालों में. पार्टी मैनेज करेगी और हमें भरोसा है कि हम आराम से जीतेंगे. उत्तराखंड में जिस तरह से विकास के काम हुए हैं, डबल इंजन की सरकार से लोग वहां खुश हैं, Pro-Incumbancy वहां भी देखने को मिली है.

मोदी जी का आर्शीवाद रहा उत्तर प्रदेश में और योगी जी ने ज़मीन पर सारे कार्यक्रम और योजनाएं लागू कीं. चैलेंज बहुत सारे आए प्रदेश में लेकिन हमें Pro-Incumbancy का फायदा मिला. इस बार तो चुनाव में हल्ला बहुत मचा, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने एक साथ चुनाव लड़कर देखे हैं. वे हार चुके हैं और इस बार आरएलडी से मिल कर लड़ रहे हैं. 10 मार्च को दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

यूपी में ग्राउंड रिपोर्ट बता रही हैं कि इस बार कांटे की टक्कर है. इस बार अखिलेश ने चुनाव अच्छे से लड़ा है और कहा जा रहा है कि उनके सोशल इंजीनियर्स के आगे आपके सोशल इंजीनियर्स नहीं चले, क्या ऐसा लगता है?

जेपी नड्डा: देखिए सोशल इंजीनियरिंग तो उन्होंने हमेशा ही की है. अब आरएलडी के साथ हैं, ये लोग पॉलिटिक्स को मैथमैटिक्स की तरह देखते हैं. लेकिन ये भूल जाते हैं कि पॉलिटिक्स दरअसल कैमिस्ट्री है. एक ज़माना था जब गांव का ठेकेदार या प्रधान बोल देता था तो वोट एक नाम पर पड़ जाते थे, लेकिन अब नहीं. सरकार आती थी तो उसके नाम पर प्रधान मालामाल हो जाते थे, लेकिन मोदी जी के आने के बाद भारत की राजनीति और संस्कृति बदल गई है.

अब वोटर खुद जानता है कि उसे वोट किसे देना है और उसका वोट कैसे सुरक्षित है, अब वोटर खुल कर नहीं बोलता कि वोट किसे देगा लेकिन सजग रहता है. समाजवादी पार्टी बीएसपी के साथ फेल हुई, कांग्रेस के साथ फेल हुई और अब आरएलडी के साथ भी फेल होगी. केमिस्ट्री लोगों की आज मोदी जी के साथ है, केमिस्ट्री योगी जी की सुरक्षा के साथ है. बीएसपी के वक्त एक जाति विशेष के लोग पीड़ित हुए, समाज में विघटन आया और समाजवादी पार्टी के वक्त भी ऐसा ही हुआ.

अब यूपी बदल चुका है, उसकी स्थिति बदल चुकी है, अब विकास का काम बढ़ चुका है. अब जनधन योजना में 8 करोड़ लोगों को रोज़गार मिला है. मोदी जी के वक्त में मुफ्त का माल नहीं मिलता है. गरीब के जीवन का स्तर उठ रहा है. वो अपने अधिकार और हित के प्रति बहुत सजग है. वो अपना हर कार्ड संभाल कर रखता है. जनधन योजना से बदलाव आया है. कैमिस्ट्री बैठती है, इसीलिए 2019 में चुनाव के नतीजों ने चकित किया था लोगों को.

इस बार पहले और दूसरे चरण की वोटिंग हुई तो कहा गया कि मुसलमान वोटर ने एक जगह एक साथ वोट डाला, दूसरी जातियों के लोग बंट गए. क्या आपको लगता है कि आपकी योजनाएं मुस्लिम वोटर तक नहीं पहुंची हैं. वो आपके साथ क्यों नहीं आया? योगी जी का फॉर्मूला है 80 – 20, वो 20 परसेंट तो आपने छोड़ ही दिया. इस पर आप क्या कहेंगे, ये जो कॉन्सोलिडेशन हुआ एक तरफ?

जेपी नड्डा: मुझे इसका जवाब देने में शब्दावली पर ध्यान देना होगा. हम विभाजन और विघटन की बात नहीं करते. हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की बात करते हैं. हम सबको साथ ले जाना चाहते हैं. हमारे विरोधी हमारे बारे में कुप्रचार लंबे समय से करते रहे हैं. समाज के एक हिस्से को हम से अलग रखने का प्रयास करते रहे हैं. वो सफल भी होते हैं. चुनाव में भी सफल रहते हैं, लेकिन हमारा प्रयास जारी है. हमने कभी आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों का धर्म नहीं पूछा. हम कभी धर्म पूछ कर काम नहीं करते हैं. हम गरीब को अधिकार देना चाहते हैं. मुझे उम्मीद है कि देर-सबेर उन्हें समझ में आएगा कि उनके जीवन में परिवर्तन का काम भी बीजेपी कर रही है.

जाहिर है योजनाएं सबके लिए हैं, लेकिन तब भी एक वर्ग ऐसा है जो धर्म के नाम पर वोट देता है वो आपके पास नहीं आता है.

जेपी नड्डा: हां ऐसा है, वो अपने ढंग से. लेकिन भारत का समाज बहुत बड़ा है. बाकी लोग देते हैं. इसके बावजूद उनके प्रति हमारा रवैया नकारात्मक नहीं है. हम मानते हैं कि आज या कल वो हमारे पास आएंगे. आज नहीं हैं, इसमें दोराय नहीं है, लेकिन पिछले चुनाव में भी उनका वोट नहीं मिला था. इसके बावजूद उनके प्रति बर्ताव में कोई बदलाव नहीं आया. हमें चुनाव जीतने के लिए बाकी लोग समर्थन देते हैं. हम किसी जाति विशेष के लिए नहीं करते हैं. हम सबको साथ लेकर चलते हैं. जब आप अपना कैनवस बड़ा कर लेते हो तो ये छोटी चीजें पीछे छूट जाती हैं.

आपको कभी ऐसा लगता है कि इस डिवीजन की वजह से बीजेपी असल में 80 नंबर की परीक्षा अटैंप्ट कर रही है और आपका विरोधी 100 नंबर की परीक्षा दे रहा है. ऐसे में आपका बीस नंबर का सवाल तो छूट ही गया.

जेपी नड्डा: नहीं, हम तो 100 नंबर का ही अटैंप्ट करते हैं. इसीलिए हमारी भाषा में, हमारी बातचीत में हम सबको साथ ले कर चल रहे हैं. हम जानते है कि 20 फीसदी का उत्तर हमें मिल नहीं सकता, या हमारे फेवर में नहीं जाता. वहीं हमारे विरोधी तो 20 पर्सेंट ही अटैंप्ट करते हैं.

बाकी 20 एक साथ है और 80 में विभाजन करते हैं.

जेपी नड्डा: तो वो इस तरीके से देखते हैं. उनका नजरिया ये है, लेकिन कमिस्ट्री भारी पड़ती है मैथमेटिक्स पर.

मायावती इस बार कहीं नज़र नहीं आई हैं, क्या उनका एक्टिव न रहना, उससे आपको नुकसान हुआ? मुसलमान वोट इस बार उनकी तरफ कम गया या शायद नहीं गया.

जेपी नड्डा: हम किसी दूसरे के वोट पर खड़े होते हों ये हमारा तरीका नहीं है. हम अपने काम पर जोड़ते हैं, लेकिन उन्होंने अब तक जाति की राजनीति की है, उस पर उनका कंट्रेल रहा है. वो पहले कौन सी बड़ी जनसभाएं करती थीं? वो तो बस डायरेक्शन देती थीं और वो नीचे तक जाता था. उनकी जाति के समर्थक उन्हें वोट देते थे. अब फर्क ये आ रहा है कि मोदी जी के काम करने से उस समर्थक के जीवन में जो फर्क आया है और अब वो बीजेपी की तरफ आ रहा है. लेकिन उनके वोट उनके साथ हैं, उनसे कोई नुकसान नहीं होगा, देर सबेर आएगा वो वोट तो हमारी तरफ ही आएगा.

लेकिन मायावती की बॉडी लैंग्वेज और जिस तरह के बयान वो दे रही हैं. पहली बार बीजेपी की तारीफ करते हुए देखा जा रहा है या हमले नहीं करते हुए देखा जा रहा है. ऐसा लग रहा है कि मायावती औऱ बीजेपी के बीच मधुर संबंध बन गए हैं और उनके जीवन में भी सकारात्मक असर आ गया है आपकी योजनाओं का.

जेपी नड्डा: हो सकता है, उनके समर्थक उन्हें बताते होंगे कि कैसे उनके जीवन में बदलाव आ रहे हैं. लेकिन हमारी रणनीति हमेशा ही अपने मुख्य प्रतिद्वंदी के खिलाफ रहती है. हर प्रदेश में अलग होती है रणनीति. मणिपुर, उत्तराखंड और गोवा में जैसे कांग्रेस है मुख्य प्रतिद्वंदी, यूपी में सपा है. हम मुख्य विपक्षी को घेरे में लेते हैं, देर सबेर हमारे पास उनका बेस आएगा ही.

तो मायावती को आप नंबर 3 या 4 का खिलाड़ी मान रहे हैं?

जेपी नड्डा: ताकत तो उनकी कमज़ोर हुई है, लेकिन उनके हाल को देखकर हम अपनी रणनीति नहीं बनाते हैं.

अगर सीटें पहले से कम आईं तो क्या तब भी योगी जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे?

जेपी नड्डा: योगी जी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं हम यूपी में. अगर का सवाल ही नहीं है, वैसे संसदीय बोर्ड बताएगा लेकिन अगर का सवाल नहीं है.

मान लीजिए यूपी में 210-220 सीटें आती हैं, तब भी?

जेपी नड्डा: हम तो 300 पार की बात कर रहे हैं.

क्या स्थानीय विधायकों के खिलाफ लहर है, जिसका नुकसान चुनाव में हो सकता है?

जेपी नड्डा: हम रणनीति संपूर्णता में बनाते हैं, नएपन की दृष्टि लाते हैं, 25-30 फीसदी नए चेहरे हैं, नयापन आया है, इसके अलावा लोग मजबूत रहें, आगे बढ़ने का प्रयास करें, नयापन, युवा, महिला, सभी समाज के वर्गों के हिस्से की हिस्सेदारी होनी चाहिए. जब चुनाव शुरू हो जाता है तो लोगों की नाराज़गी आना स्वाभाविक है. हम काडर बेस पार्टी है, इसीलिए हल्ला-गुल्ला और अशांति दो-तीन दिन रहती है. इतनी बड़ी पार्टी है, जीवंत पार्टी है. पेड वर्कर नहीं होते हमारे यहां. हमारे यहां वॉलंटियर हैं, इतने बड़े परिवार को संभाल कर रखना हमारी जिम्मेदारी है.

इस बार न तो हाथ है, न हाथी है, बस साइकिल है, लेकिन वो बड़ी होती जा रही है, क्या यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी और आपके भाषणों में साइकिल पर हमला बढ़ गया है, साइकिल पर बम लगाया जाता है, ये बयान आया. क्या आपको लगता है ऐसे बयानों से अल्पसंख्यक वर्ग आपसे और नाराज़ हो जाएगा?

जेपी नड्डा: हम न किसी वर्ग विशेष के खिलाफ हैं, न घर्म के खिलाफ हैं, न ही तुष्टिकरण के साथ हैं. अगर देश की सुरक्षा के खिलाफ अखिलेश ने देशद्रोहियों के साथ काम किया है तो ये बताना हमारा जिम्मा है. उन्होंने कहा कि आम आदमी साइकिल चलाता है, इससे किसी को इनकार कहां है, लेकिन वो आम आदमी सपा की साइकिल नहीं चलाता है. वो अपनी साइकिल चलाता है.

जहां तक सपा की साइकिल का सवाल है तो वो चुनावी निशान बम से जुड़ा हुआ है. तीन सीरीज़ में कचहरी में बम कांड, गोरखपुर के गोलघर का बम कांड, जिसमें तीन जगहों पर बम ब्लास्ट हुआ. श्रमजीवी ट्रेन में बम ब्लास्ट, मुंबई की लोकल ट्रेन में बम ब्लास्ट, संकट मोचन वाराणसी में बम ब्लास्ट, दशाश्वेमेध घाट पर बम ब्लास्ट, रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर गोलियां चलना , सात जवानों का मारा जाना.

इसी तरीके से अन्य बम ब्लास्ट में जो लोग शामिल थे, जिनपर आतंक के केस चल रहे थे, सज़ाएं भी हुईं. ऐसे लोगों पर 26 अप्रैल 2012 को तत्कालीन सीएम अखिलेश के आदेश से केस वापस होते हैं. ये सामने लाना मेरी जिम्मेदारी है, ये मेरा आरोप है कि अखिलेश ने देशद्रोहियों का साथ दिया. जो देश के खिलाफ साज़िश रच रहे थे, अखिलेश ने उनका साथ दिया. रामपुर में एके-56 केस में मुकदमा वापस लेने की कोशिश की गई, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसे रोका. हम किसी भी धर्म के खिलाफ बोलते नहीं हैं, मरकज़ के खिलाफ माहौल था, हमने कहा कि कोरोना को धर्म से नहीं जोड़ेंगे. हमने कभी सियासत नहीं की, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला संगीन है.

समस्या तब आती है जब नवाब मलिक को गिरफ्तार कर लिया जाता है. यूपी में राष्ट्रीय सुरक्षा की बात की आपने और महाराष्ट्र में आपने दाऊद का मुद्दा उठा लिय. विपक्ष का आरोप है कि आप लोग एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करते हैं और नवाब मलिक का केस भी इसी की पुष्टि करता है, सेम कॉम्बिनेशन सेम फॉर्मूला.

जेपी नड्डा: नवाब मलिक के बारे में ईडी ने अदालत से कहा कि उनसे पूछताछ होनी चाहिए, तथ्य थे उनके बारे में, तथ्यों पर चर्चा क्यों नहीं करते? नवाब मलिक को ईडी यूं ही पकड़ कर नहीं ले गई, कोर्ट ने इजाजत कुछ तथ्य देख कर ही इजाजत दी होगी. हम तुष्टिकरण नहीं करते, चुनाव के वक्त की बात नहीं है, हर संस्था आजाद है, स्वायत्त है. वो अपने हिसाब से तथ्यों के आधार पर काम कर रही है. तथ्यों पर ही उन्हें रिमांड मिली है. ये बात दीगर है कि जब भी राष्ट्रविरोधी लोगों के साथ जुड़ने का आऱोप लगता है कि तो खुद को राष्ट्रवादी दल बोलने वालों के पेट में तकलीफ क्यों होती है और अगर होती है तो उसको जनता के सामने ले जाने की जिम्मेदारी हमारी है.

अब यही बात कर्नाटक में देखी जा रही है. हिजाब विवाद चल रहा है, कर्नाटक सरकार तो कह ही रही है कोर्ट में, आपका क्या कहना है?
जेपी नड्डा: हम संविधान से चलते हैं, उसकी रक्षा करना, मानना और मनवाना हमारी जिम्मेदारी है, कानून व्यवस्था बनी रहे ये हमारी जिम्मेदारी है. कोर्ट में है मामला, जो भी कोर्ट कहेगा मानेंगे सब. हमारे लिए टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा, कोर्ट के आदेश का सम्मान होगा, हमें धार्मिक उन्माद को बढ़ाना नहीं चाहिए, न जरूरत से ज्यादा तूल देना चाहिए, ये सब व्यक्तिगत है पसंद का मामला है.

तो क्या अगर यूनिफॉर्म है तो उसका पालन होना चाहिए?

जेपी नड्डा: हर संस्था के अपने सिस्टम होते हैं, उन्हें फॉलो करना चाहिए.

इसमें भी पीएफआई जैसी संस्थाओं का नाम आ रहा है, बात आ रही है कि यही लड़कियां पहले बिना हिजाब के आती थीं, तो क्या उनके पीछे कोई है? क्या इसके पीछे आप किसी की डिजाइन देख रहे हैं?

जेपी नड्डा: समाज को तोड़ने वाली ताकतें हमेशा सक्रिय रहती हैं. वो तरह-तरह से नए-नए तरीके से आती हैं, हमें सजग रहने की जरूरत है. लेकिन स्टेट और सेंटर की इंटेलिजेंस एजेंसियां हैं वो इसे साफ तौर पर लेकर सामने आएंगी और उनसे ही पता चलेगा कि इन ताकतों की असली डिजाइन क्या है. ये तो साफ ही है कि एक समय में सिमी नाम का संगठन हुआ करता था , सिमी के बम धमाकों से संबंध साफ सामने आए, उनके संगठन के लोगों के पास से आरडीएक्स भी बरामद हुआ, टाइम बम पकड़ा गया, बाकी विस्फोटक भी पकड़े गए.

सिमी बैन हुई, उसके बाद ये नया संगठन बना. वही लोग नए रूप में सामने आए, लेकिन इसके बारे में खुफिया एजेंसियां तथ्यों के साथ सामने आएंगी. मोदी जी की कमान में देश मज़बूत बन रहा है, देश ही नहीं दुनिया भी मोदी जी की आवाज़ सुनती है, इसकी वजह से बहुत से लोगों को तकलीफ होती है. वो डिजाइन करते हैं, वो पंजाब में भी करते हैं, दूसरी जगह पर भी. कई संगठनों के नाम से करते हैं.

नॉर्थ ईस्ट को मोदी जी ने जोड़ा, 50 से ज्यादा बार खुद मोदी जी गए हैं वहां. जबकि यूपीए में खुद पीएम जो वहां से जीते थे सिर्फ 2-3 बार गए होंगे. आज भारत के साथ खड़ा है वो इलाका, पहले कितने गुट थे वहां देश को तोड़ने वाले, आज मुख्यधारा में राजनीति कर रहे हैं वे लोग. कई लोगों को इससे तकलीफ होती है. दुर्भाग्य है कि कई राजनीतिक दलों को ये समझ नहीं हैं और वो सुर में सुर मिला कर बात करते हैं. लेकिन मोदी जी के राज में ये विघटनकारी ताकतें नहीं चल सकेंगी. भारत एक आत्मा है, इसके अंदर अगर स्लीपिंग सेल, बैड सेल बनेगी तो एंटी बॉडी बनाना भी हमारा ही काम है, हम करेंगे.

आपने पंजाब का जिक्र किया, वहां आप अकेले लड़ रहे हैं, अच्छी नेट प्रेक्टिस हो जाएगी, आपको पता चल जाएगा कहां खड़े हैं आप. अगर हंग एसेंबली होती है तो क्या आप और अकाली दल हाथ मिलाएंगे?

जेपी नड्डा: हमने एनडीए में किसी को भेजने का तय नहीं किया. हम सबको साथ लेकर चलते हैं, अकाली दल के साथ हमें समझौता करते हुए कई बार पार्टी के विकास से भी समझौता करना पड़ा तब भी हमने रिश्ते मेंटेंन किए. पिछले चुनाव में इनके साथ जाने पर नुकसान तय था लेकिन हमने साथ नहीं छोड़ा. साथ उन्होंने छोड़ा हम क्या कर सकते हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर इस पर मैं नहीं कह सकता. मुझे संभावनाएं कम दिखती हैं, क्योंकि हम बीजेपी के अपने विस्तार पर चल रहे हैं. बार-बार समझौता कर खुद को छोटा करें इसकी ज़रूरत नहीं दिखती. फिर भी संसदीय बोर्ड जो तय करेगा, लेकिन मुझे संभावनाएं नहीं दिखती.

लेकिन ये दोस्ती कृषि कानूनों पर टूटी थी. अब तो वो आपने वापस ले लिए तो जब कृषि कानून ही नहीं रहे जिसकी वजह से आप दोनों अलग हुए. इसीलिए पूछ रहा हूं कि आज की स्थिति में क्या दरवाज़े खुले हुए हैं? क्योंकि वही मुद्दा खत्म हो चुका है.

जेपी नड्डा: ठीक है, लेकिन हमारी प्राथमिकताएं अब बदल चुकी हैं. हमें 65 सीटों पर लड़ने का मौका मिला.

शेर के मुंह में खून लग गया?

जेपी नड्डा: नहीं खून नहीं, 40 सालों से हमारा वोटर कह रहा था कि उसे कमल पर वोट डालना है, अब उसे मौका मिला है. इसीलिए मैंने कहा कि मुझे संभावनाएं कम दिखती हैं क्योंकि हमारी प्राथमिकता अब विस्तार है. लेकिन नतीजे आने के बाद जो पार्लियामेंटरी पार्टी है, पीएम और बाकी लोग जो विषय तय करेंगे उसे हम पूरा करेंगे.

ओपिनियन पोल्स ये कहते हैं पंजाब में कि केजरीवाल आप सबसे आगे हैं. सिंगल लार्जेस्ट पार्टी तो है ही, अपनी सरकार बना सकें या नहीं. आप इससे सहमत हैं कि इस बार उन्होंने बहुत अच्छा गेन किया है पंजाब में?

जेपी नड्डा: मुझे लगता है कि कांग्रेस को और जिससे उम्मीदें थी उनके प्रदर्शन के खराब होने का फायदा पार्टी आम आदमी पार्टी को ज़रूर मिला है. लेकिन पंजाब की जनता सजग है और सीमा वाला राज्य होने की वजह से वहां सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है और सुरक्षा के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए मुझे नहीं लगता है कि आम आदमी पार्टी को वो इतना सपोर्ट करेगी, लेकिन फिर भी वातावरण तो बना था.

आपने आम आदमी पार्टी और केजरीवाल पर भी खालिस्तान समर्थनों का साथ लेने का आरोप लगा दिया?

जेपी नड्डा: हमने नहीं लगाया, उनके परम मित्र ने लगाया.

जी, आपको लगता है कि केंद्र सरकार इसकी जांच करेगी?

जेपी नड्डा: निश्चित रूप से.

गंभीरता से जांच होगी? केजरीवाल के खालिस्तानी संगठनों के साथ की.

जेपी नड्डा: देखिए जो आरोप उनके समय पार्टी के निर्माण के वक्त के साथी ने लगाया वो गंभीर आरोप है, और उस गंभीर आरोप के बारे में पंजाब के मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री और प्रधानमंत्री को लिखा है, ये उसकी गंभीरता के बारे में बताता है. आरोप गंभीर हैं और उसकी तहकीकात करना वाला व्यक्ति मुख्यमंत्री है, तो भारत सरकार के बारे में इतना कह सकता हूं कि हम हर बात को गंभीरता से लेते हैं तो इसकी जांच भी गंभीरता से होगी.

आपको लगता है कि अगर आम आदमी पार्टी की सरकार पंजाब में बनी तो पंजाब के लिए ये खतरनाक साबित हो सकता है?

जेपी नड्डा: जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं और जिसका खंडन केजरीवाल ने किया है, ये बहुत खतरनाक बात है, कि आप पर आरोप ये लगता है कि आप देश के खिलाफ साजिश रचने वालों से मिले हुए हैं और उनके समर्थन से आप सरकार बना रहे हैं. जवाब में केजरीवाल जी ट्विस्ट करते हैं और सीधा जवाब नहीं देते हैं. ये गैर- ज़िम्मेदाराना है. देश को बताना उनकी ज़िम्मेदारी है, सीमावर्ती राज्य में ये खतरे की घंटी है.

लेकिन पूरे चुनाव में टेंम्पलेट सेम है, ये मैं आपके विरोधियों के आरोप बता रहा हूं. यूपी में आपने आतंकवाद का मुद्दा उठाया और पंजाब में भी केजरीवाल को खालिस्तान से जोड़ दिया तो नवाब मलिक को दाऊद से जोड़ दिया, तो टेंम्पलेट सेम है?
जेपी नड्डा: नहीं, इसको ज़रा दूसरे ढंग से देखिए, सब जगह हमारे विरोधी दल सत्ता पाने के लिए देश के साथ भी समझौता करने के लिए तैयार बैठे हैं और हम देश को मज़बूत करते हुए उसके लिए समर्पित हैं. दोनों के काम की शैली में अंतर है. हमने तो नहीं कहा अखिलेश जी को कि आप आतंकवादियों का ढोल पीटिए. हमने तो नहीं कहा कि आप उनको बचाइये. आज़म खान आज जेल में हैं, आपके समय में बाहर होते हैं.

मुख्तार अंसारी आज जेल में हैं, सुप्रीम कोर्ट उन्हें बाहर क्यों नहीं निकाल देती है. अतीक अहमद बाहर क्यों नहीं निकल जाते हैं? कानून का राज है, क्यों वो अंदर हैं? जुर्म सेम था, मुजरिम सेम था, नेता अलग था, समाजवादी पार्टी थी तो आप दनदना रहे थे. आज आप जेल के अंदर हैं, ये फर्क है. इसका मतबल ये होता है कि अखिलेश जी देश के इंट्रेस्ट को ताक पर रखकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना उनका स्वभाव है, अब टेंम्पलेट ये है.

अब आप दूसरी तरफ देखिए, नवाब मलिक अगर उसके विषय कहीं दाऊद से जुड़े दिखते हैं और कुछ कागज़ उस तरीके के आते हैं उन कागज़ों के आधार पर स्वतंत्र एजेंसी कोर्ट में जा कर अनुमति लेकर उनसे पूछताछ करती है तो इसमें ये स्वाभिमान क्यों नहीं पैदा होता है कि एनसीपी में या शिवसेना में, और कांग्रेस में कि वो कहें कि भई देखो अगर ये गड़बड़ी हुई है तो ऐसे लोगों के साथ हम नहीं चलेंगे. इनको देश भक्त पसंद नहीं हैं, इनको देश की मज़बूती के साथ समझौता करना पसंद है, और अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना ज्यादा ज़रूरी है.

अब आइये आप खालिस्तान के मुद्दे पर, आरोप गंभीर हैं कि आपके आतंकवादी गुटों के साथ रिश्ते हैं, आप मुख्यमंत्री हैं, आप पर आरोप लगता है कि आप उनके यहां ठहरे. आपकी बैठक हुई है, आपकी फंडिंग हुई है. ये सारे आरोप हैं, क्या ये जिम्मेदारी नहीं है कि वो कहें कि नो, नो, नो. आज तक वो ये क्यों नहीं कह पा रहे हैं कि दाल में काला नहीं दाल पूरी काली है? आप पंजाब में सत्ता हथियाने के लिए, आप देशद्रोहियों के साथ समझौता करने के लिए तैयार हैं, ये है टेंपलेट. और हमारी तरफ से हम जीतें न जीतें, हिंदू सिख भाईचारे को साथ लेकर चलना हमारी ज़िम्मेदारी है. बॉर्डर स्टेट को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है.

कृषि कानून को लेकर जितना भी आंदोलन चला उसका असर पंजाब और यूपी में हुआ, क्या आपको लगा कि उसकी वजह से आपको इन दोनों राज्यों में नुकसान हुआ?

जेपी नड्डा: नहीं देखिए, ये कानून किसानों के हित के थे, ये सारे देश के किसानों का आंदोलन नहीं था, कुछ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, कुछ पंजाब में कुछ हरियाणा में सीमित था. उनकी वजहें भी अलग-अलग थीं, उन्हें तूल देते हुए आंदोलन लंबे वक्त तक चलाया. पीएम ने एक अभिभावक, देश के रक्षक की तरह कहा कि कानून किसानों के पक्ष का था लेकिन हम समझा नहीं सके.

बाद में उन्होंने ये भी कहा कि देश के लिए ये बड़ा मुद्दा था. हमें चुनाव में इसका कोई असर देखने को नहीं मिला कि कोई नाराज़गी हो, जो लोग नेताओं के कारण भ्रमित हुए थे. उन्होंने मोदी जी की वजह से बाद में सच स्वीकार किया. ये मुद्दा चुनाव में कोई असर नहीं डालेगा, हरियाणा में जब उप चुनाव था जब किसान आंदोलन चरम पर था. अभय चौटाला की सीट पर, हम पहले के बजाय ज्यादा वोट से दूसरे नंबर पर रहे, हमें अच्छा समर्थन मिला किसान आंदोलन के दौरान.

तो इन पार्टियां का क्या भविष्य देखते हैं आप? जैसे जयंत चौधरी की आएलडी, वो इसी मुद्दे पर खेल रहे हैं कि वोट मिल जाएं, अकाली दल ने भी, चुनाव के बाद इनका क्या भविष्य है?

जेपी नड्डा: जैसी सोच होगी वैसा ही उत्तर मिलेगा. कई परिवारों के बुजुर्गों ने अच्छी लड़ाई लड़ी है, मुद्दों पर लड़े हैं जिसकी वजह से ये आगे बढ़े हैं. लेकिन प्रजातंत्र के लिए ये खतरा हैं, रीजनल पार्टियां भी और पारिवारिक पार्टियां भी. रीजनल पार्टी भी पारिवारिक पार्टी ही बन रही हैं और ये देश के लिए, लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है. बीजेपी के लिए अच्छी स्थिति है, क्योंकि बीजेपी अकेली है. इंडियन नेशनल कांग्रेस, न ये इंडियन रह गई न ये नैशनल रह गई है, ये कुछ सूबों में सीमित हो गई है, रीजनल पार्टी बन गई है और ये पारिवारिक पार्टी बन गई है. भाई – बहन की पार्टी बन गई है. तो जो राष्ट्रीय पार्टी थी वो राष्ट्रीय नहीं रही, तो बाकी की तो उत्पत्ति ही रीजनल हुई थी.

तो आपके हिसाब से तो एक ही राष्ट्रीय पार्टी बची है देश में, भारतीय जनता पार्टी?

जेपी नड्डा: बिल्कुल, वैचारिक आधार हो या 1956 से एक समान विचार पर लगातार बढ़ने का मुद्दा, यही पार्टी है, जिसका लगातार विकास हुआ, वो भारतीय जनता पार्टी है.

और उसमें आपका जो बेटा है वो बीजेपी अध्यक्ष नहीं बनेगा आपके बाद.

जेपी नड्डा: बिल्कुल, ये संभव ही नहीं है और हो सकता है हमारे रहते हुए राजनीति में भी न आए. आखिर पार्टियों का प्रजातंत्र कैसे बचेगा? हिमाचल प्रदेश में हम एक सीट हार गए, उप-चुनाव में, हम बेटों को देकर, परिवार को देकर सीट जीत सकते थे, हमने समझौता नहीं किया. We are ready to pay the price. आखिर पार्टी का कार्यकर्ता क्यों काम करेगा? और बाकी पार्टियों की स्थिति कमज़ोर क्यों हो रही है, उनकी सेहत में गिरावट क्यों आ रही है? क्योंकि उसमें एनर्जी नहीं रह गई है, एनर्शिया नहीं रह गया है.

अब नतीजे आएंगे, 10 मार्च को, इसे आप प्रधाननंत्री मोदी पर टिप्पणी मानेंगे? राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर जहां आपकी सरकार हैं? या पार्टी अध्यक्ष के तौर पर आप पर टिप्पणी होगी?

जेपी नड्डा: चुनाव को लोग सेमीफाइनल या क्वार्टर फाइनल मानते हैं. हम कलेक्टिवली सोचते हैं, श्रेय को भी लेते हैं और नुकसान को भी लेते हैं. तो सबसे बड़ी शख्सियत और सबसे ज्यादा जिन पर विश्वास है, वो प्रधाननंत्री हैं और उनकी फॉलोइंग का उपयोग हर राज्य में लिया जा रहा है. हमारे हर मुख्यमंत्री ने पीएम की योजनाओं को ठीक ढंग से लागू किया है. रेल लाइन इंफाल तक पहुंच रही है, चार धाम रोड तैयार हो रही है, काडर भी खुश है. मैं काडर को उत्साहित करने की जिम्मेदारी लेता हूं, नतीजे अच्छे आएंगे, श्रेय मोदी जी का होगा, उनके साथ सबका योगदान है. पार्टी अध्यक्ष होने के नाते जहां कमी रह जाएगी वो मेरी ज़िम्मेदारी होगी.

तो जहां हारेंगे वो आपकी जिम्मेदारी होगी?

जेपी नड्डा: जी, लेकिन हम हारेंगे ही नहीं. हम जीतने वाले हैं. फिर भी चुनाव के दौरान कोई कमियां आती हैं, सेंट परसेंट तो नहीं कहेंगे कि कोई नहीं होंगी, लेकिन जो भी होगी वो मेरी होगी.

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